कैश डिस्पेंसर में प्लेट लगाकर “सर्वर खराबी” का झांसा देकर ठगी करने वाले दो ठग मंडावली पुलिस के हत्थे चढ़े

नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली के मंडावली थाना पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए दो शातिर एटीएम ठगों को गिरफ्तार किया है, जो एक सुनियोजित एटीएम धोखाधड़ी रैकेट में शामिल थे। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से दस हजार रुपये नकद बरामद किए हैं। आरोपियों ने एटीएम के कैश डिस्पेंसर में धातु की प्लेट लगाकर नोटों को अटकाने और छिपे हुए स्पीकर के जरिए “सर्वर खराबी” का झूठा संदेश चलाकर ग्राहकों को गुमराह करने की तकनीक का इस्तेमाल किया। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान गाजियाबाद निवासी 24 वर्षीय आस मोहम्मद और 44 वर्षीय वहाजुद्दीन के रूप में हुई हैं।

पूर्वी जिला के डीसीपी अभिषेक धनिया ने बताया कि 5 अगस्त को चंदर शेखर नामक शिकायतकर्ता ने मंडावली थाने में शिकायत दर्ज की कि मंडावली के सोनिया विहार सब्जी मंडी के पास एक एटीएम से नकदी निकालने का प्रयास विफल होने के बाद उनके खाते से दस हजार रुपये धोखाधड़ी से निकाल लिए गए। एटीएम से नकदी नहीं निकली, लेकिन मशीन के अंदर छिपे स्पीकर से एक पूर्व-रिकॉर्डेड संदेश चला, जिसमें “सर्वर खराबी” का उल्लेख था और यह आश्वासन दिया गया कि कोई राशि डेबिट नहीं हुई। कुछ ही देर बाद, शिकायतकर्ता को एसएमएस के जरिए डेबिट होने की सूचना मिली। इस संबंध में धारा 303(2)/317(2)/3(5) के तहत मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू की गई।

थाना प्रभारी मंडावली और एसीपी रोहिताश कुमार के नेतृत्व में टीम ने सीसीटीवी कैमरे का गहन विश्लेषण और तकनीकी निगरानी की। गुप्त सूचना की मदद से आरोपी का पता उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, लोनी में लगाया गया। 7 अगस्त को दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में पहचान आसाद मोहम्मद और शहजादुद्दीन के रूप में हुई। शहजादुद्दीन ने स्वीकार किया कि उन्होंने सह-रोपी आस मोहम्मद के साथ मिलकर इस सुयोजना को अंजाम दिया। उनकी तकनीक में एटम के कैश डिस्पेंसर में मेटल की प्लेट और स्टीक किए गए टेलर के माध्यम से संदेश भेजना शामिल था, ताकि व्यापारियों को सामान्य विफलता का भ्रम हो। मामले की जांच अभी जारी है।

प्रारंभिक पूछताछ में खुलासा हुआ कि आरोपियों का मकसद आर्थिक लाभ कमाना था। उन्होंने एटीएम उपयोगकर्ताओं को धोखा देने के लिए ऐसी तकनीकों का सहारा लिया, जिसमें प्रत्यक्ष टकराव की आवश्यकता नहीं थी। एटीएम तंत्र में हेरफेर और ग्राहकों को गुमराह कर वे अवैध रूप से नकदी हासिल करते थे, ताकि तत्काल पकड़े जाने का जोखिम कम रहे।

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