केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां ने कहा : कोई रोक नहीं सकता सीएए

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भगवान श्रीराम और अयोध्या सदियों से मर्यादा और सद्भाव का संदेश दे रहे हैं। सुशासन भगवान राम व रामराज्य की देन है। यह हमारे खून में है, जो हजारों साल से पीढ़ी दर पीढ़ी कामय है।
आज भी देश में कोई कानून बनता है तो पुलिस को लाठी-डंडा लेकर उसका पालन नहीं कराना पड़ता है।
यह हमारे देश की मर्यादा है कि हम उसका पालन स्वत: करने लगते हैं। यह मर्यादा हमने पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम से सीखी है। यह बातें केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां ने कहीं।
वह मंगलवार को डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विवि के संतकबीर सभागार में श्रीराम : वैश्विक सुशासन के प्रणेता, विषयक गोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
वेद के श्लोकों को समझाते हुए राज्यपाल आरिफ मोहम्मद ने कहा कि यह कायनात किसने बनाई, कौन चला रहा है जो ऊपर बैठा है वो या उसको भी नहीं पता कि यहां क्या हो रहा है।
हमारे यहां भगवान की निंदा का कोई शब्द संस्कृत में है ही नहीं।
ईश निंदा व भगवान की निंदा में जैसे शब्द अभी हाल ही के गढ़े गये हैं। यही वजह है कि अनुभूति की खुली छूट है और उसी में हम परम सत्य को जानते हैं। अपने ज्ञान को विकसित करते हैं
जो हमारी जीवंतता व निरंतरता का प्रमाण है।
यह सब कुछ हमने मर्यादा पुरुषोत्तम राम से सीखा है। मर्यादा इसलिए भी कि एक गरीब शूद्र जाति की महिला के जूठे बेर खाए। सिर्फ इसलिए क्योंकि वह शबरी का दिल रखना चाहते थे,
शबरी की अकीदत को रास्ता दिखाना चाहते थे।
उन्होंने सुशासन की दलील देते हुए कहा कि यह निरंतता व जीवंतता का ही प्रमाण है कि आज भी हमारे गांव में किसी भी कानून का पालन कराने पुलिस को डंडा लेकर नहीं जाना पड़ता है। लोग खुद ही इसे ग्रहण कर लेते हैं।
यह हमें भगवान श्रीराम से लेकर अब तक पीढ़ी दर पीढ़ी मिलता चला आया है।
मालद्वीव के राजदूत रह चुके अखिलेश मिश्रा ने कहा कि भगवान श्रीराम का वर्णन किसी के बस की बात नहीं है। लोग अपने बुद्धि, विवेक व क्षमताओं के आधार पर उनका वर्णन आदि काल से करते आए हैं।
वह पंथ और धर्म से ऊपर है। भगवान राम के चरित्र में ही दुनिया की समस्त समस्याओं का समाधान है। बस जरूरत उनको जानने और समझने की है।
उनको सुशासन समरसता का संदेश देता है।
सीएए को कोई रोक नहीं सकता: आरिफ मोहम्मद
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां ने कहा कि सीएए एक कानून है इसको कोई रोक नहीं सकता है। अगर किसी को कानून का विरोध करना है तो सुप्रीम कोर्ट में जा सकता है
और इसको अगले चुनाव में जनता के सामने मुद्दा बनाकर ले जाया जा सकता है।
जनता के फैसले के बाद ही इस कानून को बदला जा सकता है। केरल के राज्यपाल मंगलवार को अवध विवि में व्याख्यान देने के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सीएए अब कानून है,
भारत का नागरिक होने के नाते सभी भारतीयों को इसे मानना होगा।
उन्होंने केरल विधान सभा में पारित प्रस्ताव को लेकर कहा कि केरल विधानसभा की नियमावली राज्य सरकार के अधीन नहीं आती है, इसलिए इस प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हो सकी।
नियमानुसार पहले मुख्यमंत्री को राज्यपाल के सामने फाइल पेश करनी होती है।
केरल सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने से संवैधानिक पद होने के नाते राज्यपाल को जानकारी होनी चाहिए थी, जो नहीं दी गई। यह अपने आप में अनुचित है।
उन्होंने कहा कि राज्यपाल का एक ही कार्य होता है कि सरकार को कानून और संविधान के अनुसार चलाए।

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