वाह ताज, वाह बाह; 400 साल पुरानी हवेलियां, राजाओं के महल और चंबल सैंक्चुरी का नजारा एक साथ, जानिए और क्या है खास

राष्ट्रीय जजमेंट

आगरा: वैसे तो ताजनगरी अपने ऐतिहासिक स्थलों, किलों-महलों के लिए विख्यात हैं. देश ही नहीं, विदेश से भी लाखों पर्यटक ताजमहल, शाहजहां का किला, फतेहपुर सीकरी जैसी प्रसिद्ध धरोहरों को देखने के लिए आते हैं, लेकिन आगरा में एक नया टूरिस्ट सेंटर डेवलप हो रहा है. यह इलाका है जिला मुख्यालय से 80 किमी दूर बाह तहसील का. यह क्षेत्र भदावर राजघराने के बनवाए 101 शिव मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है. इसके साथ ही 400 साल पुरानी हवेलियां, किले और चंबल सैंक्चुरी भी इसी दायरे में आती हैं. इस क्षेत्र का इतिहास महाभारतकालीन बताया जाता है. अब इस पूरे इलाके को धार्मिक, ऐतिहासिक और चंबल सैंक्चुरी के नजरिए से सरकार विकसित कर रही है. क्या है यह पूरा प्लान, इन स्थलों की डिटेल और किस तरह से पर्यटन का यह पूरा इलाका बनेगा केंद्र, इस रिपोर्ट में पढ़िए…
छोटी काशी के रूप में प्रसिद्ध है बटेश्वर: आगरा जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर से अधिक दूर बाह तहसील में यमुना किनारे बटेश्वर धाम है. यहां पर यमुना नदी पांच किलोमीटर पर उलटी दिशा में बहती है. यमुना किनारे भदावर राजघराने ने 101 शिव मंदिर बनाए थे, जिनमें से अभी करीब 50 मंदिर मौजूद हैं. बटेश्वरधाम सभी तीर्थों के भानजा और छोटी काशी के नाम से भी मशहूर है. बटेश्वर की दूसरी पहचान पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी से भी है. पूर्व प्रधानमंत्री का बटेश्वर पैतृक गांव हैं. जहां पर उनका बचपन बीता और आजादी के आंदोलन में भी यहां से ही अटलजी शामिल हुए.योगी सरकार की प्लॉनिंग: योगी सरकार का प्रदेश में फोकस धार्मिक पर्यटन बढ़ाने पर है. इस दिशा में पर्यटन विभाग काम कर रहा है. आगरा के शिव मंदिरों का कॉरिडोर बनाकर सर्किट के रूप में विकसित किया जाएगा. नए साल पर काशी की गंगा आरती की तर्ज पर बटेश्वर में यमुना की आरती शुरू होगी. इसके साथ ही चंबल नदी की वादियों में बनी 400 साल पुरानी हवेलियां और टेंट सिटी भी पर्यटकों को लुभाएंगी. यमुना नदी और चंबल नदी का ईको टूरिज्म भी पर्यटकों को रोमांच बढ़ाएगा.
यादगार होगी यमुना आरती : उप्र पर्यटन विभाग की ओर से यमुना किनारे बटेश्वरधाम मुख्य शिव मंदिर और आसपास के मंदिरों वाले घाट को चौड़ा कराया जा रहा है है. यहां पर कई और विकास कार्य तेजी से चल रहे हैं. पर्यटन विभाग का लक्ष्य है कि दिसंबर 2025 तक घाट और बटेश्वर में चल रहे सभी विकास कार्य पूरे किए जाएं. जिससे नए साल से लोगों को जिले में नए धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में उपलब्ध कराया जाए. भविष्य में बटेश्वर को धार्मिक पर्यटन सर्किट से जोड़ने की भी पर्यटन विभाग ने तैयारी की है. इसके चलते ही बटेश्वरधाम में काशी की भव्य गंगा आरती की तर्ज पर यमुना मैया की भव्य आरती शुरू करने की तैयारी चल रही है.आगरा के क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी शक्ति सिंह बताते हैं, बटेश्वर में घाट के विकास कार्य के साथ ही वहां पर यमुना आरती को लेकर विशेष योजना बनाकर कार्य किया जा रहा है. जिससे नए साल में आगरा जिले में एक नया धार्मिक पर्यटन स्थल बटेश्वर बनाया जाएगा. इसके साथ ही फतेहपुर सीकरी में लाइट एंड साउड शो की प्रक्रिया लक्ष्य बनाकर पूरी करने की दिशा में काम चल रहा है. विभाग की पूरी कोशिश है कि नए साल से आने वाले पर्यटकों को जिले में दूसरा नए पर्यटन केंद्र तक पहुंचाया जाए.400 साल पुरानी हवेलियां : ग्राम्य पर्यटन विकास परियोजना की कार्यदायी संस्था आदर्श सेवा समिति के प्रमोद कुमार तिवारी बताते हैं, बाह क्षेत्र के गांव होलीपुरा और कमतरी में बेहद खूबसूरत