मैरीकॉम के कोच छोटेलाल यादव द्रोणाचार्य पुरुस्कार के लिये नामित,उनके कैरियर पर एक नजर

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बॉक्सिंग की 6 बार की विश्व चैंपियन मैरीकॉम के कोच छोटे लाल यादव को बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की तरफ से द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए नामित किया गया है।

छोटेलाल यादव वर्तमान में सेना में कार्यरत हैं और उत्तर प्रदेश में वाराणसी के पहाड़ी गांव के निवासी हैं।

फेडरेशन ने छोटेलाल के साथ रेलवे के मोहम्मद अली कमर के नाम की भी सिफारिश की है।

इन्हीं दो नामों में से किसी एक को यह अवार्ड मिलेगा।

सेना में 2005 से ही सूबेदार के पद पर तैनात छोटेलाल लॉकडाउन के बाद से ही अपने घर ही हैं।

खास बात है कि मैरीकाॅम से छोटेलाल 4 साल छोटे हैं।

छोटेलाल की उम्र 33 साल और मेरी कॉम की 37 साल है।

मैरीकॉम कोच छोटेलाल को इतना मानती है कि उनकी कोचिंग में जीते गए कई गोल्ड मेडल के बाद उन्होंने अपने ग्लव्स को बेस्ट विशेज के रूप में ही दे दिया।

उन्होंने मैैरीकॉम और अपने जीवन से जुड़े दिलचस्प संघर्षों की कहानी बयां की।

जानिए उनकी कहानी उनकी ही जुबानी…

दस साल की उम्र में ही ट्रायल देने पहुंच गया

छोटे लाल यादव ने बताया,

“मैं 10 साल की उम्र में ही सिगरा स्टेडियम में ट्रायल देने पहुंच गया था और मेरा सिलेक्शन भी हो गया।

पिता राधा कृष्ण यादव रेलवे में क्लास थ्री कर्मचारी के पद से रिटायर हुए थे।

उन्होंने 1998-99 में मुझे 10-11 साल की उम्र में दौड़ लगवाना शुरू किया था।

इसी साल सिगरा स्टेडियम में पुणे की स्पोर्ट्स कंपनी द्वारा ट्रायल चल रहा था।

मुझे एक लड़के ने इसके बारे में बताया था। मैं भी पापा से पूछकर ट्रॉयल देने पहुंच गया।

दर्जनों बच्चो में मैंने टॉप किया। फिर मुझे कुछ ही दिनों बाद पुणे में ट्रायल को बुलाया गया।

पुणे के ट्रायल में मैंने फिर से परफॉर्मेंस को देखते हुए स्पोर्ट्स कम्पनी (आर्मी ही देखती है) में सिलेक्ट हो गया।”

स्विमर से बॉक्सर बनने  की कहानी-

“पुणे में कुछ महीनों तक मैं तैराकी केे अभ्यास में जुटा रहा।

कोच ने फुर्ती और परफॉर्मेंस को देखते हुए मुझे बॉक्सर बनाने का फैसला किया।

11 साल के बच्चों की टीम से मुझे 12 साल की बच्चों की टीम में शिफ्ट कर दिया।

यहीं से बॉक्सिंग का करियर शुरू हो गया।

साल 2000 में 14 साल की उम्र में महाराष्ट्र को-स्टेट चैंपियनशिप में गोल्ड जीता और एक साल तक बेस्ट मुक्केबाज बना रहा।

पापा मुझे उस समय भी 500 रुपये भेजा करते थे।”

सुनील दत्त ने पहला गोल्ड जीतने पर दिए थे 50 हजार रुपए

“उसके बाद एशियन कैडेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप वियतनाम 2004 में पहला गोल्ड 15-16 साल की उम्र में जीता था,

उस समय के खेल मंत्री सुनील दत्त ने महराष्ट्र आने पर पहली बार 50 हजार का नगद पुरस्कार देकर सम्मानित किया था।

जब मुझे स्विमिंग से बॉक्सिंग में शिफ्ट किया गया तो साथियों और सीनियर खिलाड़ियों ने खूब ताने दिए।

वो मुझे बोलते थे कभी इंटरनेशनल नहीं खेल पाओगे। प्रैक्टिस के बाद जिम में ही सो जाया करता था।

मुझे जुनून सवार हो गया, इंडिया के लिए खेलने का।

जब सपना पूरा हुआ तो उन्हीं साथियों ने गले लगाया।”

