नमामि गंगे योजना में करोड़ों का घोटाला कार्रवाई के नाम पर ढाक के तीन पात

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फिरोजाबाद भ्रष्टाचार को समाप्त कर जनता को न्याय दिलाने के नाम पर प्रदेश में सत्तारूढ़ की योगी सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में पूरी तरह असफल साबित हुई है प्रशासनिक अधिकारी मनमानी तरीके से कार्य कर रहे हैं जिसका उदाहरण नमामि गंगे परियोजना के तहत सीवर पंपिंग स्टेशन बनाने के नाम परक्रय गई कृषि योग्य भूमि को अकसित दर्शा कर करोड़ों का घोटाला करने की शासन को जिलाधिकारी द्वारा भेजी गई जांच रिपोर्ट से मिलता है रिपोर्ट को भेजे हुए 5 माह का समय भी देख चुका है परंतु शासन स्तर से अभी तक दोषियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हुई जबकि भूमि खरीद-फरोख्त मामला जनता के मध्य चर्चा का विषय बना हुआ है लोगों का मानना है
इस घोटाले में सत्तापक्ष से जुड़े कुछ लोग शामिल हैं संभवतः जांच रिपोर्ट इसीलिए रद्दी की टोकरी में पड़ी धूल चाट रही है तहसील सदर क्षेत्र के मौजा प्रेमपुर रैपुरा की ग्राम पंचायत बा स ठ मैं नमामि गंगे परियोजना के तहत एक सीवर पंपिंग स्टेशन का निर्माण कराए जाने हेतु कृषि योग्य भूमि को अ कृषित घोषित करा कर सत्ता पक्ष के जुड़े कुछ लोगों ने परियोजना प्रबंधक निर्माण इकाई उत्तर प्रदेश जल निगम से सांठगांठ कर बेच दिया जिसकी शिकायत की गई शासन ने इस भूमि को खरीद-फरोख्त को लेकर करोड़ों रुपए के हुए घोटालों की जांच के आदेश दिए शासन के निर्देश पर महा फरवरी 2020 मैं मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की गई जांच समिति ने जांच उपरांत अपनी जांच आख्या जिला अधिकारी को सौंप दी
जिलाधिकारी ने जांच आख्या शासन के प्रमुख सचिव नगर विकास मंत्रालय लखनऊ को भेजी सूत्रों के अनुसार जिलाधिकारी द्वारा प्रमुख सचिव नगर विकास उत्तर प्रदेश सासन को भेजी गई जांच आख्या रिपोर्ट में करोड़ों का घपला पाया गया है जांच आख्या रिपोर्ट पाया गया है कि भूल के विक्रेता गढ़ जिन्होंने वीके गर्ग परियोजना प्रबंधक निर्माण इकाई उत्तर प्रदेश जल निगम वाटर वर्क्स चौराहा आगरा से दुरभी ही संधि करके ग्राम प्रेमपुर रायपुरा मैं कृषि योग्य भूमि गाटा संख्या 565 रखवा 6 हेक्टेयर की एक बटे दो भाग को कष्ट करके फर्जी हस्ताक्षर से आवेदन करके माह मई 2018 मैं अ कृषित घोषित करा कर 50 लाख में उक्त भूमि प्रकार के दो करोड़ 27 लाख रुपए मैप दिखाएं करने की सहमत दे दी जबकि आकर्षित घोषित करने संबंधी आदेश मई 2018 में निरस्त हो चुका था
परंतु इस आदेश को छुपाते हुए 5 अक्टूबर 2016 को आ कर्षित उधर से धनराशि प्राप्त कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई है क्या जिलाधिकारी द्वारा भेजी गई जांच आख्या रिपोर्ट पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई लोगों में इस बात की चर्चा है कि 2014 में तत्कालीन जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने नगर पालिका के घोटाले की जांच कराकर दोषियों के विरुद्ध रिपोर्ट कराई थी परंतु इतने बड़े घोटाले की जांच होने के बाद भी घोटाले बाजों के विरुद्ध कोई कार्रवाई ना होना लोगों में चिंता का विषय बना हुआ है

रिपोर्ट – राजेश कुमार जबरेवा, फिरोजाबाद 

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