कानपुर : हैलेट अस्पताल मे डॉक्टरों की लापरवाही के चलते महिला ने तोड़ा दम

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मुख्यमंत्री के तमाम दावों और वादों के बाद भी सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था बिल्कुल चौपट है। सोमवार को एक महिला ने हैलट अस्पताल में इलाज के अभाव में तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया। न्यूरो की समस्या से जूझ रही महिला के पास सीटी स्कैन की रिपोर्ट न होने के कारण हैलट के जूनियर डॉक्टरों ने भर्ती करने से मना कर दिया।
मजदूर पति के पास इतना पैसा नहीं था कि वह सीटी स्कैन करा सकता। सोमा दंडी स्वामी ने मुख्यमंत्री के हेल्पलाइन नंबरों पर फोन कर सिफारिश करने की कोशिश भी की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। चकरपुर मंडी का मजदूर सुबोई महंती पत्नी राधिका (43) का इलाज कराने के लिए दो दिन पहले भी हैलट आया था। डॉक्टरों ने परचे पर दवा लिखकर उसे टरका दिया। राधिका को न्यूरो की दिक्कत थी।
रविवार को सोमा दंडी स्वामी सब्जी लेने मंडी गए थे। राधिका की तबीयत खराब देख हैलट जाने की सलाह दी। महंती के हैलट के हाल बताने के बाद स्वामी ने उर्सला ले जाने को कहा। फोन किया तो एंबुलेंस भी आ गई। राधिका को उर्सला ले जाया गया। सीटी स्कैन मशीन बंद होने के कारण डॉक्टरों ने हैलट रेफर कर दिया और कहा कि उर्सला में न्यूरोलॉजिस्ट भी नहीं है।
स्वामी से सुबोई ने फोन पर बात कराई तो डॉक्टरों ने उनसे भी यही कहा। राधिका को हैलट लाया गया तो इमरजेंसी में जूनियर डॉक्टर ने सीटी स्कैन लिख दिया। महंतो रोया कि उसकी जेब में केवल 100 रुपये हैं, लेकिन डॉक्टर ने नहीं सुनी। एंबुलेंस वाला पेड़ के नीचे रोगी को उतारकर चला गया। महंतो ने फिर स्वामी को स्थिति बताई। उन्होंने डॉक्टर से बात कराने के लिए कहा तो डॉक्टर ने झिड़ककर मना कर दिया।
महंतो पत्नी और बेटी के साथ सारी हैलट इमरजेंसी के पास पड़ा रहा। सुबह पत्नी की मौत हो गई। राधिका को देखने आए सोमा दंडी स्वामी ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री के फोन पर भी सूचना दी थी। बाद में इमरजेंसी प्रभारी डॉ. विनय कुमार ने महिला के शव को उसके घर भिजवा दिया। बता दें हैलट में सीटी स्कैन की व्यवस्था तो है लेकिन प्राइवेट हाथों में है। इस वजह से यहां भी सीटी स्कैन के 2500 से 3000 रुपये लगते हैं। प्राइवेट में इसके 6000 तक लिए जाते हैं।
सीसीटीवी फुटेज देखे जाएंगे
मामले में इमरजेंसी में लगा सीसीटीवी फुटेज चेक किया जाएगा। हैलट की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ज्योति सक्सेना का कहना है कि यह गंभीर मामला है। कैमरे से पता किया जाएगा कि रोगी कब इमरजेंसी में लाई गई और उसे किसने देखा। रोगी को भर्ती क्यों नहीं किया गया?
24 घंटे बीते, प्राचार्य को पता ही नहीं
इस मामले में जब मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरबी कमल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामले की जानकारी नहीं है। अधिकारियों से पता कर मामले की जांच करवाएंगे।

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