उत्तर प्रदेश: 200 से ज्यादा लोगों ने छोड़ा हिन्दू धर्म, हाथरस में न्याय ना मिलने से है आहत

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उत्तर प्रदेश : 200 से ज्यादा लोगों ने हिन्दू धर्म को छोड़ कर बौद्ध धर्म अपनाया , गाजियाबाद हाथरस मामले से आहत
करहैड़ा गांव में हिन्दू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने वाले व्यक्तियों में से एक व्यक्ति ने कहा कि हम लोगो ने पहले से ही बौद्ध धर्म अपनाना चाहते थे। लेकिन हाथरस में हुए घटना कांड सबको एक तरह से तोड़कर रख दिया है और जब हम लोगो ने बौद्ध धर्म अपनाया था तब वहां डॉ भीमराव आंबेडकर के परपोते राजरत्न आम्बेडकर की उपस्थिति थी।
हाथरस में गरीब लड़की के बलात्कार और उसके मौत के बाद प्रशासन के बर्ताव से आहत गाजियाबाद के 236 गरीबों ने बौद्ध धर्म अपनाया और हिन्दू धर्म को छोड़ने का निर्णय लिया।
रिपोर्ट के आधार से हाथरस के करहैड़ा गांव के बाल्मीकि समूह के कुछ 236 लोगो ने डॉ भीमराव आंबेडकर के परपोते राजरत्न आम्बेडकर की उपस्थिति में अपनाया था।
गाजियाबाद के घरों – घरों में काम करने वाली सुनीता (उम्र45) ने बताया कि वह जहां भी जाती थी काम करने के लिए अगर पीने के लिए पानी मांगती थी तो उसे स्टील के गिलास में पानी दिया जाता था और उस गिलास को रसोई के एक कोने में रख दिया जाता है । यह बात हर किसी को याद रहे कि मैं एक बाल्मीकि हूँ । अधिक से ज्यादा घरों में मेरे साथ ऐसा ही होता है। मेरे साथ भेदभाव किया जाता है।
सुनीता के बड़े बेटे ने एक लग्जरी अपार्टमेंट में चपरासी की नौकरी के लिए प्रयास किया था लेकिन बाल्मीकि होने के कारण मुझे साफ सफाई करने का काम मिला। हमेशा हम लोगो के साथ भेदभाव होता है। मुझे पैसो की जरूरत थी इसलिये मैंने साफ सफाई वाला काम किया ।सुनीता के बेटे पवन ने बताया कि मेरे बच्चों के साथ भेदभाव न हो और उन्हें भेदभाव का सामना न करना पड़े इसलिए मेरा पूरा परिवार और मेरे आस पास के पड़ोसियों ने भी हिन्दू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म को अपनाने का निर्णय लिया । डॉ भीमराव आंबेडकर के परपोते राजरत्न आम्बेडकर के उपस्थिति में हम लोगो ने बौद्ध धर्म को अपनाया है।
सब लोगो ने कहा हाथरस के 19 साल की युवती के साथ जो कुछ भी हुआ इसलिए हम लोगो ने धर्म बदलने का निर्णय लिया और बौद्ध धर्म में सिर्फ इंसान रहते है उसमें कोई जाति नही है और उसमें कोई बड़ा जाति और न ही कोई छोटा जाति है हर कोई बौद्ध धर्म का है कोई भी बाल्मीकि और ठाकुर नही है ।
पहले हम लोगो ने धर्म छोड़ने का निर्णय लिया था लेकिन हाथरस में जो कुछ भी हुआ उसने हम लोगो को हिलाकर रख दिया है और राज्य सरकार पीड़ित के परिवार के साथ गलत व्यवहार किया । घर वालो के बिना अनुमति के आधी रात को ही पीड़ित युवती के शव को जला दिया गया जिससे सब लोग हिल गए है।
युवती के मौत के बाद करहैड़ा गांव के लोगो ने कुछ दिनों बाद कैंडल मार्च भी किया था और तभी हम लोगो ने बौद्ध धर्म को अपनाने का निर्णय लिया।
कूड़ा उठाने वाले कमलेश ने कहा कि अपना धर्म छोड़कर दूसरे धर्म को अपनाना हमारे लिए भी आसान नही था अपने पुराने रीति रिवाजों को छोड़ना अच्छा नही लगा ।लेकिन इस घटना के बाद हम लोगो की मजबूरी बन गयी बौद्ध धर्म अपनाना , आज हम बौद्धिक है। सुनीता ने कहा पहली बार ऐसा है मैंने नवरात्र का व्रत नही रखा है ।
सफाई कर्मचारी ने कहा कि हमारे साथ हमेशा भेदभाव होता है यह भेदभाव कब तक चलेगा ।हमारे बच्चों के साथ हम लोगो के साथ हमेशा से भेदभाव होता आ रहा है और बौद्ध धर्म मे कोई मूर्ति पूजा नही होती है और न ही कोई व्रत रखना होता है बौद्ध धर्म मे सब एक समान होते है न कोई छोटा और न ही कोई बड़ा।
कुछ लोगो का कहना है कि हमारे बच्चों को स्कूल में पीछे रखते है क्लास में बड़े घरो के बच्चे आगे बैठते है और हमारे बच्चे पीछे बैठते है ।क्योंकि हम लोग बाल्मीकि है और हम अपने बच्चों का भविष्य बदलना चाहते हैं।हाथरस जिले में 14 सितम्बर को ऊँचे जाति के चार लोगों ने 19 साल की लड़की के साथ मारपीट किया और बलात्कार भी किया था।
अस्पताल मे ही 29 सितम्बर को उसकी मौत हो गयी । परिवार के लोगो ने चार लोगों के ऊपर आरोप लगाया और वो आरोपी रवि , लवकुश, रामू और संदीप गिरफ्तार हो गए है ।अब सी बी आई इस मामले पर जांच पड़ताल कर रही है।
श्री राम राष्ट्रीय जजमेंट संवाददाता

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