जेएनयू में रावण दहन: नक्सलवाद और राष्ट्रविरोधी विचारों का प्रतीकात्मक विनाश, छात्रसंघ की राष्ट्रीय एकता की हुंकार

नई दिल्ली: विजय दशमी के पवित्र अवसर पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के साबरमती ग्राउंड में एक सशक्त और प्रतीकात्मक रावण दहन समारोह आयोजित हुआ। जेएनयू छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) के संयुक्त सचिव वैभव मीणा के आह्वान पर आयोजित इस कार्यक्रम में रावण के पुतले को नक्सलवाद, वामपंथी विचारधारा, माओवादी हिंसा और राष्ट्रविरोधी ताकतों का प्रतीक मानकर अग्नि को समर्पित किया गया। इस दौरान उमर खालिद, शरजील इमाम, अफजल गुरु, चारु मजुमदार और कानू सान्याल जैसे नामों को राष्ट्रविरोधी तत्वों के रूप में चिह्नित करते हुए उनकी विचारधारा के अंत की घोषणा की गई।

जेएनयूएसयू ने इस आयोजन के माध्यम से देशभर को स्पष्ट संदेश दिया कि जेएनयू अब नक्सलवाद और वामपंथी विचारधारा के महिमामंडन का अड्डा नहीं रहेगा। वैभव मीणा ने कहा, “यह वही जेएनयू है, जहां कभी भगवान राम की प्रतिमा का अपमान हुआ, महिषासुर दिवस मनाया गया और ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग ने देश विरोधी नारे लगाए। आज हमने इन राष्ट्रविरोधी ताकतों का प्रतीकात्मक दहन कर उनके खात्मे का संकल्प लिया।” उन्होंने जोर देकर कहा कि नक्सलवाद और देशविरोधी विचारधारा भारत की एकता और अखंडता के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं।

शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए इस आयोजन में सैकड़ों छात्रों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। इसने जेएनयू परिसर को यह संदेश दिया कि छात्र समुदाय अब राष्ट्रविरोधी और वामपंथी विचारधाराओं के खिलाफ खड़ा है। वैभव मीणा ने कहा, “जेएनयू के छात्र देश की धड़कन हैं। हम उन ताकतों को करारा जवाब देंगे, जो भारत माता को कमजोर करने का सपना देखती हैं।”

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