बुलंदशहर मां-बेटी गैंगरेप से अखिलेश सरकार की फजीहत, 17 पुलिसवालों पर एक्शन, CBI की एंट्री की डिटेल स्टोरी

राष्ट्रीय जजमेंट

बुलंदशहर: नेशनल हाईवे पर आती-जाती गाड़ियों के शोर के बीच एक परिवार की दर्दनाक चीखें दबकर रह गईं थीं। 28 जुलाई 2016 की काली राम में बदमाशों का गैंग एक परिवार पर किसी कहर की तरह टूट पड़ा। 14 की मासूम बच्ची समेत उसकी मां का पूरे परिवार की आंखों के सामने गैंगरेप किया गया। परिवार के पुरुषों को बेरहमी से बांधकर पीटा और लूट के बाद सुनसान जगह पर छोड़ दिया। बुलंदशहर की इस वारदात ने पूरे उत्तर प्रदेश को दहलाकर रख दिया था। यही नहीं तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार पर भी इससे सवाल उठने लगे थे। अब 9 साल बाद इस मामले के दोषियों को उम्र कैद की सजा मिली है।
बुलंदशहर में मां-बेटी के साथ नेशनल हाईवे पर हुए गैंगरेप मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पांच आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोषियों पर 1 लाख 81 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
बुलंदशहर गैंगरेप के बारे में
यह घटना 28 जुलाई 2016 की रात बुलंदशहर के नेशनल हाईवे-91 पर हुई थी। नोएडा का एक परिवार अपनी कार से शाहजहांपुर स्थित पैतृक गांव जा रहा था, जहां तेरहवीं का कार्यक्रम था। कार में 14 वर्षीय लड़की, उसके माता-पिता, ताई-ताऊ और चचेरा भाई सवार थे। दोस्तपुर फ्लाईओवर के पास कुछ बदमाशों ने कार के नीचे रिम डालकर उसे रुकवा लिया। इसके बाद परिवार को बंधक बनाकर खेतों में ले जाया गया। बदमाशों ने पति के साथ मारपीट की और फिर मां-बेटी के साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया। घटना की सूचना मिलते ही अधिकारी मौके पर पहुंचे और मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की।

अखिलेश सरकार की फजीहत के बाद सीबीआई जांच
यह मामला तत्कालीन अखिलेश सरकार के दौरान काफी चर्चा में रहा था और नेशनल मीडिया ने एक महीने तक बुलंदशहर में डेरा डाल रखा था। घटना की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन डीजीपी और मुख्य सचिव ने भी घटनास्थल का दौरा किया था। कुछ दिनों बाद सरकार की फजीहत होने पर यह मामला सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था। इस मामले में कुछ आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।एसएसपी से लेकर 17 पुलिसकर्मियों पर एक्शन
इस घटना को तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने संज्ञान में लिया था। बुलंदशहर एसएसपी, एसपी सिटी, सीओ कोतवाली देहात के इंस्पेक्टर सहित हाईवे पर गश्त करने वाली पेट्रोलिंग टीम के दारोगा और सिपाही समेत कुल 17 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था।

इस मामले में पुलिस ने नोएडा और हरियाणा पुलिस के साथ मिलकर दो आरोपियों को एनकाउंटर में मार गिराया था। एक अन्य आरोपी की भी मौत हो चुकी है। सीबीआई ने इस मामले में 6 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। एडीसी वरुण कौशिक ने जानकारी देते हुए बताया कि 9 साल तक चले इस मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया। इस दौरान कुल 22 लोगों की गवाही हुई और आज फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वारा न्यायाधीश ने सजा का ऐलान किया।

इन दोषियों को मिली उम्रकैद
धर्मवीर उर्फ राका उर्फ जितेंद्र (निवासी गेसनपुर, फर्रुखाबाद), नरेश उर्फ संदीप उर्फ राहुल (निवासी गेसनपुर, फर्रुखाबाद), सुनील उर्फ सागर (निवासी बोनपई आजादनगर, फर्रुखाबाद), परवेज उर्फ जुबेर उर्फ सुनील (निवासी ईटाखारी दिनौरा, कन्नौज) और साजिद (निवासी ईटाखारी दिनौरा, कन्नौज)।

पीड़ितों ने कोर्ट के फैसले पर जताई खुशी
22 दिसंबर को न्यायालय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट ओमप्रकाश मिश्रा ने 9 साल पुराने बुलंदशहर मां-बेटी गैंगरेप मामले में फैसला सुनाया। कोर्ट ने पांच आरोपियों को आजीवन कारावास और प्रत्येक को 1,81,000 रुपये के अर्थदंड की सजा से दंडित किया। पीड़ित पक्ष की अधिवक्ता ने बताया कि पीड़िता ने फोन पर मीडियाकर्मियों से बात की। पीड़िता ने कोर्ट द्वारा सुनाए गए आजीवन कारावास की सजा पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि वह इस फैसले से खुश है

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