सिंचाई मंत्री के अजीब निर्देश नदियों की नियमित पूजा करने से रुकेगा बाढ़ का कहर

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कोरोना वायरस से निपटने के लिए पीएम मोदी के थाली पीटो, दिया जलाओ जैसे उपायों की तर्ज पर योगी सरकार ने और एक कदम आगे बढ़ते हुए उत्तर प्रदेश में बाढ़ के खतरे से निपटने के लिए नदियों की पूजा का उपाय ढूंढ निकाला है। जी हां, ये कोई मजाक नहीं है। इसके लिए बाजाप्ता जल संसाधन मंत्री की ओर से सिंचाई विभाग के कर्मचारियों को निर्देश जारी किए गए हैं।
दरअसल उत्तर प्रदेश में कोरोना के कहर के बीच अब कई जिलों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है। कई जिलों में नदियां उफान पर हैं, जिससे कटाव जारी है और बाढ़ का पानी गांवों में घुसने लगा है। इस बीच बाढ़ के खतरे क देखते हुए योगी सरकार में जल संसाधन मंत्री महेंद्र सिंह ने बाढ़ रोकने के लिए सिंचाई विभाग को उन नदियों की नियमित पूजा करने के निर्देश दिए हैं, जिनका जल स्तर काफी बढ़ा और बाढ़ का खतरा पैदा हो गया है।
खबरों के मुताबिक जल संसाधन मंत्री महेंद्र सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सूबे में बाढ़ को लेकर ऐहतियाती कदम की समीक्षा बैठक के दौरान इस तरह के निर्देश दिए। बैठक के बाद मंत्री के इस निर्देश से जुड़ा एक प्रेस नोट भी जारी किया गया। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार मंत्री के प्रवक्ता ने बताया, “मंत्री जी ने फील्ड स्टाफ से नदियों की नियमित पूजा करने और उन्हें फूल अर्पित करने के निर्देश दिए हैं। यह कोई नई परंपरा नहीं है। ऐसा नदियों के पास रहने वाले लोग लंबे समय से करते आ रहे हैं। हिंदू धर्म के लोग नदियों को देवी मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। बाढ़ को काबू करने के लिए भी फील्ड स्टाफ को ऐसा ही करना चाहिए।”
जल संसाधन मंत्री के प्रवक्ता ने बताया कि बैठक में मंत्री जी ने इसके अलावा फील्ड स्टाफ को बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के फोटो-वीडियो भेजने के भी निर्देश दिए। जल संसाधन मंत्री ने अधिकारियों-कर्मचारियों को हालात की जमीनी स्थिति और किसी आपात स्थिति को लेकर मुख्यालय को जानकारी देने का भी निर्देश दिया।
दरअसल, पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश में लगातार बारिश और नेपाल के पहाड़ से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण प्रदेश की कई नदियों का जल स्तर काफी बढ़ गया है। इसी बीच, केंद्रीय जल आयोग ने अनुमान जताया है कि घागरा नदी का जल स्तर बढ़ने के कारण बाराबंकी और फैजाबाद में बाढ़ जैसे हालात पनप सकते हैं। इसके अलावा बहराइच में तो घागरा नदी खतरे के निशान से काफी ऊपर बह रही है और इसका पानी आसपास के खेतों और गांवों में घुस चुका है, जिसकी वजह से वहां से लोगों को हटाने का काम शुरू हो गया है।
बता दें कि पिछले साल उत्तर प्रदेश में करीब 100 लोगों की जान बाढ़ के कारण चली गई थी। इसके बावजूद प्रदेश की योगी सरकार नहीं जागी। बल्कि इसके उलट ऐसे उलजलूल निर्देशों के जरिये लोगों की जान और खतरे में डाल रही है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा कोरोना वायरस के शुरुआती आक्रमण के समय पीएम मोदी ने किया था, जब अस्पतालों, पीपीई किट, मास्क और लोगों के लिए भोजन का इंतजाम करने की बजाए उन्होंने लोगों से कोरोना को हराने के लिए थाली पीटने और दिया जलाने का आह्वान किया था। उसके बाद देश में कोरोना की स्थिति क्या है, सबको पता है।

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