आखिर हिमंत बिस्वा सरमा ने असममें ऐसा क्या किया है जो राहुल गांधी उन्हें जेल भेजने की चेतावनी दे रहे हैं

राष्ट्रीय जजमेंट

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी असम दौरे के दौरान मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा को सीधी चेतावनी देकर गये हैं कि राज्य में सत्ता बदलने पर उन्हें जेल जाना होगा। राहुल गांधी के इस बयान से हर असमवासी हैरान है क्योंकि मुख्यमंत्री के रूप में हिमंत बिस्व सरमा ने जो अभूतपूर्व काम किये हैं उसके चलते जनता उनसे बेहद खुश है। लेकिन चूंकि राहुल गांधी ने कहा है कि मैं बिना सोचे समझे कोई बात नहीं बोलता इसलिए सवाल उठता है कि असम के मुख्यमंत्री के रूप में हिमंत बिस्व सरमा ने ऐसा क्या किया जिसके लिए उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए। आइये एक नजर डालते हैं मुख्यमंत्री के रूप में हिमंत बिस्व सरमा के बड़े फैसलों पर और राहुल गांधी की चेतावनी का कारण समझने का प्रयास करते हैं। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व में असम सरकार ने जिस प्रकार योजनाबद्ध, आक्रामक और व्यावहारिक नीति अपनाई है, उसने न सिर्फ देशभर के निवेशकों को आकर्षित किया है, बल्कि वैश्विक कंपनियों की नजरों में भी असम की संभावनाओं को मजबूती दी है। आज असम न सिर्फ पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार बना है, बल्कि यह तेल, गैस, पेट्रोकेमिकल, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, इंफ्रास्ट्रक्चर और आईटी जैसे विविध क्षेत्रों में निवेशकों के लिए एक नई भूमि बनकर उभर रहा है। हिमंत सरकार ने शासन की प्राथमिकता में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को सबसे ऊपर रखा है। निवेश से जुड़े अनुमोदन, लाइसेंस और आवश्यक स्वीकृतियों के लिए ‘सिंगल विंडो क्लियरेंस सिस्टम’ को प्रभावशाली बनाया गया है। इससे निवेशकों का भरोसा मजबूत हुआ कि असम अब तेजी से निर्णय लेने वाला राज्य है। गुवाहाटी अब पूर्वोत्तर का कॉर्पोरेट हब बन रहा है साथ ही असम की जैविक खेती, चाय, बांस और एग्री बेस्ड इंडस्ट्री में नए निवेश तेजी से आ रहे हैं। सरकार क्लस्टर आधारित फूड प्रोसेसिंग पार्क स्थापित कर रही है।इसके अलावा, असम लंबे समय से उग्रवाद, कानून-व्यवस्था की चुनौतियों और भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से जूझता रहा है। लेकिन हिमंत बिस्व सरमा के मुख्यमंत्री बनने के बाद इन तीनों मोर्चों पर राज्य में व्यापक और स्थायी सुधार देखने को मिले हैं। सरमा ने जिस सख्त, परिणाम आधारित और बिना राजनीतिक दबाव के काम करने वाली प्रशासनिक कार्यशैली को अपनाया, उसने असम को न सिर्फ पूर्वोत्तर भारत में बल्कि देशभर में कानून-व्यवस्था और सुशासन के एक नए मॉडल के रूप में खड़ा किया है।
असम दशकों तक ULFA, NDFB, KLO जैसे उग्रवादी संगठनों की गतिविधियों का शिकार रहा। आतंक, अपहरण और धमकियों के कारण निवेश, विकास और आम जनजीवन प्रभावित होता रहा। लेकिन हिमंत सरकार ने इस समस्या पर दोहरी नीति अपनाई- एक तरफ बातचीत और विश्वास बहाली तथा दूसरी ओर सख्त कार्रवाई और आतंक के नेटवर्क का सफाया। आज असम से उग्रवाद लगभग समाप्त हो चला है और हथियार, ड्रग्स तथा आतंकी नेटवर्क पर भी कड़ा शिकंजा कसा जा चुका है। यही नहीं, हिमंत बिस्व सरमा के आने के बाद असम पुलिस की छवि और कार्यशैली दोनों में आमूलचूल बदलाव लाया गया। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया कि क्रिमिनल्स के लिए असम में जगह नहीं है। पुलिस को ‘फ्री हैंड’ देकर अपराधियों पर त्वरित और सख्त कार्रवाई की बात हो, महिला थाना और साइबर थानों की स्थापना व विस्तार की बात हो, CCTV निगरानी और ट्रैफिक सिस्टम को अत्याधुनिक बनाने के प्रयास की बात हो, मुख्यमंत्री ने विभिन्न मोर्चों पर काम करते हुए कानून व्यवस्था के मोर्चे पर असम की स्थिति में बहुत बड़ा सुधार किया है। साथ ही हिमंत सरमा सरकार ने सबसे बड़ी लड़ाई सिस्टम में बैठे भ्रष्टाचारियों और सरकारी मशीनरी के भीतर फैले अवैध नेटवर्क के खिलाफ छेड़ी जिसके अप्रत्याशित परिणाम सामने आये। इसके अलावा भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई गयी। पुलिस भर्ती, शिक्षक भर्ती जैसी प्रक्रियाओं से भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए टेक्नोलॉजी आधारित परीक्षा प्रणाली के बहुत अच्छे परिणाम सामने आये हैं।
