बीजिंग ओलंपिक में गांधी-भुट्टो की गुप्त मुलाकात, 18 साल बाद सामने आई तस्वीर ने छेड़ी नई बहस

राष्ट्रीय जजमेंट

साल 2008 का बीजिंग ओलंपिक चीन के वैश्विक शक्ति-प्रदर्शन का एक भव्य मंच था, जहाँ दुनिया खेल और कूटनीति के संगम को देख रही थी। लेकिन इस अंतरराष्ट्रीय चकाचौंध के केंद्र में, दक्षिण एशिया के दो सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों की उपस्थिति एक अनकहा लेकिन महत्वपूर्ण अध्याय लिख रही थी।एक ओर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी अपने बच्चों, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ मौजूद थीं। तो दूसरी तरफ, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी का दल भी चीनी राजधानी में था, जिसमें उनकी बहनें बख्तावर और आसिफा के साथ-साथ जहांगीर बदर और रहमान मलिक जैसे वरिष्ठ नेता शामिल थे।रिपोर्टों के अनुसार, दोनों प्रतिनिधिमंडल चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के निमंत्रण पर ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए बीजिंग में उपस्थित थे। इस दौरान, दोनों प्रभावशाली परिवारों के बीच लगभग 30 मिनट की एक संक्षिप्त मुलाकात हुई। सोनिया गांधी ने भुट्टो भाई-बहनों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं, जिनकी माँ बेनजीर भुट्टो की उसी वर्ष हत्या हुई थी।रहमान मलिक ने मुलाकात को गर्मजोशीपूर्ण और व्यक्तिगत बताया और स्पष्ट किया कि इसमें कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई। मुलाकात का केंद्र साझा दुख, पारिवारिक यादें और सद्भावना के प्रतीक थे।मीडिया रिपोर्टों में यह दावा किया गया कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत कथित तौर पर राजनीतिक और अंतर्राष्ट्रीय मामलों पर परामर्श की अनुमति दी गई। हालांकि, समझौते की विस्तृत जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई, लेकिन यह राजनीतिक हित का विषय बना हुआ है। इसके अलावा, रिपोर्टों से पता चलता है कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने भी उसी वर्ष CPC के साथ एक ऐसा ही समझौता किया था, लेकिन इसके औपचारिक विवरण अभी भी स्पष्ट नहीं हैं।

18 साल से अधिक समय बाद, सोनिया गांधी और भुट्टो भाई-बहनों की मुलाकात की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है, जिससे नए सिरे से बहस छिड़ गई है। इस तस्वीर ने भारत और पाकिस्तान के बीच संवेदनशील संबंधों को देखते हुए अनौपचारिक मुलाकातों की प्रकृति और निहितार्थों पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह मुलाकात चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के निमंत्रण पर बीजिंग में हुई थी, जिसमें दोनों देशों के प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों के सदस्य शामिल थे। अब लोग कांग्रेस पार्टी से इस मुलाकात के उद्देश्य और संदर्भ को स्पष्ट करने की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस की ओर से अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इस तस्वीर के वायरल होने से संभावित राजनीतिक निहितार्थों और गुप्त बातचीत पर ध्यान केंद्रित हो गया है।

अब कांग्रेस को इन प्रतीकात्मक इशारों की प्रकृति को स्पष्ट करना चाहिए, जिनका आज के राजनीतिक माहौल में महत्वपूर्ण महत्व है।

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