शराब दुकानें खुली, रेल चली, जहाज भी उड़ेगा, कब खुलेगे आंगनवाड़ी केंद्र ?
नई दिल्ली : आंगनवाड़ी सेवा देश में कुपोषण दूर करने में मील का पत्थर साबित हुई हैं.यह देश में पोषण संकट से जूझ रहे सबसे वंचित तबकों के करोड़ों बच्चों के लिए पोषण का एकमात्र जरिया हैं.केवल पोषण ही नहीं, इनके माध्यम से एक मजबूत सूचना तंत्र विकसित हुआ है.
शराब दुकान खुल गई, धीरे-धीरे रेलगाड़ियां को पटरी पर लाने की कवायद भी शुरू हो गई है, 25 तारीख से आसमान में हवाई जहाज की आवाज शुरू हो जाएगी, पर आंगनवाड़ी कब खुलेगी ? पर क्या आंगनवाड़ी खोलना सचमुच इतना महत्वपूर्ण है, महीने-दो महीने और नहीं खुलें तो भला क्या बिगड़ जाएगा? आंगनवाड़ी से तो बच्चे खतरे में पड़ जाएंगे, वहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना मुश्किल होगा! सुरक्षा के लिहाज से इस ‘ऐहतियात’ पर कोई आपत्ति भी नहीं है, लेकिन देश में आंगनवाड़ियों के समुचित महत्व को जाने बगैर इस बारे में सवाल करना शायद न्यायोचित्त नहीं होगा!
मसला यह है कि हिंदुस्तान की एकीकृत बाल विकास योजना दुनिया के नक्शे में सबसे बड़ी योजना कई वजहों से है.इस अकेली योजना में एकीकृत शून्य से छह साल तक के 158 मिलियन बच्चे बच्चे पात्र हैं. इतनी बड़ी योजना लाने की वजह है देश में बच्चों में कुपोषण.माना गया कि खादय असुरक्षा से जुझते समाज में कुपोषण को थामने के लिए केवल बेहतर पोषण ही हथियार हो सकता है.इसलिए देश की आठ हजार से ज्यादा परियोजनाओं में तकरीबन 13 लाख 80 हजार आंगनवाड़ियों के माध्यम से देश में बच्चों को गरम पका हुआ भोजन दिया जाता है.
