दिल्ली पुलिस ने नेपाली नागरिकों को ठगने वाले वीजा फ्रॉड रैकेट का किया भंडाफोड़, दो गिरफ्तार

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक संगठित वीजा जालसाजी गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो भोले-भाले नेपाली नागरिकों को सर्बिया में नौकरी का झांसा देकर ठगी कर रहा था। इस अभियान में मुख्य आरोपी 41 वर्षीय जयकाम (41) और 42 वर्षीय रूपेश को गिरफ्तार किया गया। उनके कब्जे से 13 नेपाली पासपोर्ट और आपत्तिजनक डिजिटल साक्ष्य बरामद किए गए हैं। आरोपियों ने 19 नेपाली नागरिकों से लगभग 70 लाख रुपये ठगे।

क्राइम ब्रांच के डीसीपी विक्रम सिंह ने बताया कि 22 अगस्त को नेपाली नागरिक सुजान खड़का ने ईस्टर्न रेंज-1 क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई। सुजान ने बताया कि अप्रैल 2024 में जयकाम ने दिल्ली के सीलमपुर में उनसे और उनके 18 साथियों से मुलाकात की। उसने खुद को विदेश में नौकरी दिलाने वाला प्रभावशाली व्यक्ति बताकर फर्जी सर्बियाई वीजा और जॉब ऑफर लेटर दिखाए। इसके बाद 19 पासपोर्ट अपने कब्जे में ले लिए और प्रति व्यक्ति 3500 यूरो (कुल लगभग 70 लाख रुपये) की मांग की। यह राशि डिजिटल लेन-देन और क्यूआर कोड के जरिए वसूली गई।

जुलाई 2025 में जब पीड़ित दिल्ली पहुंचे, तो जयकाम ने टालमटोल शुरू कर दी और अंततः पैसे व पासपोर्ट लौटाने से इनकार कर दिया। विरोध करने पर आरोपियों ने जान से मारने की धमकी दी। जांच में सभी वीजा फर्जी पाए गए। इसके आधार पर 25 अगस्त को थाना क्राइम ब्रांच में भारतीय न्याय संहिता, 2023 के तहत एफआईआर दर्ज की गई।

गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने ग्रेटर नोएडा निवासी जयकाम को गिरफ्तार किया। पूछताछ में उसने अपने सहयोगियों सचिन, जॉर्ज बिजोज और रूपेश का नाम उजागर किया। इसके बाद छापेमारी कर छावला निवासी रूपेश को भी हिरासत में लिया गया। पुलिस ने 13 नेपाली पासपोर्ट और दो मोबाइल फोन बरामद किए, जिनमें आपत्तिजनक चैट शामिल हैं। अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।

पुलिस के अनुसार, यह गिरोह नेपाली युवाओं को विदेश में नौकरी का लालच देकर निशाना बनाता था। फर्जी दस्तावेज दिखाकर विश्वास जीतने के बाद पासपोर्ट और मोटी रकम वसूल की जाती थी। पैसे मिलने पर आरोपी गायब हो जाते और विरोध करने पर धमकियां दी जाती थीं।

जयकाम, मूल रूप से बिजनौर का निवासी है और 12वीं तक पढ़ाई की है। वह नेपाली और भारतीय युवाओं को ठगने में माहिर था। रूपेश, सीवान का रहने वाला व बी.कॉम स्नातक है और 15 साल से ट्रैवल एजेंट के रूप में काम कर रहा है। पिछले चार साल से वह जयकाम के साथ मिलकर सर्बिया, खाड़ी देशों और यूरोप में नौकरी का झांसा देकर ठगी कर रहा था।

डीसीपी ने बताया कि जांच में पता चला कि 60 लाख रुपये नेपाल से भारत लाए गए। यह राशि नेपाली नागरिक आशीष पांडे ने बैंक खातों के जरिए जुटाई और हवाला के माध्यम से रूपेश तक पहुंचाई। रूपेश ने 20 लाख रुपये जयकाम की पत्नी पूजा और मित्रों कोशन व बसंत के बैंक खातों में जमा किए। यह लेन-देन 9 अप्रैल से 6 जुलाई 2025 के बीच हुआ।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More