जौनपुर 29 स्थानों पर की गई कोरोना वायरस की जांच, वायु प्रदूषण से हो सकता है वायरस का खतरा

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जिला अस्पताल समेत 29 स्थानों पर की गई जांच
जौनपुर: कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए शासन के निर्देश पर जिले में सतर्कता बढ़ा दी गई है। पाजिटिव मरीजों की त्वरित पहचान कर आइसोलेट करने के लिए जिला चिकित्सालय समेत 29 स्थानों पर एंटीजेन किट से जांच की गई। स्वास्थ्य विभाग का हर दिन दो हजार से अधिक लोगों की जांच का लक्ष्य है।
जनपद में आरटी-पीसीआर से जांच कराई जा रही थी। अधिक लोड होने के कारण रिपोर्ट आने में कई दिन लग जा रहे थे जिससे संक्रमण के फैलने का खतरा बढ़ता जा रहा था। त्वरित उपचार हेतु 14500 एंटीजेन किट शासन से भेजी गयी है। इसके माध्यम से 30 मिनट में कोरोना की जांच हो जा रही है। संयुक्त स्वास्थ्य निदेशक डा. गिरीश चंद्र द्विवेदी ने बताया कि नगर में जिला चिकित्सालय के अलावा चार मोबाइल टीमें व तीन स्थानों पर स्टैटिक टीमें नियमित जांच कर रही हैं। इसके अलावा जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों व शाहगंज पुरुष चिकित्सालय में किट से जांच हो रही है।
एल-1 प्लस अस्पताल में 11 और मरीज हुए भर्ती
जौनपुर: जनपद में अच्छी सुविधा पाने की मंशा वाले कोरोना पीड़ितों की सूची लंबी होती जा रही है। रविवार को बैंक कर्मचारियों समेत 11 और लोग एल-1 प्लस अस्पताल में भर्ती हुई। दो लोग पूर्व में भर्ती हुए थे। शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन ने प्रथम चरण में जिले के दो अस्पतालों को एल-1 प्लस अस्पताल के लिए अधिकृत किया है। होम फैसिलिटी में के मरीजों की संख्या पहुंची 81
जौनपुर: कोरोना पीड़ितों के लिए सरकार की व्यवस्था नाकाफी साबित हो रही है। मरीजों की बढ़ती भीड़ देख होम फैसिलिटी में रहने वालों की तादाद दो दिन में बेतहाशा बढ़ गई है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े के मुताबिक अभी तक 81 लोग इस सुविधा का लाभ ले रहे हैं। वहीं 25 कोरोना पाजिटिव मरीजों ने इसके लिए आवेदन किया है।
कोरोना की जांच में तीन संक्रमित
बदलापुर(जौनपुर) : रविवार को सीएचसी में एंटीजेन किट से हुई जांच में तीन लोगों की रिपोर्ट पाजिटिव आयी है। अधीक्षक डा. संजय दुबे ने बताया कि एंटीजेन किट से 25 लोगों की जांच की गयी जिसमें सीएचसी में तैनात एएनएम के पति सहित दो की रिपोर्ट पाजिटिव आयी है।
वायु प्रदूषण रोकने से ही टलेगा कोरोना का खतरा
मल्हनी (जौनपुर): कोराना वायरस गर्मी और मानसून में खत्म हो जाएगा, ऐसा नहीं है। यह एक रिसर्च में खुलासा हुआ। कोरोना वायरस के फैलाव में तापमान एकमात्र कारण नहीं है। रिसर्च में सलाह दी गई है कि कोरोना को लेकर गर्म देशों को भी पूरे एहतियात लागू करने चाहिए।
पूर्वांचल विश्वविद्यालय के रज्जू भैया भौतिकीय विज्ञान अध्ययन एवं शोध संस्थान के भू एवं ग्रहीय विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा.श्रवण कुमार का शोधपत्र अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठित एल्सेवियर जर्नल ‘साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट’ में प्रकाशित हुआ है। इसमें यह निष्कर्ष निकला कि कोरोना वायरस का प्रसारण गर्म और आ‌र्द्र (उच्च निरपेक्ष आ‌र्द्रता) वातावरण में कम हो सकता है। भारत की स्थिति में सही नहीं पाया गया है।
इसके अलावा उन्होंने भारत में प्रतिबंध के समय वायु-प्रदूषण में हुई कमी का भी अध्ययन किया और पाया कि प्रतिबंध के समय वायु-प्रदूषण एवं एयरोसोल में करीब 50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई जबकि यह गिरावट उत्तर भारत के लिए 60 प्रतिशत से ज्यादा पाई गई। उन्होंने बताया कि इस अध्ययन में, मार्च अप्रैल और मई महीने के लिए कोविड-19 वायरस से प्रभावित भारतीय क्षेत्र के स्थानीय मौसम के पैटर्न का विश्लेषण करते हुए दैनिक कोविड-19 के केस, तापमान, सापेक्ष आ‌र्द्रता और निरपेक्ष आ‌र्द्रता जैसे मौसम संबंधी मापदंडों के प्रभाव की जांच की गई है।
हमने भारत भर में महामारी फैलाने में एयरोसोल की भूमिका की भी जांच की है क्योंकि इसकी संभावित प्रकृति हवा द्वारा फैलने की भी पाई गई है। प्रतिबंध अवधि के दौरान, एयरोसोल्स और अन्य प्रदूषक 60 से 45 प्रतिशत की गिरावट के साथ तेजी से कम हो गए। यह संभावना है कि इस कमी ने एयरोसोल कणों की अनुपलब्धता के कारण भारत में एयर ट्रांसमिशन के माध्यम से कोविड-19 के खतरे को कम कर दिया था। कुलपति समेत शिक्षकों ने उन्हें इसके लिए बधाई दी है।
जौनपुर –  कुंवर अंकित सिंह  राष्ट्रीय जजमेंट संवाददाता

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