एबीवीपी ने डूसू चुनाव में 1 लाख रुपये के चुनावी बांड के खिलाफ किया प्रदर्शन

नई दिल्ली: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने मंगलवार को दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के कला संकाय परिसर में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव में 1 लाख रुपये के चुनावी बांड लागू करने के निर्णय के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में रामजस कॉलेज, हिन्दू कॉलेज, किरोड़ीमल कॉलेज, मिरांडा हाउस सहित डीयू के विभिन्न कॉलेजों के सैकड़ों छात्रों ने हिस्सा लिया। एबीवीपी ने इस नीति को छात्र-विरोधी और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताते हुए इसे तत्काल वापस लेने की मांग की।

एबीवीपी शुरू से ही डूसू चुनाव में 1 लाख रुपये के बांड की नीति का विरोध करती रही है। संगठन का कहना है कि यह निर्णय छात्रसंघ चुनाव को आर्थिक रूप से सशक्त और समृद्ध छात्रों तक सीमित कर देगा, जिससे आम छात्रों के लिए लोकतंत्र के इस महापर्व में हिस्सा लेना मुश्किल हो जाएगा। इससे पहले भी एबीवीपी के नेतृत्व में डीयू के कई कॉलेजों में इस नीति के खिलाफ प्रदर्शन किए जा चुके हैं।

डूसू चुनाव लंबे समय से छात्रों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी के लिए प्रेरित करता रहा है। यह चुनाव छात्रों के लिए लोकतंत्र की पहली सीढ़ी के रूप में जाना जाता है, जहां वे अपने नेतृत्व और विचारों को व्यक्त करने का अवसर पाते हैं। एबीवीपी का कहना है कि 1 लाख रुपये का बांड लागू करने का निर्णय इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करता है। संगठन ने मांग की है कि सभी छात्रों को समान अवसर प्रदान करने के लिए इस नीति को तुरंत रद्द किया जाए।

एबीवीपी दिल्ली प्रांत मंत्री सार्थक शर्मा ने कहा, “1 लाख रुपये का चुनावी बांड लागू करना न केवल छात्र-विरोधी है, बल्कि यह लिंगदोह समिति के दिशानिर्देशों का भी उल्लंघन करता है, जो चुनावी खर्च की सीमा 5,000 रुपये तय करती है। यह नीति आम छात्रों के सपनों को कुचलने वाली है, जो डूसू चुनाव में हिस्सा लेना चाहते हैं। हम विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग करते हैं कि इस फैसले को यथाशीघ्र वापस लिया जाए। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो एबीवीपी का आंदोलन सड़कों से लेकर न्यायालय तक और तेज होगा।”

एबीवीपी ने इस नीति को लिंगदोह समिति के दिशानिर्देशों के खिलाफ बताया है। लिंगदोह समिति ने छात्रसंघ चुनावों में खर्च की सीमा 5,000 रुपये निर्धारित की है, ताकि आर्थिक रूप से कमजोर छात्र भी चुनाव लड़ सकें। इसके विपरीत, 1 लाख रुपये का बांड लागू करना न केवल तर्कहीन है, बल्कि यह लोकतांत्रिक समावेशिता के सिद्धांत को भी कमजोर करता है।

एबीवीपी ने स्पष्ट किया कि वह इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेगी। संगठन ने मांग की है कि डूसू चुनाव पूरी तरह से लोकतांत्रिक ढांचे के अनुरूप और शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित किए जाएं। साथ ही, यह नीति रद्द न होने पर बड़े पैमाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। प्रदर्शन में शामिल छात्रों ने नारेबाजी और बैनरों के माध्यम से अपनी मांग को जोरदार तरीके से प्रशासन के सामने रखा।

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