भारत : कोरोनावायरस के डर से कहीं देश चीन और डब्ल्यू. एच. ओ. के जाल में फंसता तो नहीं चला गया ?

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डोनल्ड ट्रंप की ये बात सही होती दिख रही ?
विश्व स्वास्थ संगठन और चीन मिलकर खेल गये। और भारत विश्व स्वास्थ संगठन के इशारे पर फँसता चला गया तथा अपनी अर्थ व्यवस्था बर्बाद करता चला गया। मुझे लगने लगा है कि मात्र 2 से 2•5% मृत्यु दर वाला संक्रमण दुनिया का सबसे कम खतरनाक संक्रमण है जिसका शोर अधिक मचाकर चीन को टक्कर देती अर्थव्यवस्थाओं को बर्बाद कर दिया गया।
भारत भी उसी चंगुल में फंस गया और अब उसे भी इसके बेहद कम खतरनाक होने का एहसास होने लगा है तभी तो 50-100 केस प्रतिदिन संक्रमण होने पर कर्फ्यू और लाॅकडाऊन लगाने वाला देश 6000 से अधिक संक्रमण प्रतिदिन होने पर अब बाज़ार खोल रहा है , पब्लिक परिवहन , ट्रेन और बस चला रहा है और 2 दिन बाद हवाई जहाज़ उड़ाने की तैय्यारी कर रहा है।
कोरोना एक बहुत बड़ा आर्थिक घोटाला है , जिसमैं चीन को टक्कर दे रहे देश बर्बाद हो गये और चीन ? वुहान में ही कोरोना को रोक कर अब अपनी जीडीपी 3% तक बढ़ा चुका है।
दूसरा तर्क अमेरिकी साजिश का है , पर कोरोना किसी की साजिश तो है जिसमें भारत पिस गया और उसे समझ में अब आ रहा है। मात्र 2% दर तो साधारण बिमारियों में भी होती है फिर कोरोना भी उसी स्तर का संक्रमण है। खैर , सोशल डिस्टेन्सिंग बनाए रखिए

corona virus who

दुनिया में इतना शोर मचा कि भारत अपनी मूलभूत शक्ति ही भूल गया और चीन व W.H.O. के जाल में फंसता चला गया भारत में हर तरह की बीमारी से लड़ने की ताकत है । जिसका एहसास बहुत बाद में हुआ अभी भी देश जिस तरह इस बीमारी पर लड़ाई लड़ रहा है वह अपने बूते ही लड़ रहा है ।
फिर ऐसा क्यों हुआ कि हमने अपनी ताकत पहचानने में देर कर दी और दूसरों के हिसाब से चलते गए हमें जब दिसंबर में ही इस महामारी का एहसास हो गया था तो हमने अपनी सीमाएं सील करने में देर क्यों कर दी कहीं अमेरिका की तरह हमें भी ओवरकॉन्फिडेंस तो नहीं हो गया था । जो भी हो जनता से अपील है कि अपनी रक्षा स्वयं करें तथा सरकार द्वारा बताए गए नियमों का पालन करें ।
नोट : लेखक के अपने विचार हैं
हरि शंकर पाराशर राष्ट्रीय जजमेंट संवाददाता की रिपोर्ट ✍️

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