दिल्ली पुलिस ने विदेशी नौकरी के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया, दो गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश के एटा में छापेमारी के बाद साहदेव सिंह और नीरज गिरफ्तार, 3.12 लाख की ठगी का मामला

नई दिल्ली: दिल्ली के नॉर्थ जिले के साइबर पुलिस थाने ने विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है। उत्तर प्रदेश के एटा में तीन दिन तक चली ताबड़तोड़ छापेमारी के बाद पुलिस ने इस मामले में मास्टरमाइंड साहदेव सिंह (37) और उसकी सहयोगी नीरज (37) को गिरफ्तार किया। दोनों ने दिल्ली के एक शख्स को ऑस्ट्रेलिया में नौकरी और वीजा दिलाने के बहाने 3.12 लाख रुपये ठग लिए। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 2 मोबाइल फोन, 3 पासबुक, 3 चेकबुक, 2 डेबिट कार्ड, 5 भारतीय सिम और 3 वियतनामी सिम बरामद किए हैं।

उतर जिले के डीसीपी राजा बंठिया ने बताया कि लक्ष्मी विहार, बुरारी निवासी धर्मेंद्र (40) ने साइबर पुलिस को शिकायत दी कि सिंगापुर से हॉस्पिटैलिटी और टूरिज्म मैनेजमेंट का कोर्स करने के बाद वह नौकरी की तलाश में थे। उन्होंने व्हाट्सएप ग्रुप “वर्क इंफॉर्मेशन” में नौकरी के लिए मैसेज डाला। इसके बाद मयंक पांडे नाम के शख्स ने उनसे संपर्क किया और वियतनाम के रास्ते ऑस्ट्रेलिया में नौकरी और वीजा दिलाने का वादा किया। शुरुआत में विश्वास जीतने के लिए धर्मेंद्र को 10 हजार रुपये में वियतनाम का वीजा बनवाकर दिया गया। वियतनाम पहुंचने पर आरोपियों ने 26 हजार रुपये और मांगे, जो धर्मेंद्र ने दे दिए। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के वीजा के लिए 3,000 USDT (क्रिप्टोकरेंसी) खाते में दिखाने की शर्त रखी गई। धर्मेंद्र के पास क्रिप्टोकरेंसी न होने पर उन्होंने 3.12 लाख रुपये आरोपियों के खाते में ट्रांसफर कर दिए। लेकिन न तो वीजा मिला और न ही पैसे वापस हुए, बल्कि आरोपी ने उन्हें ब्लॉक कर दिया।

शिकायत के बाद साइबर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की। एसआई अरविंद यादव की अगुआई में एक विशेष टीम गठित की गई, जिसमें एचसी हिमांशु और कांस्टेबल रवि शामिल थे। इंस्पेक्टर रोहित गहलोत और एसीपी हेमंत कुमार मिश्रा की निगरानी में पुलिस ने व्हाट्सएप, गूगल, आईपी लॉग्स और 50 मोबाइल नंबरों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड का विश्लेषण किया। पैसे के लेनदेन का पीछा करते हुए पुलिस ने फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफॉर्म से भी जानकारी जुटाई। कई असफल छापों के बाद, संदिग्धों की मोबाइल निगरानी से उनका ठिकाना एटा में पता चला। 11 सितंबर को छापेमारी कर साहदेव सिंह को पकड़ा गया, जिसके बाद उसकी गर्लफ्रेंड नीरज को भी हिरासत में लिया गया।

पुलिस पूछताछ में साहदेव सिंह ने बताया कि वह कई बार विदेश गया, लेकिन नौकरी नहीं मिली। वियतनाम में एक एजेंट विजय से मुलाकात के बाद वह फर्जी नौकरी के रैकेट में शामिल हो गया। वह व्हाट्सएप ग्रुप्स के जरिए लोगों को निशाना बनाता था। विश्वास जीतने के लिए पहले वियतनाम का वीजा बनवाता, फिर बड़ी रकम वसूलकर लोगों को ब्लॉक कर देता। नीरज के खाते में पैसे ट्रांसफर करवाए जाते, जिसे बाद में साहदेव अपने खाते में ले लेता।

पुलिस ने आरोपियों के बैंक खातों को फ्रीज कर दिया और 78,920 रुपये को होल्ड कर लिया। बरामद सामान की जांच से अन्य ठगी के मामलों का खुलासा होने की संभावना है। डीसीपी राजा बंठिया ने बताया कि जांच जारी है और रैकेट के अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है।

मोबाइल और सिम से चला खेल

आरोपी वियतनामी और मलेशियाई सिम कार्ड का इस्तेमाल करते थे और मयंक पांडे, राहुल कुमार, अजय यादव जैसे फर्जी नामों से काम करते थे। उनका मुख्य ठिकाना एटा था, जहां से वे ऑनलाइन ठगी का जाल बुनते थे।

पुलिस ने लोगों से अपील की है कि विदेश में नौकरी के लुभावने ऑफर पर आंख मूंदकर भरोसा न करें। किसी भी अनजान व्यक्ति को पैसे ट्रांसफर करने से पहले उसके दावों की पुष्टि करें और संदिग्ध गतिविधि होने पर तुरंत साइबर पुलिस से संपर्क करें।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More