महोबा: भूजल सप्ताह समापन-वीडीओं कान्फ्रेसिंग में सीएम ने दी जानकारी, 625 चेकडैमों का निर्माण

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  • कलेक्ट्रेट एनसीआर में वीसी में मौजूद रहे जिले के अधिकारी
  • जनपद में 800 मि0मी0 होती है औषतन वर्षा
महोबा 22 जुलाई। वर्षा एवं जल संचयन एवं भूजल संरक्षण हेतु मनाये गये भूजल सप्ताह के समापन के अवसर पर मुख्यमंत्री द्वारा वीसी के माध्यम से सम्बोधित किया है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 16 से 22 जुलाई तक वर्षा जल संचयन एवं भूजल संरक्षण हेतु मनाये गये सप्ताह समापन समारोह के मौके पर वीडीओ कान्फ्रेसिंग के माध्यम से सम्बोधित किया है। वीडीयो कान्फ्रेसिंग कलेक्ट्रेट स्थित एनसीआर में जिलाधिकारी अवधेश कुमार तिवारी की अध्यक्षता व जिला पंचायत ममता यादव की उपस्थित में सम्पन्न हुयी। इस अवसर पर जिला मजिस्ट्रेट में जनपद वासियों को जानकारी देते हुये बताया कि जल ही जीवन का आधार है। मनुष्य, पशु, पक्षी, वनस्पतियों एवं पेड़ पौधो सभी में 65 से 70 प्रतिशत जल का अंश होता है। हमारे देश में जल संरक्षण का आदिकाल से प्रचलित है। बुन्देलखण्ड में बुंदेल एवं चंदेल राजाओं द्वारा निर्मित बड़े-बड़े तालाबों की विशाल श्रृंखला है जिसमें आज भी वर्षा जल को एकत्रित कर पेयजल एवं सिंचाई कार्यो में भालीभांति उपयोग हो रहा है।
उन्होंने बताया कि जनपद का क्षेत्र फल 2884 वर्ग मीटर है। मुख्य नदिया बरसाती है, यथा, धसान, उर्मिल, चंद्रावल, बिरमा, अर्जुन है। यहां की मुख्य फसलें गेंहू, दाले, सरसों, मूंगफली व पान है। जनपद में औषत वर्षा 800 मि0मी0 होती है यहां के कृषको का जीवन मूल्य रूप से खेती पर आधारित है। यहां के 22 प्रतिशत क्षेत्र में अन्य साधनों से सिंचाई होती है। तथा बाकी वर्षा पर निभर होता है। जिसके लिये सिंचाई हेतु सतही जल एवं ग्राउण्ड वाटर पर निर्भर होना पड़ता है।
यहां उक्त नदियों के अतिरिक्त पठारी एवं पहाड़ी नालें बहुत है। यहां के कृषको को वर्षा जल से सिंचाई करने के अतिरिक्त अन्य संसाधनों में नदी व नालों पर चेकडैम बनाकर तथा तालाबों व पोखरो को संरक्षित करने तथा इसका समूचित एवं लाभकारी उपयोग हेतु रख रखाव की आवश्यकता होगी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में आबादी बढ़ने के साथ जल का उपयोग मीने के पानी, साफ-सफाई वर्षा, भूमि उपयोग पशु पालन में वृद्धि के कारण बढ़ रहा है। जल आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उथले एवं गहरे नल कूपे की संख्या भी बड़ी है जिसके कारण भूगर्भ जल स्तर में निरंतर में गिरावट आयी है। परिणाम स्वरूम वर्ष 2014 से जनपद में बोरिंग कार्य प्रतिबंधित किया गया है।
डीएम ने बताया कि भूजल की कम उपलब्धता के कारण गर्मियों में हैण्डपम्प सूखने लगते है जिससे पेयजल की समस्या बन जाती है। इस लिए अधिकाधिक भूजल को रोकने के लिये अपनी पुरानी वर्षा जलाधारित जल संरक्षण के महत्व का आभास हो रहा है। तथा उनके संरक्षण रखरखाव की आवश्यकता है। इस मौके पर डीडीओ आरएस गौतम, डीडी एजी, जीराम, एक्सईएन लघु सिंचाई अरूण कुमार यादव, एई मनोज कुमार शाह, डीआईओ सतीश यादव, शिवकुमार गोस्वामी, जगभान सिंह सेंगर, महेश वर्मा, राजेश चौबे, रूद्रप्रताप सिंह, जयेंद्र कुमार मौजूद रहे।
इनसेट
जनपद में 625 चेकडैमों का कराया गया निर्माण : डीएम
महोबा। जिलाधिकारी अवधेश कुमार तिवारी ने जानकारी देते हुये बताया कि जनपद में भूजल रिर्चाजिंग हेतु नदी, नालों पर चेकडैम का निर्माण कराये जाने का समावेश किया गया है। अब तक हुये जनपद में 625 चेकडैमो का निर्माण किया जा चुका है। तथा कई खेत तालाब भी खोदे गये है। स्थानीय कृषकों को उससे सिंचाई में सुविधा होती है। तथा जल के रोपित होने से जलग्राही संस्तर में रिसाव से जल स्तर में आ रही भारी गिरावट पर भी अंकुश लगा पाने में सफलता मिलेगी। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही परम्परागत जल श्रोतों के संवर्धन एवं संरक्षण हेतु तालाबों का पुर्नविकास/जीर्णोद्वार का कार्य भी किया जा रहा है इसके अतिरिक्त गांव के पुराने तालाबों की खुदाई व गहराई बढ़ाना एवं तालाब की जल भण्डारण क्षमता को बढ़ाना, पशु को पानी के लिये गर्मियो तक पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करना, भूगर्भ जल स्तर में रिचार्ज करना जिससे गर्मियों में भी हैण्डपम्पों में पानी का जल उपलब्ध हो सके।
इस योजना में तालाबों की गहराई भूसतह से कम से कम 3 मीटर तक किया जाना है। बताया इसके अलावा नदियो और नालों में ट्रेंच का निर्माण भी किया जा रहा है ताकि वर्षा जल को बहने से रोका जा सके। डीएम ने यह भी कहां कि भूजल संवर्धन का कार्य एक बड़ी जन भागीदारी से ही किया जा सकता है। प्रदेश सरकार ने भूजल संरक्षण हेतु किये उत्तर प्रदेश ग्राउण्ड वाटर मैनेजमेंट अधिनियम 2019 भी प्रख्यापित किया है। इसमें भूजल प्रदूषण को रोकने तथा हर संभव जल का संरक्षण करने के पर्यापत उपाय किये गये है। उन्होंने कहां कि जल ही जीवन है। इसको हर संभव बचाने का प्रयास किया जाये।
रिपोर्ट- काजी आमिल

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