हवेलियां हैं. होलीपुरा की हवेलियां 400 साल पुरानी हैं. ग्राम्य पर्यटन योजना में शामिल हवेलियों में देसी खान-पान और संस्कृति सैलानियों को लुभाएगी. यह योजना इसी साल से लागू करने की है. हवेलियों की देखरेख करने वाले कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया है. गांव कमतरी में रायबहादुर उल्फतराय चतुर्वेदी की 22 कमरों की हवेली है. इस हवेली में दिल और पत्थर फिल्म की शूटिंग हुई थी. अब रायबहादुर उल्फतराय चतुर्वेदी के पोते प्रशांत चतुर्वेदी हवेली को संवारने का काम करा रहे हैं.चंबल सैंक्चुरी में बढ़ रहा घड़ियालों-मगरमच्छों का कुनबा : केंद्र सरकार ने 1979 में राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में चंबल नदी को लेकर राष्ट्रीय चंबल सैंक्चुरी प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. प्रोजेक्ट संकटग्रस्त घड़ियाल बचाने के लिए शुरू किया गया था, जिससे अब चंबल नदी में घड़ियालों के साथ ही मगरमच्छ, डाल्फिन और विलुप्त होते बटागुर कछुओं का कुनबा तेजी बढ़ रहा है. अब चंबल की धारा में जलचर विचरण करते हैं और प्रवासी पक्षी भी खूब कलरव करते हैं. योगी सरकार ने ईको-टूरिज्म विकास बोर्ड का गठन किया है.धूप सेंकते मगरमच्छ और घड़ियाल देखें : चंबल सैंक्चुरी प्रोजेक्ट के रेंजर कुलदीप सहाय पंकज बताते हैं कि बाह क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पिछले साल ऊंट सफारी शुरू की थी. इसके साथ ही टेंट सिटी के विकास का भी प्रस्ताव बनाया गया है. ईको टूरिज्म के हिसाब से देखें तो जलीय, वन्यजीवों एवं प्रवासी अप्रवासी पक्षियों से चंबल नदी समृद्ध है. ईको टूरिज्म को लेकर नंदगवां के इंटरप्रिटेशन सेंटर में चंबल और उसके बीहड में मिलने वाले जलीय, वन्यजीवों एवं प्रवासी अप्रवासी पक्षियों की जानकारी पर्यटकों के लिए चित्रित उपलब्ध है. इसके साथ ही पिनाहट और नंदगवां में धूप सेंक रहे मगरमच्छ और घड़ियाल भी पर्यटक देख सकते हैं.
बटेश्वर धाम को विकसित किया जा रहा है.ऐसे पहुंचे ईको टूरिज्म सेंटर नंदगवां तक: चंबल सैंक्चुरी प्रोजेक्ट के रेंजर कुलदीप सहाय पंकज बताते हैं कि ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए इंटर प्रिटेशन सेंटर नंदगवां बनाया गया है. नंदगवां से 15 किमी की दूरी पर अटेर किला और इससे 23 किमी की दूरी पर बटेश्वर है. नंदगवां से 25 किमी की दूरी पर शौरीपुर, 24 किमी की दूरी पर हेरीटेज विलेज होलीपुरा, 18 किमी की दूरी पर कमतरी, 35 किमी की दूरी पर ताजमहल है. ईको टूरिज्म के इंटर प्रिटेशन सेंटर आने के लिए आगरा, इटावा, शिकोहाबाद तक ट्रेन से पहुंच सकते हैं. इसके साथ ही बस या टैक्सी से ईको टूरिज्म सेंटर तक आसानी से पहुंचा जा सकता है.ये प्रवासी पक्षी करते हैं चंबल में कलरव: चंबल सैंक्चुरी में में सबसे खास यहां आने वाले भारतीय और प्रवासी पक्षी हैं. आगरा के पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह ने बताते हैं कि चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट तमाम प्रवासी पक्षी आते हैं. जिसमें डोमीसाइल क्रेन, इंडियन स्कीमर, ग्रेट व्हाइट पेलिकन, डालमेशन पेलिकन, नोर्दन शोवलर, नोर्दन पिनटेल, काॅमन टील, बार हेडेड गूज, ग्रे लैग गूज, ब्लैक-टेल्ड गोडविट, ब्राउन-हेडेड गल, ओरिएंटल डार्टर, ग्रेटर कोर्मोरेन्ट, स्पूनबिल, पेन्टेड स्टार्क, यूरेशियन कूट, रिवर टर्न, रूडी शेल्डक, मलार्ड, कॉटन पिग्मी गूज, टैमिनिक स्टिंट, रेड क्रिस्टिड पोचार्ड, काॅमन पोचार्ड, रफ, मार्श सेन्डपाइपर, बुड सेन्डपाइपर, ग्रीन शेन्क, रैड शेन्क, गारगेनी, वेगौन, गेडवाल, वेगटेल हैं. इन सभी पक्षियों के लिए चंबल नदी में भरपूर भोजन रहता है. जिसकी वजह से हर साल से यहां पर प्रवासी पक्षी डेरा डालते हैं.

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