जम्मू कश्मीर: बीते 1 साल में सियासी गतिविधियों में दिखा बदलाव, नई पार्टी ‘अपना दल’ का हुआ गठन

0
जम्मू-कश्मीर में बीते एक साल में हुए बदलावों के साथ ही सियासी समीकरण भी बदल गए। नए दल ‘अपनी पार्टी’ का गठन हुआ तो एक और पार्टी बनाने की कवायद जारी है। यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट नाम का संगठन भी अस्तित्व में आया। इतना ही नहीं, सेल्फ रूल तथा ऑटोनामी के नारे खामोश हो गए।
अनुच्छेद 370 की बहाली का राग अलापना बंद कर अब घाटी आधारित पार्टियां राज्य का दर्जा बहाल करने पर फोकस कर रही हैं। नए जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा नुकसान पीडीपी को उठाना पड़ा है। पार्टी के ज्यादातर पूर्व मंत्रियों, पूर्व विधायकों एवं नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से किनारा कर लिया है।
गिने-चुने सिपहसालार ही उनके साथ हैं। नेकां ऑटोनामी तथा पीडीपी सेल्फ रूल की वकालत करती रही है, लेकिन पिछले एक साल में दोनों दलों ने इन मुद्दों पर राजनीति से तौबा कर ली है। नेकां अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला हों या फिर उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला दोनों अनुच्छेद 370 की बहाली के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं।
हालांकि दोनों नेताओं ने इस दौरान राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग पर जोर दिया है। उमर ने तो केंद्र शासित प्रदेश रहने तक विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का एलान भी कर दिया है। वहीं, पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी के नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी ने भी राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग उठाई है। पीडीपी सांसद नजीर लावे के नेतृत्व में एक और दल बनाए जाने की कवायद भी शुरू हो गई है।
महबूबा और फैसल एक साल से नजरबंद
महबूबा मुफ्ती के एक साल से हिरासत में होने से पीडीपी की राजनीतिक गतिविधियां बिल्कुल ठप हैं। नेकां ने घाटी में कुछ हद तक इसकी शुरुआत की है। बावजूद इसके घाटी में राजनीतिक हलचल नहीं के बराबर है।
आईएएस की नौकरी छोड़ राजनीति में भाग्य आजमाने वाले शाह फैसल भी नजरबंद हैं। अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद से ही नजरबंद महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी को 30 जुलाई को तीन महीने के लिए और बढ़ा दिया गया है।
जम्मू कश्मीर से शाहिल मीर की रिपोर्ट

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More