महोबा: अधिकमत भण्डारण क्षमता से पांच मीटर कम उर्मिल बांध

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महोबा 22 अगस्त। यूपी-एमपी की सरहद पर दोनो प्रदेशों के समझौते के तहत बनाया गया उर्मिल बांध बारिश के मौसम में भी अपनी अधिकतम भण्डारण क्षमता तक नहीं पहुंच सका। हालात यह है कि उर्मिल बांध अभी भी अपनी अधिकमत भण्डारण क्षमता से पांच मी0 कम भरा है। हालांकि पिछले वर्ष स्थिति बेहतर थी लेकिन इस बार उर्मिल बांध स्वयं पर्याप्त पानी के लिये तरस रहा है। हालांकि शासन के निर्देश पर सिंचाई विभाग की टीम उर्मिल बांध पर पूरी तरह से मुस्तैद है और प्रत्येक दिन बांध क जल स्तर की रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेज रही है।
यूपी-एमपी की सीमा पर कैमाहा बार्डर के पास उर्मिल बांध का निर्माण 70 के दशक में व्यापक भूभाग में कराया गया था। उस समय यूपी व एमपी में कांग्रेस की ही सरकारे थी तब एक समझौते के अनुसार इस बांध का निर्माण हुआ था। समझौते के तहत बांध का 60 फीसदी पानी मध्य प्रदेश को व 40 फीसदी पानी यूपी के महोबा जिले को दिया जाना तय किया गया था। जबकि बांध निर्माण की लागत ने हुये खर्चे का 60 फीसदी भुगतान यूपी सरकार ने किया था। साथ ही बांध की देख रेख का जिम्मा भी यूपी के सिंचाई विभाग के इंजीनियरों व कर्मचारियों के जिम्मे है। लेकिन इस साल उर्मिल बांध स्वयं पानी के लिये तरस रहा है।
बांध में पर्याप्त पानी नहीं है। उर्मिल बांध की अधिकतम भण्डारण क्षमता 236 मी0 है जबकि बांध का डेड लेविल 227 मी0 है। इस समय उर्मिल बांध में अभी तक 231 मी0 के आस-पास ही पानी का भण्डारण हो सका। हालांकि इस समय मानसून का दौर चल रहा है। सिंचाई विभाग के अवर अभियंता शिवम ने बताया कि बांध में जल भण्डारण का सिलसिला जारी है प्रति दिन 5 सेन्टी मी0 के हिसाब से बांध में पानी भर रहा है। बांध की देख-रेख व पानी की नाप, जोख के लिये सिंचाई विभाग के कर्मचारी यहां पूरी तरह मुस्तैद है और 24 घण्टे अलग-अलग सिफ्टों में डयूटी की जा रही है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष इन दिनों बांध में 234 मी0 पानी का भण्डारण हो चुका था। मानसून का दौर अभी जारी है आगामी दिनों में बांध अपने अधिकमत भण्डारण क्षमता तक पहुंच सकता है।

नलों की टोटियों से आ रहा दूषित व गंदा पानी
महोबा। जल संस्थान के अधिकारियों की लापरवाही शहरवासियों को भारी पड़ रही है। शहर में मुहैया करायी जा रही पेयजल आपूर्ति को लेकर जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहे हैं। हालात यह है कि आपूर्ति से पहले जल के शोधन को लेकर सजगता नहीं दिखाई जा रही है यही वजह है कि शहर में होने वाली पेयजल आपूर्ति का पानी दूषित आ रहा है। जिससे पेयजल आपूर्ति के कनेक्शन धारको को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोग नगद में पानी खरीदकर पीने को मजबूर है। दूषित पानी की आपूर्ति का सिलसिला पिछले काफी समय से जारी है। हालांकि इसको लेकर लोग कई बार नाराजगी भी जता चुके है। फिर भी जिम्मेदार पेयजल आपूर्ति को दुरुस्त करने को लेकर कोई ध्यान नहीं दे रहे है।

शहर में आधे से ज्यादा इलाकें में पहले शहर के मदन सागर तालाब को पेयजल आपूर्ति होती थी लेकिन बाद में महोबा पेयजल पुर्नगठन योजना के तहत जल निगम ने उर्मिल बांध से महोबा के लिये पाइप लाइन डालकर योजना को अमलीजामा पहनाया। उर्मिल बांध आने वाले पानी की अशुद्धियां दूर करने के लिये श्रीनगर कस्बे में पानी फिल्टर प्लांट भी लगाया गया है। इस फिल्टर प्लांट में शोधित होने के बाद पानी की आपूर्ति महोबा शहर के बाशिंदो को दिये जाने का प्रावधान है। लेकिन पानी को शोधित करने को लेकर अब लापरवाही सामने आ रही है। यह वजह है कि नलो के माध्यम से लोगों के घरो तक पहुंचने वाला पानी गंदा व दूषित आ रहा है। इसके बाद भी अधिकारी इस समस्या को नजर अंदाज किये है।
राष्ट्रीय जजमेंट के लिए महोबा से काजी आमिल की रिपोर्ट

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