वक़्फ़ संशोधन विधेयक निष्पक्ष, सर्वसमावेशी और पारदर्शी, अभाविप ने किया स्वागत

नई दिल्ली: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भारतीय संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित वक़्फ़ संशोधन विधेयक का हार्दिक स्वागत और अभिनंदन किया है। संगठन ने इसे पारदर्शिता, निष्पक्षता और संविधान की मूल भावना के अनुरूप एक ऐतिहासिक कदम करार दिया है, जो वक़्फ़ प्रबंधन में सुधार और विवादों को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल है।

अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा, “दोनों सदनों द्वारा पारित यह विधेयक भारत के समग्र विकास और निष्पक्षता के लिए आवश्यक है। पूर्व के वक़्फ़ कानून में कई विवाद और चुनौतियाँ सामने आती रही हैं, जिन्हें इस नवीन संशोधन के माध्यम से न्यायसंगत और प्रभावी ढंग से हल किया जा सकेगा। वक़्फ़ काउंसिल में महिलाओं और गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का निर्णय इसे और अधिक समावेशी, निष्पक्ष और संतुलित बनाता है। यह संप्रदाय आधारित भेदभाव को समाप्त करने और समानांतर सत्ता की अवधारणा को खत्म करने की दिशा में एक सशक्त कदम है।”

विधेयक की प्रमुख विशेषताओं में वक़्फ़ संपत्तियों का छह महीने के भीतर ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य करना शामिल है, जिससे सरकार को इनकी ऑडिट और निगरानी का अधिकार मिलेगा। इससे वक़्फ़ कानून के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, केवल दान में प्राप्त संपत्तियों को ही वक़्फ़ संपत्ति माना जाएगा, और बिना दस्तावेज या सर्वेक्षण के किसी संपत्ति पर वक़्फ़ का दावा नहीं किया जा सकेगा। सरकारी संपत्तियों पर वक़्फ़ के गलत दावों की जांच वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की जाएगी, और यदि दावा गलत पाया जाता है, तो वह संपत्ति राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी संपत्ति के रूप में दर्ज की जाएगी।

विधेयक में वक़्फ़ ट्रिब्यूनल के फैसलों को हाईकोर्ट में चुनौती देने का प्रावधान भी किया गया है, जो न्यायिक प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाएगा और व्यक्तिगत अधिकारों को मजबूती प्रदान करेगा। अभाविप ने कहा कि ये प्रावधान वक़्फ़ प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेंगे, साथ ही विवादों को समाप्त करने में मददगार सिद्ध होंगे।

सोलंकी ने आगे कहा, “हम सरकार द्वारा उठाए गए इस महत्वपूर्ण कदम की सराहना करते हैं। समस्त भारतीय नागरिकों को इस नवीन कानून को पूर्व के कानूनों के साथ तुलनात्मक रूप से अध्ययन करना चाहिए और तथ्यात्मक समझ के साथ विचार-विमर्श करना चाहिए। यह समानता, समावेशिता और न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है।”

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