इसके अलावा, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के कार्यकाल में असम में शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में जो नीतिगत परिवर्तन और ठोस कदम उठाए गए, वे राज्य के सामाजिक ताने-बाने में स्थायी और दूरगामी बदलाव लाने वाले साबित हो रहे हैं। एक ओर जहां शिक्षा को आधुनिक, रोजगारोन्मुख और डिजिटल युग के अनुकूल बनाने पर जोर दिया गया, वहीं दूसरी ओर महिला सुरक्षा और उनके अधिकारों को सुदृढ़ करने के लिए सरकार ने कानून, व्यवस्थाओं और समाजिक चेतना में व्यापक सुधार किये। इसके अलावा नाबालिग विवाह के खिलाफ मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने जो ऐतिहासिक कार्रवाई की उसकी पूरी देश में प्रशंसा की जाती है। असम बाल विवाह निषेध अभियान (2023) के तहत जो हजारों गिरफ्तारियां हुईं उसके चलते सामाजिक चेतना बढ़ी कि ऐसा करना अपराध है, परंपरा नहीं। इस कार्रवाई से किशोरियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और अधिकारों की रक्षा हुई। आज असम में बेटियां सुरक्षित, आत्मनिर्भर और शिक्षित होकर आगे बढ़ रही हैं।
इसके अलावा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने अपने अब तक के कार्यकाल में जिस प्रकार सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने की व्यापक और कठोर मुहिम चलाई, वह राज्य की राजनीति, प्रशासनिक व्यवस्था और सामाजिक संरचना के लिहाज से एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। मई 2021 में उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद से 1,19,548 बीघा (160 वर्ग किलोमीटर) भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया गया है। इनमें से 84,743 बीघा वन भूमि और 26,713 बीघा ‘खास’ या सामान्य सरकारी भूमि है, साथ ही अन्य श्रेणियों की भूमि भी अतिक्रमण मुक्त कराई गई है। इस जमीन में वह भूमि भी शामिल है, जो दशकों से अवैध कब्जों में थी और जिसका सीधा या परोक्ष संबंध राज्य के भू-माफियाओं, अवैध प्रवासियों और अलग-अलग राजनीतिक स्वार्थों से जुड़ा रहा है। हिमंत बिस्व सरमा के इस अभियान से राज्य में कृषि क्षेत्र को पुनर्जीवन मिला, अवैध घुसपैठियों और कट्टरपंथी तत्वों का पनपता नेटवर्क ध्वस्त हुआ, आंतरिक सुरक्षा मजबूत हुई, बाढ़ नियंत्रण में मदद मिली और कानून व्यवस्था तथा शासन में जनता की विश्वास बहाली हुई।यही नहीं, अब असम भारत का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जो तेल उत्पादन में प्रत्यक्ष भूमिका निभाएगा। यह कदम न केवल असम के लिए बल्कि पूरे भारत के ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ माना जा रहा है। यह निर्णय हाल ही में डिब्रूगढ़ जिले के नामरुप बोरहाट-1 कुएं में हाइड्रोकार्बन की खोज के बाद लिया गया है। इस परियोजना में असम सरकार की प्रत्यक्ष हिस्सेदारी है, जो ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) के साथ साझेदारी में काम कर रही है। हम आपको बता दें कि असम दशकों से भारत के ऊर्जा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आया है। हालांकि अब तक असम केवल कच्चा तेल आपूर्ति कर रॉयल्टी अर्जित करने तक सीमित था। लेकिन अब इस नई हिस्सेदारी के साथ असम सीधे उत्पादन में भागीदार बन गया है। इसका अर्थ है कि असम को अब राजस्व और मुनाफे में भी प्रत्यक्ष हिस्सा मिलेगा।बहरहाल, देखा जाये तो मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा के प्रयासों से असम एक ऐसा समाज गढ़ रहा है जहां शिक्षा, समानता और सुरक्षा विकास के मूल आधार हैं। हिमंत बिस्व सरमा का यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा बन सकता है शायद इसी डर से राहुल गांधी असम के मुख्यमंत्री को जेल भेजने की चेतावनी देकर गये हैं।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More