आज का पंचांग 5 August 2020

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*********|| जय श्री राधे ||*********
?? *महर्षि पाराशर पंचांग* ??
??? *अथ  पंचांगम्* ???
*********ll जय श्री राधे ll*********
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*दिनाँक -: 05/08/2020,बुधवार*
द्वितीया, कृष्ण पक्ष
भाद्रपद
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि ——–द्वितीया 22:49:45       तक
पक्ष —————————-कृष्ण
नक्षत्र ———धनिष्ठा 09:29:14
योग ————शोभन 29:05:47
करण ———-तैतुल 10:18:20
करण ————–गर 22:49:45
वार ————————–बुधवार
माह ————————– श्रावण
माह ————————-भाद्रपद
चन्द्र राशि ——————-  कुम्भ
सूर्य राशि    ——————–कर्क
रितु —————————–वर्षा
आयन द ——————क्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————–05:45:57
सूर्यास्त —————–19:04:00
दिन काल ————–13:18:03
रात्री काल ————-10:42:28
चंद्रास्त —————-07:01:53
चंद्रोदय —————–20:29:57
लग्न —-कर्क 18°55′ , 108°55′
सूर्य नक्षत्र —————आश्लेषा
चन्द्र नक्षत्र ——————धनिष्ठा
नक्षत्र पाया ———————ताम्र
*???  पद, चरण ???*
गे —-धनिष्ठा 09:29:14
गो —-शतभिषा 15:53:32
सा —-शतभिषषा 22:19:37
सी —-शतभिषा 28:47:28
*???  ग्रह गोचर  ???*
        ग्रह =राशी   , अंश  ,नक्षत्र,  पद
========================
सूर्य=कर्क 18°22 ‘ आश्लेषा ,      1    डी
चन्द्र = कुम्भ 04°23 ‘ धनिष्ठा’     4  गे
बुध = कर्क 05 °57 ‘     पुष्य  ‘   1  हु
शुक्र= मिथुन 03°55,मृगशिरा  ‘   4    की
मंगल=मीन  25°30’       रेवती  ‘ 3   च
गुरु=धनु  25°22 ‘   पू oषा o ,    4   ढा
शनि=मकर 04°43’ उ oषा o   ‘ 3   जा
राहू=मिथुन 02°40  ‘ मृगशिरा ,   3  का
केतु=धनु  02 ° 40 ‘       मूल    , 1  ये
*???शुभा$शुभ मुहूर्त???*
राहू काल 12:25 – 14:05 अशुभ
यम घंटा 07:26 – 09:05 अशुभ
गुली काल 10:45 – 12:25  अशुभ
अभिजित 11:58 -12:52 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:58 – 12:52 अशुभ
?पंचक अहोरात्र अशुभ
?चोघडिया, दिन
लाभ 05:46 – 07:26 शुभ
अमृत 07:26 – 09:05 शुभ
काल 09:05 – 10:45 अशुभ
शुभ 10:45 – 12:25 शुभ
रोग 12:25 – 14:05 अशुभ
उद्वेग 14:05 – 15:45 अशुभ
चर 15:45 – 17:24 शुभ
लाभ 17:24 – 19:04 शुभ
?चोघडिया, रात
उद्वेग 19:04 – 20:24 अशुभ
शुभ 20:24 – 21:45 शुभ
अमृत 21:45 – 23:05 शुभ
चर 23:05 – 24:25* शुभ
रोग 24:25* – 25:46* अशुभ
काल 25:46* – 27:06* अशुभ
लाभ 27:06* – 28:26* शुभ
उद्वेग 28:26* – 29:46* अशुभ
?होरा, दिन
बुध 05:46 – 06:52
चन्द्र 06:52 – 07:59
शनि 07:59 – 09:05
बृहस्पति 09:05 – 10:12
मंगल 10:12 – 11:18
सूर्य 11:18 – 12:25
शुक्र 12:25 – 13:31
बुध 13:31 – 14:38
चन्द्र 14:38 – 15:45
शनि 15:45 – 16:51
बृहस्पति 16:51 – 17:58
मंगल 17:58 – 19:04
?होरा, रात
सूर्य 19:04 – 19:58
शुक्र 19:58 – 20:51
बुध 20:51 – 21:45
चन्द्र 21:45 – 22:38
शनि 22:38 – 23:32
बृहस्पति 23:32 – 24:25
मंगल 24:25* – 25:19
सूर्य 25:19* – 26:12
शुक्र 26:12* – 27:06
बुध 27:06* – 27:59
चन्द्र 27:59* – 28:53
शनि 28:53* – 29:46
*नोट*– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
*?दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
*शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l*
*भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll*
*?  अग्नि वास ज्ञान  -:*
*यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,*
*चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।*
*दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,*
*नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।* *महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्*
*नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।*
       15 + 2 + 4 + 1 =  22 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*?    शिव वास एवं फल -:*
   17 + 17 + 5 = 39  ÷ 7 = 4 शेष
सभायां  = सन्ताप कारक
*?भद्रा वास एवं फल -:*
*स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।*
*मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।*
*??    विशेष जानकारी   ??*
*अशून्य शयन व्रत
*हिंडोला समाप्त
*???   शुभ विचार   ???*
सुसिध्दमौषधं धर्मं गृहच्छिद्रं च मैथुनम् ।
कुभुक्तं कुश्रुतं चैव मतिमान्न प्रकाशयेत् ।।
।।चा o नी o।।
   जो  व्यक्ति बुद्धिमान है वह निम्न लिखित बाते किसी को ना बताये…
वह औषधि उसने कैसे बनायीं जो अच्छा काम कर रही है.
वह परोपकार जो उसने किया.
उसके घर के झगडे.
उसकी उसके पत्नी के साथ होने वाली व्यक्तिगत बाते.
उसने जो ठीक से न पका हुआ खाना खाया.
जो गालिया उसने सुनी.
*???  सुभाषितानि  ???*
गीता -: राजविद्याराजगुह्ययोग अo-09
मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना ।,
मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं तेषवस्थितः ॥,
मुझ निराकार परमात्मा से यह सब जगत्‌ जल से बर्फ के सदृश परिपूर्ण है और सब भूत मेरे अंतर्गत संकल्प के आधार स्थित हैं, किंतु वास्तव में मैं उनमें स्थित नहीं हूँ॥,4॥

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