सांसद हो तो ऐसा : हर नागरिक को मिले वार्षिक स्वास्थ्य जांच का कानूनी अधिकार

राष्ट्रीय जजमेंट

स्वास्थ्य सेवा हर नागरिक का हक़, सिर्फ अमीरों का विशेषाधिकार नहीं हो सकती : राघव चड्डा

नई दिल्ली। देश के हर नागरिक को वार्षिक स्वास्थ्य जांच का कानूनी अधिकार मिलना चाहिए।यह मांग राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने संसद के भीतर ज़ोरदार ढंग से उठाई है। उनका तर्क है कि कोविड-19 महामारी के बाद से हृदय गति रुकने और अन्य गम्भीर स्वास्थ्य समस्याओं में तेज़ी से वृद्धि हुई है। ऐसे में समय पर बीमारी की पहचान ही जीवन बचाने का सबसे बड़ा जरिया बन सकती है।राघव चड्ढा ने कहा आज कई विकसित देशों में सरकारें अपने नागरिकों को साल में एक बार मुफ्त हेल्थ चेकअप की सुविधा देती हैं। कुछ देशों में इसे अनिवार्य किया गया है और सरकार इसका पूरा खर्च वहन करती है। भारत जैसे देश में जहां करोड़ों लोगों के पास मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं की भी कमी है।वहां वार्षिक जांच को कानूनी अधिकार बनाया जाना अत्यंत आवश्यक है।उन्होंने यह भी जोड़ा कि स्वास्थ्य सेवा किसी विशेष वर्ग की सुविधा नहीं हो सकती। यह एक मौलिक जरूरत है और इसे हर नागरिक का अधिकार बनाना चाहिए। उन्होंने नारा देते हुए कहा जांच है तो जान है।सांसद चड्ढा ने यह भी सवाल उठाया कि जब दूसरे देशों की सरकारें इस दिशा में गंभीर कदम उठा चुकी हैं। तो भारत क्यों पीछे है। उन्होंने सुझाव दिया कि संसद को इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा करनी चाहिए और स्वास्थ्य अधिकार को एक वास्तविक नीति और कानून का रूप देना चाहिए।
स्वास्थ्य सेवा को लेकर संसद में इस तरह की आवाजें उठना देश के भविष्य के लिए एक शुभ संकेत है। सच्चे अर्थों में अगर संसद है। तो उसमें जनता के स्वास्थ्य जैसे मूलभूत मुद्दों पर ऐसी ही आवाजें गूंजनी चाहिएं।राघव चड्ढा जैसे जनप्रतिनिधि यह साबित करते हैं कि संसद में जनता के जीवन से जुड़े मुद्दे उठाना ही असली प्रतिनिधित्व है।

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