विदेश मंत्री एस जयशंकर: जम्मू-कश्मीर को लेकर चिंता जताई चीन ने

0

तीन दिन की चीन की विदेश यात्रा से लौटे विदेश मंत्री एस जयशंकर की गिनती सुपर डिप्लोमैट में होती है।

इसी अंदाज में उन्होंने कश्मीर में अनुच्छेद 370, जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही हलचल को लेकर उठे सवालों का जवाब दिया है।

चीन से लौटकर आए जयशंकर ने कहा कि उन्होंने (चीन) अपनी चिंताएं जताईं और हमने अपना पक्ष रखा।

उन्होंने बताया कि चीन ने वार्ता के दौरान भारत के समक्ष पाक अधिकृत कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र की स्थिति को लेकर अपना पक्ष रखा।
वहीं विदेश मंत्री ने इस पर साफ कहा कि जम्मू-कश्मीर की पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से लगती नियंत्रण रेखा और चीन के साथ लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा की स्थिति में कोई बदलाव नहीं है।
अपनी यह बात रखकर विदेश मंत्री लौट आए हैं, लेकिन निगाह कल पर टिकी हैं।

दरअसल पाक अधिकृत कश्मीर में चीन की महत्वकांक्षाएं अपना आकार ले रही हैं। पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से लेकर पाक अधिकृत कश्मीर से होते हुए चीन कनेक्टिविटी पर काम कर रहा है।

ऐसे में आक्साई चिन और लद्दाख के क्षेत्र पर भी चीन की निगाह है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने अपनी काफी जमीन चीन को दे रखी है। चीन की यह चिंता केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के एक बयान के बाद आई है।

बता दें, पिछले दिनों संसद के सत्र में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पर चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि जब वह जम्मू-कश्मीर की बात करते हैं तो इसमें पाक अधिकृत कश्मीर और अक्साई चिन भी आता है।

शाह यहीं नहीं रुके थे। उन्होंने यह भी कहा था कि वह (शाह) इसके लिए जान तक दे सकते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी : “भ्रष्टाचार दीमक की तरह जीवन में घुस चुका है”

ऐसे में भारत के गृहमंत्री के इस बयान को चीन ने काफी गंभीरता से लिया है। इसी क्रम में भारत ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को स्थिति स्पष्ट करने के लिए चीन यात्रा पर भेजा।

फिलहाल भारत की निगाह कश्मीर में अमन की बहाली और आवाम की जिंदगी को पटरी पर लाने पर टिकी है।

असल का खतरा

कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत के पक्ष में अभी दुनियाभर के देश हैं। अमेरिका ने जम्मू-कश्मीर में भारत की वैधानिक पहल को नई दिल्ली (भारत) का आंतरिक मामला बताया है।

वहीं रूस के विदेशमंत्री सर्गेई लावरोव ने पाकिस्तान के अपने समकक्ष से बात करते हुए उन्हें भारत के साथ तनाव कम करने की सलाह दी है।

भारत ने दुनिया के देशों से इस बदलाव को अपना आंतरिक मामला बताया है और पाकिस्तान के साथ शिमला समझौता तथा लाहौर घोषणा पत्र के तहत आपसी मामले को द्विपक्षीय स्तर पर निपटाने की शर्त दोहराई है।

एसयूवी से टकराई मालदा,छह की मौत :पश्चिम बंगाल

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान भी भारत के पक्ष में आया है, लेकिन विदेश मंत्रालय की निगाह एक खतरे पर टिकी है।

विदेश मंत्रालय के अधिकारी जम्मू-कश्मीर में अमन और जनसमर्थन चाहते हैं। भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से राज्य में अब तक कोई हिंसा न भड़कने पर राहत की सांस ली है।

उड़ी सेक्टर में घुसपैठ को किया नाकाम पाकिस्तान के नापाक प्लान ध्वस्त

लेकिन यह स्थिति राज्य में उच्च स्तर की सतर्कता पर है। सरकार चाहती है कि वहां निगरानी और सुरक्षा बलों की निगहबानी में ढील दिए जाने के बाद भी इसी तरह की स्थिति बनी रहे।

इसे लेकर सरकार उच्च स्तर पर संवेदनशील बनी हुई

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More