दिल्ली में डिमोनेटाइज्ड करेंसी बेचने वाले चार ठग पकड़े गए, 3.59 करोड़ की करेंसी बरामद, दो कारें जब्त

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस के उत्तरी-पश्चिमी जिले की चौकी डब्ल्यूपीआईए (अशोक विहार थाना) की टीम ने बड़ी मुस्तैदी दिखाते हुए निष्प्रभावी मुद्रा (पुराने 500-1000 रुपये के नोट) से जुड़े एक बड़े ठगी रैकेट का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से 3 करोड़ 59 लाख 8 हजार रुपये की निष्प्रभावी मुद्रा और अपराध में इस्तेमाल दो वाहन बरामद किए। आरोपी लोगों को लालच देकर पुराने नोट बेहद कम कीमत पर बेचते थे और झूठा दावा करते थे कि आधार कार्ड के जरिए इन्हें आरबीआई में बदला जा सकता है।

उत्तरी-पश्चिमी जिले के डीसीपी भीष्म सिंह ने बताया कि 10 दिसंबर को गुप्त सूचना मिली कि कुछ लोग शालीमार बाग मेट्रो स्टेशन के पास निष्प्रभावी नोटों का सौदा कर रहे हैं। सूचना पर एसएचओ अशोक विहार इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार के नेतृत्व में एसआई रोहित चाहर (प्रभारी चौकी डब्ल्यूपीआईए) की अगुवाई में एक टीम गठित की गई। टीम की देखरेख एसीपी अशोक विहार आकाश रावत और अतिरिक्त डीसीपी-II सुनील पंचाल कर रहे थे।

टीम ने शालीमार बाग मेट्रो स्टेशन गेट नंबर 4 के पास छापा मारकर चार व्यक्तियों को दबोच लिया। तलाशी में उनके पास से 500 और 1000 रुपये के निष्प्रभावी नोटों की भारी मात्रा बरामद हुई, जिनकी कुल कीमत 3,59,08,000 रुपये है। साथ ही अपराध में इस्तेमाल दो कारें भी जब्त की गईं।

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान रोहिणी निवासी हर्ष (22 वर्ष),रोहिणी निवासी टेक चंद ठाकुर (39 वर्ष), बृज पुरी निवासी लक्ष्य (28 वर्ष) और फिरोजशाह रोड निवासी विपिन कुमार (38 वर्ष) (मूल निवासी हिमाचल प्रदेश) के रूप में हुई। थाना अशोक विहार में धारा 318(4)/61(2)/62/3(5) बीएनएस और स्पेसिफाइड बैंक नोट्स एक्ट की धारा 5/7 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया कि वे 2021 से आशीष और तरुण नामक व्यक्तियों के संपर्क में थे। दो-तीन महीने पहले इन्होंने करोड़ों की निष्प्रभावी मुद्रा उपलब्ध कराई और बदलवाने में मदद का लालच देकर भारी कमीशन का वादा किया। आरोपी मोबाइल निर्देशों पर काम करते थे और लोगों को ठगकर पुराने नोट थोक भाव में बेचते थे। सभी ने आसान और अवैध धन कमाने की लालच में अपराध करने की बात स्वीकार की। हर्ष और लक्ष्य भाई हैं, जबकि टेक चंद ने अन्य को रैकेट में शामिल किया।

डीसीपी ने बताया कि यह ठगी, आपराधिक साजिश और स्पेसिफाइड बैंक नोट्स एक्ट का स्पष्ट उल्लंघन है। आरोपियों को पुराने नोट रखने का कोई वैध आधार नहीं था। रैकेट के अन्य सदस्यों आशीष और तरुण की तलाश की जा रही है। इस सफल कार्रवाई से भोले-भाले नागरिकों को बड़ी ठगी से बचाया गया है और अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगा है। जांच जारी है।

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