राहुल गांधी ने वायनाड से किया नामांकन, पहली बार अमेठी के साथ ही दूसरी सीट से भी लड़ रहे लोकसभा चुनाव

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केरल/वायनाड। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को केरल के वायनाड से पर्चा भरा। इसके बाद उन्होंने रोड शो भी किया। इसमें कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी शामिल हुईं। प्रियंका ने कहा कि मेरी नजर में राहुल सबसे साहसी हैं।
कांग्रेस महासचिव ने वायनाड की जनता से अपील की कि राहुल का ख्याल रखना। वायनाड में 23 अप्रैल को मतदान होगा। एनडीए ने यहां से तुषार वेलापल्ली को उम्मीदवार बनाया है। राहुल पहली बार अमेठी के साथ ही दूसरी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
राहुल ने कहा, ”जिस तरह से नरेंद्र मोदी सरकार और आरएसएस काम कर रहा है, उसे कई लोगों को यह लग रहा था कि उनकी संस्कृति पर हमला हो रहा है। यही कारण है कि मैंने अमेठी के अलावा वायनाड से भी चुनाव लड़ने का फैसला किया। आज मोदी सरकार में अलग-अलग प्रांत, धर्म के लोगों की संस्कृति पर हमला हो रहा है। भारत एक देश है, मैं यही संदेश देने आया हूं।
मोदी सरकार और संघ नागपुर में बैठकर देश की भाषा और संस्कृति पर हमला कर रहे हैं। चौकीदार ने अनिल अंबानी को 30 हजार करोड़ रुपए दिए हैं। उसी का खुलासा करना है। मेरे यहां से चुनाव लड़ने से सीपीएम जरूर नाराज है, लेकिन हम सब एक हैं और मैं इस पर कुछ नहीं बोलूंगा।”
कांग्रेस नेता एके एंटनी ने बताया कि राहुल ने अमेठी के अलावा वायनाड को चुना है, इसकी कई वजह हैं। एक तो ये है कि यह सीट सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से काफी अहम है। दूसरा यह केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु की सीमाओं को जोड़ती है। ऐसे में राहुल का यहां से चुनाव लड़ना एक तरह से पूरे दक्षिण भारत का प्रतिनिधित्व होगा।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल पर केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ने पर तंज कसा था। शाह ने कहा था, “मैंने वॉट्सऐप पर पढ़ा कि राहुल अमेठी को छोड़कर केरल भाग गए हैं। आखिर उन्हें केरल क्यों जाना पड़ा? हम सभी जानते हैं कि राहुल का अमेठी से ही लड़ना तय था, लेकिन अब वे वहां जाकर ध्रुवीकरण की राजनीति से जीत हासिल करना चाहते हैं।”
राहुल उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट से 2004 से लगातार तीन बार चुनाव जीतते आ रहे हैं। भाजपा ने अमेठी से राहुल के खिलाफ इस बार भी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को उतारा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल ने उन्हें 1.07 लाख वोटों से हराया था। हालांकि, राहुल की जीत का यह अंतर 2009 की तुलना में काफी कम था। तब राहुल 3.70 लाख वोटों से जीते थे।

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