बिहार के नतीजों ने बढ़ाया यूपी बीजेपी का हौसला, अब मिशन उत्तर प्रदेश पर फोकस

राष्ट्रीय जजमेंट 

लखनऊ: बिहार विधानसभा चुनाव में NDA की प्रचंड जीत से यूपी भाजपा नेताओं के हौसले बुलंद हो गए हैं। खासकर 2024 लोकसभा चुनाव में यूपी से मिली निराशा के बाद इस जीत ने 2027 विधानसभा चुनाव में उम्मीदें बढ़ा दी है। बिहार विधानसभा चुनाव में यूपी के नेताओं ने भी खूब मेहनत की थी। इस जीत में उनकी मेहनत और प्लानिंग का भी योगदान माना जा रहा है।

पहले भी जेडीयू के साथ मिलकर सरकार तो बनाती रही है, लेकिन दूसरे और तीसरे नंबर की पार्टी ही रही है। इस बार यह जीत इसलिए खास है, क्योंकि 90 सीटों पर बढ़त के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। पिछले विधानसभा चुनाव में 75 सीटों पर जीत के साथ आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी थी और भाजपा 74 सीट पर रुक गई थी। देरशाम तक NDA गठबंधन बहुमत के आंकड़े 122 से काफी अधिक 204 सीटों पर बढ़त बनाए हुए था। वहीं, विपक्षी महागठबंधन को महज 33 सीटों पर ही बढ़त थी।
मासूम को फोन में दिखाई गंदी वीडियो, फिर दुष्कर्म के बाद मार डाला था, दो आरोपियों को कोर्ट ने सुनाई ये सजा
राजा राम मोहन राय कौन थे, एमपी के मंत्री ने बताया ‘अंग्रेजों का दलाल’, पहली बार अंग्रेजी में किया था ‘हिंदुत्व’ शब्द का जिक्र
केशव समेत यूपी के नेताओं का कद बढ़ा
बिहार के इस चुनाव के बाद से यूपी के नेताओं का भी कद बढ़ गया है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को बिहार चुनाव के लिए सह प्रभारी बनाया था। उन्होंने बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेद्र प्रधान के साथ मिलकर चुनावी रणनीति तैयार की। खुद भी लगातार समन्वय बैठके और प्रचार में जुटे रहे। खासतौर से ओबीसी वोटरों को जोड़ने में उनकी भूमिका अहम रही। मुजफ्फरपुर को केंद्र बनाकर केशव मौर्य ने 78 सीटों पर कमान संभाली।

प्रदेश सरकार के कई मंत्री, पदाधिकारी और कार्यकर्ता महीनों से बिहार में जुटे थे। उन्होंने चुनावी सभाओं के अलावा घर-घर प्रचार करने तक अहम भूमिका निभाई। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह, मंत्री अनिल राजभर, दया शंकर सिंह, सुरेश राणा, दिनेश प्रताप सिंह, सोमेंद्र तोमर, गिरीश यादव, जेपीएस राठौर, नरेंद्र कश्यप, उपेंद्र तिवारी सहित कई मंत्रियों की ड्यूटी बिहार विधानसभा चुनाव में लगाई गई थी।

योगी के प्रचार का भी दिखा असर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभाएं भी बिहार में काफी चर्चा में रही थी। पार्टी सूत्रों के अनुसार उन्होंने बिहार में 32 रैलियां और एक रोड शो किया था। करीब 43 प्रत्याशियों के लिए सीएम ने प्रचार किया। ज्यादातर सीटों पर एनडीए प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई है।

अब मिशन यूपी पर फोकस
जानकारों का मानना है कि बिहार की इस जीत का असर यूपी में भी होगा। यूपी में 2027 मेंही विधानसभा चुनाव होने हैं। सबसे बड़े राज्य में सत्ता पाने के लिए भाजपा ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। अब पूरा फोकस मिशन यूपी पर होगा। बिहार विधानसभा चुनाव में मेहनत के आधार पर यूपी में भी मंत्रियों और नेताओं की भूमिका बदलेगी। जातीय समीकरण साधने के लिए जिस तरह बिहार में योजना तैयार की गई थी, उसका प्रयोग यहां भी किया जा सकता है। वैसे 2027 से पहले संगठन और कैबिनेट में बदलाव होना है। प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान भी जल्द हो सकता है। उसके बाद संगठन से कुछ लोगों को कैबिनेट में और मंत्रिमंडल से कुछ को संगठन में जगह दी जाएगी।

सहयोगी पार्टियों की बढ़ सकती है दिक्कत
यूपी में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा पर दबाव बनाने वालों को भी बिहार विधानसभा चुनाव से सबक मिला है। वे अब बहुत ज्यादा दबाव बनाने की स्थिति में नहीं रह जाएंगे। यूपी में भाजपा की सहयोगी पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने अभी से दबाव बनाना शुरू कर दिया था। इसी दबाव की रणनीति के तहत उसने बिहार में 153 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का दावा किया था। बाद में वह 32 प्रत्याशी ही मैदान में उतार सकी। उनमें भी ज्यादातर की जमानत जब्त हो गई है। सुभासपा के अलावा अन्य दल भी अक्सर दबाव बनाने की कोशिश करते हैं। बिहार चुनाव नतीजों ने उनको भी सबक दे दिया है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More