दिल्ली पुलिस ने उजागर किया टेलीग्राम निवेश घोटाला, 5 गिरफ्तार, बैंक कर्मियों की मिलीभगत का खुलासा

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की मध्य जिले की साइबर क्राइम यूनिट ने  एक बड़े टेलीग्राम निवेश घोटाले का पर्दाफाश किया है। इस मामले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें एक बैंक कर्मचारी भी शामिल है। घोटालेबाजों ने फर्जी निवेश योजनाओं के जरिए एक महिला से 4.80 लाख रुपये ठग लिए। पुलिस ने आरोपियों के पास से 14 सिम कार्ड, 4 मोबाइल फोन, 2 लैपटॉप, 17 फर्जी कंपनियों की मुहरें, 11 डेबिट कार्ड और जाली दस्तावेज बरामद किए हैं। जांच में 250 से अधिक म्यूल खाते और 50 फर्जी कंपनियों का पता चला है।

मध्य जिला के डीसीपी निधिन वल्सन ने बताया कि मार्च 2025 में शिकायतकर्ता को टेलीग्राम पर “मिस ललिता” नाम की एक महिला ने संपर्क किया और आकर्षक रिटर्न का लालच देकर निवेश के लिए लिंक भेजा। शुरुआत में छोटी रकम दिखाकर भरोसा जीता गया। इसके बाद महिला को 4.80 लाख रुपये विभिन्न बैंक खातों में जमा करने के लिए दबाव डाला गया। पैसे जमा होने के बाद आरोपी गायब हो गए। इस शिकायत पर साइबर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई।

मामले की गंभीरता को देखते हुए, एसीपी सुलेखा जागरवार के नेतृत्व में इंस्पेक्टर संदीप पंवार और उनकी टीम ने जांच शुरू की। तकनीकी और वित्तीय विश्लेषण से पता चला कि ठगी की रकम “ऐजे टेक्नोलॉजी” नामक खाते में गई, जो जाली दस्तावेजों से खोला गया था। दिल्ली के किरारी में छापेमारी के दौरान मुख्य आरोपी राहुल कुमार को गिरफ्तार किया गया, जो फर्जी पैन और आधार कार्ड का इस्तेमाल कर खाते चला रहा था। उसने बताया कि वह फर्जीवाड़े के लिए बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराता था।

डीसीपी ने बताया कि राहुल के साथी अजय शर्मा, जो साइबर कैफे चलाता है, ने जाली केवायसी और दस्तावेज तैयार करने में मदद की। तीसरे आरोपी सोनू कुमार, एक स्केटिंग ट्रेनर, ने जीएसटी फाइलिंग की जानकारी दी। चौथे आरोपी कुणाल सागर ने 23 म्यूल खाते खोले, जबकि पांचवां आरोपी मोहित दधीच, कर्नाटक बैंक का कर्मचारी, केवायसी नियमों को दरकिनार कर खाते खोलने में मदद करता था। एक अन्य बैंक कर्मचारी अभिषेक फरार है।

जांच में खुलासा हुआ कि कुछ बैंक कर्मचारियों ने कमीशन लेकर केवायसी नियमों की अनदेखी की। आधार ओटीपी, बायोमेट्रिक सत्यापन और व्यक्तिगत जांच को नजरअंदाज किया गया। कुछ कर्मचारियों ने शिकायतों की जानकारी भी आरोपियों को दी। ऐजे टेक्नोलॉजी खाते से दो महीने में 2.5 करोड़ रुपये के लेनदेन का पता चला, जिसके खिलाफ देशभर में 14 शिकायतें दर्ज हैं।

डीसीपी निधिन वल्सन ने बताया कि यह एक संगठित साइबर अपराध नेटवर्क है, जिसमें जाली दस्तावेज बनाने वाले, खाता संचालक और बैंक कर्मचारी शामिल हैं। फरार कर्मचारी अभिषेक और अन्य संदिग्धों की तलाश जारी है। आरबीआई और कर्नाटक बैंक को कार्रवाई के लिए सूचित किया गया है।

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