आज का पंचांग 22 अगस्त 2020

0
??????????
*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ  पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
??????????
*दिनाँक -: 22/08/2020,शनिवार*
चतुर्थी, शुक्ल पक्ष
भाद्रपद
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ———-चतुर्थी 19:56:44        तक
पक्ष —————————शुक्ल
नक्षत्र ————हस्त 19:10:13
योग ————-साध्य 10:19:38
करण ——–वणिज 09:28:23
करण ——विष्टि भद्र 19:56:44
वार ————————शनिवार
माह ———————— भाद्रपद
चन्द्र राशि    ——————-कन्या
सूर्य राशि    ——————–सिंह
रितु —————————-वर्षा
सायन ————————-शरद
आयन —————– दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————-05:54:36
सूर्यास्त —————–18:48:56
दिन काल ————–12:54:20
रात्री काल ————11:06:08
चंद्रोदय —————-09:04:37
चंद्रास्त —————–21:23:51
लग्न —- सिंह 5°15′ , 125°15′
सूर्य नक्षत्र ——————–मघा
चन्द्र नक्षत्र ———————हस्त
नक्षत्र पाया ——————–रजत
*???  पद, चरण  ???*
ष —-हस्त 08:18:01
ण —-हस्त 13:43:47
ठ —-हस्त 19:10:13
पे —-चित्रा 24:37:26
*???  ग्रह गोचर  ???*
        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=सिंह 05°22 ‘  मघा    ,      2   मी
चन्द्र = कन्या 15°23 ‘    हस्त’     2   ष
बुध = सिंह 09°57 ‘    मघा    ‘   3  मू
शुक्र= मिथुन 19°55,   आर्द्रा  ‘     4   छ
मंगल=मेष  01°30’      अश्विनी ‘ 1    चु
गुरु=धनु  24°22 ‘   पू oषा o ,    4   ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o   ‘ 3   जा
राहू=मिथुन 01°50  ‘  मृगशिरा ,   3  का
केतु=धनु  01 ° 50 ‘       मूल    , 1    ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 09:08 – 10:45 अशुभ
यम घंटा 13:59 – 15:35 अशुभ
गुली काल 05:55 – 07:31  अशुभ
अभिजित 11:56 -12:48 शुभ
दूर मुहूर्त 07:38 – 08:29 अशुभ
?चोघडिया, दिन
काल 05:55 – 07:31 अशुभ
शुभ 07:31 – 09:08 शुभ
रोग 09:08 – 10:45 अशुभ
उद्वेग 10:45 – 12:22 अशुभ
चर 12:22 – 13:59 शुभ
लाभ 13:59 – 15:35 शुभ
अमृत 15:35 – 17:12 शुभ
काल 17:12 – 18:49 अशुभ
?चोघडिया, रात
लाभ 18:49 – 20:12 शुभ
उद्वेग 20:12 – 21:35 अशुभ
शुभ 21:35 – 22:59 शुभ
अमृत 22:59 – 24:22* शुभ
चर 24:22* – 25:45* शुभ
रोग 25:45* – 27:09* अशुभ
काल 27:09* – 28:32* अशुभ
लाभ 28:32* – 29:55* शुभ
?होरा, दिन
शनि 05:55 – 06:59
बृहस्पति 06:59 – 08:04
मंगल 08:04 – 09:08
सूर्य 09:08 – 10:13
शुक्र 10:13 – 11:17
बुध 11:17 – 12:22
चन्द्र 12:22 – 13:26
शनि 13:26 – 14:31
बृहस्पति 14:31 – 15:35
मंगल 15:35 – 16:40
सूर्य 16:40 – 17:44
शुक्र 17:44 – 18:49
?होरा, रात
बुध 18:49 – 19:44
चन्द्र 19:44 – 20:40
शनि 20:40 – 21:35
बृहस्पति 21:35 – 22:31
मंगल 22:31 – 23:27
सूर्य 23:27 – 24:22
शुक्र 24:22* – 25:18
बुध 25:18* – 26:13
चन्द्र 26:13* – 27:09
शनि 27:09* – 28:04
बृहस्पति 28:04* – 28:59
मंगल 28:59* – 29:55
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*?  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
   4 + 7 + 1 = 12  ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*?    शिव वास एवं फल -:*
  4 + 4 + 5 = 13  ÷ 7 = 6शेष
क्रीड़ायां  = शोक ,दुःख कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
प्रातः 09:29 से रात्रि 19:57  तक
पाताल लोक = धनलाभ कारक
*??    विशेष जानकारी   ??*
* श्री गणेश चतुर्थी व्रत (गणपति जन्मोत्सव)
* वरद चतुर्थी (पत्थर चौथ)
*कलंक चतुर्थी (चंद्र दर्शन निषेध)
*???   शुभ विचार   ???*
धन्या द्विजमयि नौका विपरीता भवार्णवे ।
तरन्त्यधोगताः सर्वे उपरिस्थाः पतन्त्यधः ।।
।।चा o नी o।।
    वह लोग धन्य है, ऊँचे उठे हुए है जिन्होंने संसार समुद्र को पार करते हुए एक सच्चे ब्राह्मण की शरण ली. उनकी शरणागति ने नौका का काम किया. वे ऐसे मुसाफिरों की तरह नहीं है जो ऐसे सामान्य जहाज पर सवार है जिसके डूबने का खतरा है.
*???  सुभाषितानि  ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
ते तं भुक्त्वा स्वर्गलोकं विशालंक्षीणे पुण्य मर्त्यलोकं विशन्ति।,
एवं त्रयीधर्ममनुप्रपन्ना गतागतं कामकामा लभन्ते ॥,
वे उस विशाल स्वर्गलोक को भोगकर पुण्य क्षीण होने पर मृत्यु लोक को प्राप्त होते हैं।, इस प्रकार स्वर्ग के साधनरूप तीनों वेदों में कहे हुए सकामकर्म का आश्रय लेने वाले और भोगों की कामना वाले पुरुष बार-बार आवागमन को प्राप्त होते हैं, अर्थात्‌ पुण्य के प्रभाव से स्वर्ग में जाते हैं और पुण्य क्षीण होने पर मृत्युलोक में आते हैं॥,21॥,

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More