संघर्ष विराम की घोषणा जम्मू के सीमावर्ती निवासियों के लिए बड़ी राहत लेकर आई

राष्ट्रीय जजमेंट

पिछले तीन दिनों से सीमा पार से हो रही भारी गोलाबारी के बाद जम्मू क्षेत्र के सीमावर्ती निवासियों, खासकर सबसे ज्यादा प्रभावित पुंछ और राजौरी जिलों के निवासियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्ण और तत्काल संघर्ष विराम की घोषणा पर खुशी जाहिर की है।

पीड़ितों ने इस संघर्षविराम की घोषणा को एक राहत के रूप में लिया और अब वे अपनी सामान्य जीवनशैली को फिर से शुरू कर रहे हैं। पुंछ के जिला गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के अध्यक्ष नरिंदर सिंह ने पीटीआई – से कहा, यह न केवल मेरे लिए बल्कि पूरे देश और दुनिया के लिए एक स्वागत योग्य कदम है क्योंकि एक विनाशकारी युद्ध टल गया है। हम प्रार्थना करते हैं कि इस क्षेत्र में शांति बनी रहे और हमेशा बनी रहे।

बुधवार से अब तक कुल 25 लोगों की मौत हुई है, जिनमें से सबसे अधिक 18 लोग पुंछ जिले में मारे गए। सिंह ने कहा, शांति जैसा कुछ नहीं है और हम प्रार्थना करते हैं कि यह संघर्ष विराम स्थायी हो ताकि हमें अपने घरों से भागने की जरूरत न पड़े।

उन्होंने अपने समुदाय के चार सदस्यों सहित निर्दोष लोगों की मौत और दर्जनों घरों, गुरुद्वारा, मंदिर और मदरसे के अलावा बड़ी संख्या में वाहनों को हुए नुकसान का जिक्र किया।

मुस्लिम विद्वान औरपुंछ में स्थित जियाउल उलूम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष मौलाना सईद अहमद हबीब ने कहा कि संघर्ष विराम की घोषणा सीमावर्ती निवासियों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है।

उन्होंने कहा, हम प्रार्थना करते हैं कि संघर्ष विराम का उल्लंघन न हो और किसीको भी नुकसान न पहुंचे। सीमावर्ती निवासी भारत-पाक दुश्मनी का खामियाजा भुगतते हैं और हमेशा उम्मीद करेंगे कि दोनों देशों के बीच नए सिरे से हुए संघर्ष विराम पर सहमति पिछले वर्षों की तरह बरकरार रहे।

पूर्व नगरपालिका पार्षद इम्तियाज सलारिया ने संघर्ष विराम की घोषणा का जश्न मनाने के लिए निवासियों के बीच मिठाइयां बांटी और लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। मेंढर के लोगों ने भी संघर्ष विराम कीघोषणा पर संतोष व्यक्त किया और कहा कि यह उनके लिए बड़ी राहत है।

मेंढर कस्बे के निवासी राजा महमूद खान ने कहा, विस्थापित लोग वापस लौटने लगे हैं और इसलिए सुनसान पड़े बाजार फिर से जीवंत हो रहे हैं। यह संघर्ष विराम की घोषणा पर लोगों की प्रतिक्रिया है।

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