ट्रेनिंग के लिए पिता ने पीएफ का पैसा दिया
“जीवन का सबसे यादगार किस्सा तब आया,

जब ट्रेनिंग के लिए 2003 में उज्बेकिस्तान गया।

सभी खिलाड़ी घरों से पैसे मंगा रहे थे। मैने भी पापा से पैसे के लिए कहा था।

उन्होंने दो-तीन दिनों के अंदर ही 10 हजार रुपए मेरे पास भेज दिए।

ट्रेनिंग के दौरान मेरे कोच ने बताया कि पापा ने पीएफ तोड़कर पैसे भेजे हैं। इसे खर्च मत करो।

कुछ पैसे खर्च हुए थे। बाकी पैसे लौटकर पिताजी को वापस कर दिए।

उसी दिन समझ गया पिताजी किस कष्ट से परिवार को संभाल रहे है।”

मैरीकॉम के साथ टूर्नामेंट खेलने को मिला-

उन्होंने बताया कि 2010 एशियन गेम चाइना में मैरीकॉम के साथ खेलने गया था।

वह मेडल जीतकर आईं और मैं हार गया। 2012 लंदन ओलंपिक में मैरीकॉम का चयन हो चुका था।

मेरा सिलेक्शन भी इंडियन टीम कैंप में हुआ था।

अचानक इंजरी की वजह से मुझे कैंप से बाहर होना पड़ा था।

2012 और 2013 आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट पुणे में सहायक कोच के रूप में काम करता रहा।

2014 में एनएस एनआईएस (नेताजी सुभाष नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ स्पोर्ट्स ) करने पटियाला चला गया और वहां पढ़ाई में डिप्लोमा करते हुए भी टॉप किया।

2015 में भारतीय महिला मुक्केबाज टीम के कोच के लिए ऑफर आ गया और मैरीकॉम की ट्रेनिंग का जिम्मा मिला।

मेरे कोच बनने के बाद मैरीकॉम ने कई गोल्ड जीते
कोच बनने के बाद एशियन चैंपियनशिप वियतनाम 2017 में मैरीकॉम को गोल्ड,

फिर कामनवेल्थ गेम्स ऑस्ट्रेलिया 2018 में गोल्ड, 2018 में वर्ल्ड चैंपियनशिप दिल्ली में गोल्ड, वर्ल्ड चैंपियनशिप रूस 2019 में ब्रांच मेडल,

फिर टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई भी कर लिया, जो कोरोना के चलते टल गया है। अब यह 2021 में होगा।

मैरीकॉम का कोच बनने के बाद यादगार किस्से-

2017 में मंगोलिया में इंटरनेशनल टूर्नामेंट में मैरीकॉम नॉर्थ कोरिया के बॉक्सर से हार गईं थी।

लेकिन, मेरे कमरे में आकर बोली कि कोच ट्रेनिंग के लिए चला जाए।

वहां 40 मिनट रनिंग करके घण्टों पहाड़ों पर प्रैक्टिस की।

वहां से इंडिया आकर जमकर तैयारी की और उसी नार्थ कोरिया के प्लेयर को वियतनाम में एशियन चैम्पियनशिप 2017 में हराकर गोल्ड जीता।

कॉमनवेल्थ गेम ऑस्ट्रेलिया 2018 में बहुत से प्लेयर मेडल के बाद कई दिनों तक जश्न मनाते रहे।

मैरी गोल्ड जीतने के बाद अगले दिन सुबह फिर ट्रेनिंग को मेरे पास आ गईं और बोली इसे ब्रेक नहीं करना है।

खेल के प्रति उनका जूनून गजब का है।
छोटे लाल का इंटनेशनल परफार्मेंस

इंटरनेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप 2003 दिल्ली -सिल्वर
इंटरनेशनल बॉक्सिंग चैम्पियनशिप नई दिल्ली 2004 -सिल्वर
एशियन कैडेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप वियतनाम -2004 -गोल्ड
जूनियर नेशनल बॉक्सिंग चैम्पियनशिप गोवा 2006 -गोल्ड
मुस्टर कप बोस्निया -2006 -ब्रॉन्ज
बॉक्सिंग चैम्पियनशिप क्यूबा 2010 -सिल्वर
इंडो थाईलैंड ड्यूल मैच थाईलैंड -2006 -सिल्वर
ट्रेनिंग एट इंटरनेशनल एरेना उज्बेकिस्तान 2006 -पार्टिशिपेट
चेक रिपब्लिक टूर्नामेंट 2007 -सिल्वर

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