आज का पंचांग 26 जुलाई 2020

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महर्षि पाराशर पंचांग
अथ पंचांगम
*दिनाँक -:-26/07/2020,रविवार*
षष्ठी, शुक्ल पक्ष
श्रावण
(समाप्ति काल)
तिथि ————षष्ठी 09:31:47 तक
पक्ष —————————शुक्ल
नक्षत्र ————हस्त 12:36:13
योग ————-सिद्ध 23:41:46
करण ———–तैतुल 09:31:47
करण ————–गर 20:19:18
वार ————————–रविवार
माह ————————– श्रावण
चन्द्र राशि —-कन्या 23:48:14
चन्द्र राशि ———————तुला
सूर्य राशि ———————-कर्क
रितु —————————–वर्षा
आयन ——————दक्षिणायण
संवत्सर ———————–शार्वरी
संवत्सर (उत्तर) ————-प्रमादी
विक्रम संवत —————-2077
विक्रम संवत (कर्तक) —-2076
शाका संवत —————-1942
वृन्दावन
सूर्योदय —————–05:40:38
सूर्यास्त —————–19:10:32
दिन काल ————–13:29:53
रात्री काल ————-10:30:38
चंद्रोदय —————–11:14:48
चंद्रास्त —————–23:24:50
लग्न —-कर्क 9°21′ , 99°21′
सूर्य नक्षत्र ——————–पुष्य
चन्द्र नक्षत्र ——————–हस्त
नक्षत्र पाया ——————रजत
*?पद, चरण ?
ण —-हस्त 07:00:58
ठ —-हस्त 12:36:13
पे —-चित्रा 18:11:57
पो —-चित्रा 23:48:14
रा —-चित्रा 29:25:08
? ग्रह गोचर ?
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
========================
सूर्य=कर्क 09°22 ‘ पुष्य, 2 हे
चन्द्र = कन्या 19 °23 ‘ हस्त ‘ 3 ण
बुध = मिथुन 19 °57 ‘ आर्द्रा ‘ 4 छ
शुक्र= वृषभ 25°55, मृगशिरा ‘ 1 वे
मंगल=मीन 21°30′ रेवती ‘ 2 दो
गुरु=धनु 26°22 ‘ उ oषाo , 1 भे
शनि=मकर 05°43′ उ oषा o ‘ 4 जी
राहू=मिथुन 03°10 ‘ मृगशिरा , 4 की
केतु=धनु 03 ° 10 ‘ मूल , 2 यो
?शुभा$शुभ मुहूर्त?
राहू काल 17:29 – 19:11 अशुभ
यम घंटा 12:26 – 14:07 अशुभ
गुली काल 15:48 – 17:29 अशुभ
अभिजित 11:59 -12:53 शुभ
दूर मुहूर्त 17:23 – 18:17 अशुभ
?चोघडिया, दिन
उद्वेग 05:41 – 07:22 अशुभ
चर 07:22 – 09:03 शुभ
लाभ 09:03 – 10:44 शुभ
अमृत 10:44 – 12:26 शुभ
काल 12:26 – 14:07 अशुभ
शुभ 14:07 – 15:48 शुभ
रोग 15:48 – 17:29 अशुभ
उद्वेग 17:29 – 19:11 अशुभ
?चोघडिया, रात
शुभ 19:11 – 20:29 शुभ
अमृत 20:29 – 21:48 शुभ
चर 21:48 – 23:07 शुभ
रोग 23:07 – 24:26* अशुभ
काल 24:26* – 25:45* अशुभ
लाभ 25:45* – 27:04* शुभ
उद्वेग 27:04* – 28:22* अशुभ
शुभ 28:22* – 29:41* शुभ
?होरा, दिन
सूर्य 05:41 – 06:48
शुक्र 06:48 – 07:56
बुध 07:56 – 09:03
चन्द्र 09:03 – 10:11
शनि 10:11 – 11:18
बृहस्पति 11:18 – 12:26
मंगल 12:26 – 13:33
सूर्य 13:33 – 14:41
शुक्र 14:41 – 15:48
बुध 15:48 – 16:56
चन्द्र 16:56 – 18:03
शनि 18:03 – 19:11
?होरा, रात
बृहस्पति 19:11 – 20:03
मंगल 20:03 – 20:56
सूर्य 20:56 – 21:48
शुक्र 21:48 – 22:41
बुध 22:41 – 23:33
चन्द्र 23:33 – 24:26
शनि 24:26* – 25:18
बृहस्पति 25:18* – 26:11
मंगल 26:11* – 27:04
सूर्य 27:04* – 27:56
शुक्र 27:56* – 28:49
बुध 28:49* – 29:41
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
?दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम*
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
? अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।।
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
6 + 1 + 1 = 8 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
? शिव वास एवं फल -:
6 + 6 + 5 = 17 ÷ 7 = 3 शेष
वृषभारूढ़ = शुभ कारक
?भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
? विशेष जानकारी ?
*सर्वार्थ एवं अमृत सिद्धि योग 12:36 तक
* कारगिल विजय दिवस
* ऋक् हिरण्यकेशी श्रावणी
? शुभ विचार ?
जलै तैलं खले गुह्यं पात्रे दानं मनागपि ।
प्राज्ञे शास्त्रं स्वयं याति विस्तारे वस्तुशक्तितः ।।
।।चा o नी o।।
पानी पर तेल, एक कमीने आदमी को बताया हुआ राज, एक लायक व्यक्ति को दिया हुआ दान और एक बुद्धिमान व्यक्ति को पढाया हुआ शास्त्रों का ज्ञान अपने स्वभाव के कारण तेजी से फैलते है.
? सुभाषितानि ?
गीता -: विभूतियोग अo-10
द्यूतं छलयतामस्मि तेजस्तेजस्विनामहम्‌ ।,
जयोऽस्मि व्यवसायोऽस्मि सत्त्वं सत्त्ववतामहम्‌ ॥,
मैं छल करने वालों में जूआ और प्रभावशाली पुरुषों का प्रभाव हूँ।, मैं जीतने वालों का विजय हूँ, निश्चय करने वालों का निश्चय और सात्त्विक पुरुषों का सात्त्विक भाव हूँ॥,36॥,

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