सराय काले खां आईएसबीटी पुनर्विकास को हरी झंडी: उपराज्यपाल ने दी डूसिब की 2.5 एकड़ जमीन के लिए एनओसी

नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम को दिल्ली अर्बन शेल्टर इम्प्रूवमेंट बोर्ड की 2.5 एकड़ जमीन आवंटन के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट प्रदान कर दिया है। इस कदम ने सराय काले खां अंतरराज्यीय बस टर्मिनल के पुनर्विकास और रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के साथ इसके एकीकरण में एक प्रमुख बाधा को दूर कर दिया है। यह परियोजना दिल्ली को देश का एक अग्रणी मल्टी-मॉडल ट्रांजिट हब बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ नामो भारत कॉरिडोर का हिस्सा है, जो दिल्ली मेट्रो, भारतीय रेलवे, आईएसबीटी, और आरआरटीएस को एकीकृत करेगा। पुनर्विकास के बाद, यह हब लाखों यात्रियों, जिसमें अंतरराज्यीय यात्री भी शामिल हैं, को निर्बाध कनेक्टिविटी और आधुनिक सुविधाएं प्रदान करेगा।

एनसीआरटीसी के अनुसार, स्टेशन पर निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। ट्रैक बिछाने और ओवरहेड इलेक्ट्रिफिकेशन का काम अंतिम चरण में है, और जून 2025 तक स्टेशन के चालू होने की उम्मीद है। यह स्टेशन चार ट्रैक और छह प्लेटफॉर्म के साथ तीन प्रमुख आरआरटीएस कॉरिडोर दिल्ली-मेरठ, दिल्ली-पानीपत, और दिल्ली-गुरुग्राम-अलवर को जोड़ेगा।

जमीन का अनुरोध दिल्ली ट्रांसपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ने 2 फरवरी 2024 को किया था। डूसिब के पास मौजूद यह जमीन अतिक्रमण-मुक्त है और इसका कोई कानूनी विवाद नहीं है। हालांकि, इस पर रैन बसेरे मौजूद हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के 9 मई 2023 के आदेश के अनुसार बिना अनुमति हटाया नहीं जा सकता। डूसिब ने इन रैन बसेरों और उनके निवासियों को पास के स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मांगने का निर्णय लिया है। डीटीआईडीसी ने भी आश्वासन दिया है कि पुनर्विकास परियोजना में रैन बसेरों के लिए स्थायी संरचनाएं बनाई जाएंगी।

यह परियोजना दिल्ली की परिवहन व्यवस्था को आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, लेकिन सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय निवासियों ने रैन बसेरों के स्थानांतरण को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि बेघर लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था पूरी तरह तैयार होने से पहले स्थानांतरण उनके जीवन को प्रभावित कर सकता है। मांग की है कि स्थानांतरण से पहले सभी सुविधाओं को सुनिश्चित किया जाए।

दिल्ली अर्बन शेल्टर इम्प्रूवमेंट बोर्ड ने रैन बसेरों के स्थानांतरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, वहीं दूसरी ओर उसी परिसर में लाखों रुपये खर्च कर बाथरूम, टॉयलेट और फ्लोरिंग का निर्माण कार्य जोरों पर है। इस विरोधाभासी स्थिति ने प्रशासन की मंशा और प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह स्थिति इसलिए सवालों के घेरे में है, क्योंकि एक तरफ रैन बसेरे हटाने की बात हो रही है और दूसरी तरफ परिसर में बेघरों के सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है।

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