राष्ट्रीय जजमेंट
पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले से पूरे देश में जितना गुस्सा दिखाई दे रहा है उतना ही गुस्सा जम्मू-कश्मीर के लोगों के मन में भी उबाल ले रहा है। जो लोग मोदी सरकार पर हमला करते हुए कह रहे हैं कि 370 हटने के बावजूद कुछ नहीं बदला है और आतंकवाद जारी है उन्हें यह देखना चाहिए कि इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि किसी आतंकवादी घटना के विरोध में पूरे जम्मू-कश्मीर में लोग आतंकवाद के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं। व्यापारियों ने खुद से बंद आयोजित कर सड़कों पर आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी की है। श्रीनगर के जिस लाल चौक पर आतंक का साया हुआ करता था वहां लोग आतंक के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के शहरों से लेकर गांवों और दूरदराज के इलाकों तक में आतंकवाद की निंदा की जा रही है और शांत होते माहौल को बिगाड़ने वालों को करारा सबक सिखाने की सरकार से मांग की जा रही है। यह पहली बार है कि लोग आतंकवाद के खिलाफ इतना खुल कर बोल रहे हैं। पहले लोग ऐसी घटनाओं की निंदा कम ही करते थे। क्योंकि उन्हें डर था कि अगर वे आतंकवादियों के खिलाफ बोलेंगे तो उनकी जान को खतरा हो सकता है लेकिन आज पूरा जम्मू-कश्मीर सड़कों पर उतरा हुआ है।देखा जाये तो पूरा जम्मू-कश्मीर शोक में है। ये पहली बार है कि आतंकवादी घटना के जवाब में जम्मू-कश्मीर का हर गांव, जिला और शहर बंद है। यह पहली बार है जब मस्जिदों में सभी इमाम आतंकवादियों के खिलाफ बोल रहे हैं। यही नहीं, आतंकवादियों द्वारा निर्दाेष नागरिकों की दुखद हत्या के मद्देनजर जम्मू और कश्मीर भर के सरकारी कर्मचारियों ने दो मिनट का मौन भी रखा है। आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का जो संदेश जम्मू-कश्मीर ने दिया है वह आतंकवादियों को स्पष्ट करता है कि भले एक वारदात करने में वह सफल हो गये हों लेकिन भारतीयों को बांटने या शांति भंग करने के प्रयासों का सब लोग मिलकर सामना करेंगे।देखा जाये तो इसमें कोई दो राय नहीं कि अनुच्छेद 370 हटाये जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों का काफी हद तक सफाया हो चुका है, टैरर फंडिंग पर रोक लग चुकी है और लोगों के मन से आतंकवाद के प्रति समर्थन और उससे भय की भावना निकल चुकी है इसलिए लोग खुलकर आतंकवाद के खिलाफ बोल पा रहे हैं। कहा जा सकता है कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद मोदी सरकार अपने उद्देश्य में काफी हद तक कामयाब हो चुकी है। उम्मीद है कि जो बाधाएं आ रही हैं उन्हें भी दूर कर दिया जायेगा।
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रावलपिंडी को तबाह कर दिया जाना चाहिए, पहलगाम हमले के बाद कांग्रेस नेता शमा मोहम्मद का तीखा बयान
कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. शमा मोहम्मद ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करते हुए एक तीखा बयान जारी किया और पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का आह्वान किया। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए विनाशकारी आतंकी हमले में कम से कम 26 लोगों की जान चली गई। रावलपिंडी को तहस-नहस कर दिया जाना चाहिए! उन्होंने हमले में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों की संदिग्ध संलिप्तता का हवाला देते हुए एक्स पर लिखा कि अब कोई बातचीत नहीं, कोई व्यापार नहीं, कोई क्रिकेट नहीं, कोई सांस्कृतिक गतिविधि नहीं। पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाने का समय आ गया है जिसे वे कभी न भूलें। जय हिंद। इससे पहले एक पोस्ट में उन्होंने हमले की निंदा की और पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति से निपटने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा।
जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों पर आतंकी हमले की खबर बेहद परेशान करने वाली है। शोक संतप्त परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। नरेंद्र मोदी सरकार को आतंकवाद को खत्म करने के खोखले दावे करने के बजाय जम्मू-कश्मीर में जमीनी हालात के बारे में स्पष्ट रूप से बताना चाहिए। पहलगाम हमला, जो जम्मू-कश्मीर में हाल के वर्षों में सबसे घातक हमलों में से एक है, पहलगाम के सुंदर बैसरन घास के मैदान में हुआ, जब सैन्य वर्दी पहने आतंकवादियों ने पर्यटकों के एक समूह पर गोलीबारी की। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि शांत पर्यटन स्थल पर कुछ ही मिनटों में अराजकता और दहशत का माहौल बन गया। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में ले जाया गया है और सुरक्षा बलों ने हमलावरों को पकड़ने के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू कर दिया है।
पाकिस्तान ने बुधवार को कहा कि वह जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में पर्यटकों के मारे जाने पर शोक व्यक्त करता है। मंगलवार को हुए इस हमले में 26 लोग मारे गए जिनमें से ज्यादातर पर्यटक हैं। विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ने हमले के बारे में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘हम अनंतनाग जिले में हुए हमले में पर्यटकों की जान जाने से चिंतित हैं। हम मृतकों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।
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