थाने से लेकर गए और फर्जी एनकाउंटर? एक पेन ड्राइव ने खोले राज, गाजियाबाद महिला थाना प्रभारी पर मुकदमा दर्ज

राष्ट्रीय जजमेंट

गाजियाबाद: गाजियाबाद क्रॉसिंग रिपब्लिक थाने में 26 अक्टूबर को हुए कथित एनकाउंटर मामले ने अब नया मोड़ ले लिया है। एसीएम कोर्ट 7 ने थाने की महिला प्रभारी सरिता मलिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह कदम तब उठाया जब बार-बार आदेश देने के बावजूद पुलिस ने थाने की सीसीटीवी फुटेज कोर्ट में पेश नहीं की। इस मामले में आरोपियों की ओर से कोर्ट में पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ करने और उन्हें गोली मारने के आरोप लगाए थे। सबूत के तौर पर दी गई एक पेन ड्राइव ने एनकाउंटर की कहानी बदल कर रख दी।

बता दें कि क्रॉसिंग रिपब्लिक पुलिस ने थाना प्रभारी सरिता मलिक की अगुवाई में 26 अक्टूबर की सुबह मुठभेड़ के दौरान ऑटो सवार चार बदमाशों इरफान गाजी, शादाब, अमन गर्ग और नाजिम खान को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार करने का दावा किया था। इस दौरान दो बदमाशों के पैर में गोली भी लगी थी। प्रेसवार्ता में पुलिस ने दावा किया था कि ये आरोपी महिलाओं से जेवर लूटने वाले गिरोह के सदस्य हैं। पुलिस ने मौके से एक ऑटो, दो तमंचे, कारतूस, मोबाइल और सोने के जेवर बरामद करने की बात कही थी।

एनकाउंटर के लिए थाने से ही ले गए
दूसरी और आरोपियों के वकील ने कोर्ट में पूरी कहानी उलट दी। उन्होंने दावा किया कि चारों युवकों को 26 अक्टूबर से पहले ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था और थाने की हवालात में रखा था। एनकाउंटर के लिए उन्हें थाने से ही ले जाया गया था। इसके बाद मुठभेड़ का यह नाटक रचा गया और दो युवकों के पैर में गोली मार दी गई। वकील ने इसे फर्जी एनकाउंटर बताते हुए कोर्ट से निष्पक्ष जांच की मांग की थी।

कोर्ट ने इन आरोपों को गंभीर मानते हुए थाना प्रभारी से थाने की सीसीटीवी फुटेज पेश करने का आदेश दिया था। हालांकि पुलिस ने पहले तकनीकी दिक्कत का हवाला दिया। फिर कहा कि फुटेज से मुखबिरों की पहचान उजागर हो सकती है। अदालत में इस तर्क को सिरे से खारिज कर दिया। इस मामले में आरोपियों के वकील की और से सबूत के तौर पर थाने के सीसीटीवी से संबंधित एक पेन ड्राइव कोर्ट में जमा की गई थी।
इसके बाद न्यायालय ने टिप्पणी की कि पुलिस का यह रवैया न्यायिक आदेशों की अवहेलना के समान है। लिहाजा, कोर्ट ने थाना प्रभारी सरिता मलिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट के इस आदेश के बाद पूरा मामला पुलिस की मुठभेड़ की कहानी पर सवाल खड़े कर रहा है। स्थानीय पुलिस अधिकारी फिलहाल टिप्पणी करने से बच रहे हैं, जबकि कानूनी जानकारों का कहना है कि फुटेज से एनकाउंटर की सच्चाई उजागर हो सकती है।

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