कमाठीपुरा की बदनाम गली नं 12, अय्याशी के लिए 400 में डील! 100 रुपये नहीं लौटाने की रेशमा को मिली खौफनाक सजा

राष्ट्रीय जजमेंट 

महज 100 रुपये, शायद 30 साल की रेशमा की जान कीमत बस इतनी ही थी! सौ रुपये नहीं लौटाने की उसे ऐसी खौफनाक सजा मिली, जिसके बारे में किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। बात मुंबई के कमाठीपुरा इलाके की बदनाम गली नंबर 12 की है। पुलिस का आरोप है कि रेशमा को उसी के जानने वाले जीतेंद्र सिंह ने तड़पा-तड़पाकर मार डाला। वजह इतनी छोटी कि उसके बारे में सोचकर कोई भी हैरानी में पड़ सकता है।

रेशमा की रूह को अदालत से इंसाफ की उम्मीद है। लेकिन अब इस केस में एक नया मोड़ आ गया है। अदालत ने जीतेंद्र के वकीलों को मामले की जांच करने वाले पुलिसकर्मी से फिर से सवाल पूछने की इजाजत दे दी है। 13 अक्टूबर, 2019 की रात आखिर क्या हुआ था, यह समझने के लिए चलिए पांच साल पहले की उस घटना के पन्ने उलटते हैं।

30 साल की रेशमा को मजबूरियां रेड लाइट एरिया कमाठीपुरा की बदनाम गलियों में खींच लाईं। पुलिस की मानें तो यहां उसकी जान पहचान कैटरिंग का काम करने वाले जीतेंद्र से हो गई। 13 अक्टूबर, 2019 को भी जीतेंद्र रेशमा से मिलने आया। अय्याशी के लिए 400 रुपये में ‘डील’ हुई। बाद में जीतेंद्र ने 500 का नोट दिया, लेकिन रेशमा ने 100 रुपये लौटाने से मना कर दिया। बस इतनी सी बात पर दोनों में बहस हो गई।

गले पर ताबड़तोड़ वार
जीतेंद्र कैटरिंग का काम करता था और उसके बैग में अक्सर चाकू व अन्य किचन के औजार रहते थे। महज 100 रुपये नहीं लौटाने पर जीतेंद्र इस कदर बौखला गया कि उसने बैग से चाकू निकालकर रेशमा की गर्दन पर ताबड़तोड़ वार कर डाले। रेशमा की चीखें सुनकर वहां से गुजर रहे मोहम्मद शाहबाज हनीफ नाम का शख्स ने बचाने की कोशिश की, लेकिन जीतेंद्र के सिर पर खून सवार था। उसने उसे भी घायल किया और भाग खड़ा हुआ।

अब तक 17 लोगों की गवाही
जीतेंद्र के खिलाफ मामला अभी अदालत में चल रहा है। सरकारी वकील की ओर से अब तक 17 गवाह पेश किए जा चुके हैं। इनमें शुरुआती जांच में अहम भूमिका निभाने वाले पुलिस कॉन्स्टेबल राहुल धुले भी हैं। लेकिन अब जीतेंद्र के मौजूदा वकीलों ने फिर से राहुल धुले से सवाल करने के लिए याचिका दायर की है। उनका दावा है कि इससे पहले जो वकील केस देख रहे थे, वो सही से सवाल-जवाब नहीं कर पाए। ट्रायल कोर्ट ने इस याचिका ठुकरा दिया था, लेकिन बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसकी मंजूरी दे दी है। अहम बात यह है कि हाई कोर्ट के जज का भी मानना है कि केस में राहुल धुले से ठीक ढंग से पूछताछ नहीं हुई है। अब पुलिस कॉन्स्टेबल की गवाही मामले में अहम हो गई है। अब इस बात का फैसला वक्त ही करेगा कि क्या जीतेंद्र ही सच में रेशमा का कातिल है या फिर अभी इस मर्डर मिस्ट्री में कुछ और नया एंगल आने वाला है।

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