बाराबंकी: आतिक्रमण हटाने के नाम पर हो रहा है पटरी दुकानदारों का शोषण

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 बाराबंकी को साफ सुथरा दिखाने के लिए नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी और नवाबगंज तहसील के तहसीलदार महोदय ने चलाई अतिक्रमण हटाने की मुहिम लेकिन इस मुहिम का आलम यह रहा की पटरी दुकानदारों को छोड़कर के रोड पर लग्जरी वाहनों का काफिला और जिलाधिकारी कार्यालय के सामने चल रहे, जिला अधिकारी महोदय की नाक के नीचे चल रहे अवैध मोटरसाइकिल-साइकिल स्टैंड पर नहीं जाती जबकि वहां पर जिलाधिकारी महोदय से आदेशित एक बोर्ड जिस पर स्पष्ट शब्दों में लिखा हुआ है कि ” नो पार्किंग ज़ोन”।\
यह बोर्ड, यह आदेश न तो जिले के उच्चाधिकारियों को दिखता है और न ही पटरी दुकानदारों की रोजी-रोटी पर जेसीबी रूपी दैत्य का संचालन करने वाले कर्मचारियों को। इस संबंध में जब अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद बाराबंकी से मौके पर बात करने की कोशिश की गयी तो उन्होंने ने बताया कि, “देश अब आजाद हुआ है।” यह सब बाद में देखा जायेगा, और अपनी लग्जरी गाड़ी का शीशा बंद कर रवाना हो गए। देश की सरकार चाहे वह केंद्र की हो या राज्य की कोविड-19 से जूझ रहे देश और देश की गरीब जनता के लिए रोजगार और जीविका की योजना बना रही है वहीं पर जिला प्रशासन अतिक्रमण हटाने के नाम पर गरीब जो कि किसी तरीके से अपनी जीविका चला रहे हैं उनका शोषण करने पर आमादा है।
देश में गरीब के शोषण की नीति आज से नहीं बल्कि आदि से चलती आ रही है। वर्तमान दौर में जो चीजें सामने होती भी है तो अधिकारी की गर्दन इधर-उधर ना घूम करके सिर्फ अपनी लग्जरी गाड़ियों में बैठकर मोबाइलों पर टिकी रहती है। जब सरकार का फरमान आता है तो मौके पर सिर्फ और सिर्फ गरीबों के लिए दुश्वारियां खड़ी करना इनकी फितरत में शुमार हो चुका है। अब सामने सवाल यह है आता है कि केंद्र और राज्य सरकार की मंशा पर पानी फेर रहे जिला प्रशासन के उच्च अधिकारी और कर्मचारी क्या आम आदमी को जीने देंगे या नहीं? क्या इनका शोषण ऐसे ही चलता रहेगा? और इन अधिकारियों को ज़मीनी स्तर पर कार्ययोजना के प्रति कर्तव्य निष्ठा का बोध आखिर कब होगा?
अतुल श्रीवास्तव बाराबंकी

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