अयोध्या में श्रद्धालुओं के जूतों-चप्पलों का लगा ढ़ेर, इस नियम के कारण लोग नंगे पांव जा रहे वापस

राष्ट्रीय जजमेंट

महाकुंभ का सफलता के साथ बीते महीने आयोजन पूरा हो चुका है। महाकुंभ जाने वाले श्रद्धालु इस वर्ष बड़ी संख्या में वाराणसी और अयोध्या भी पहुंचे है। अयोध्या में लगातार भक्तों का तांता लगा हुआ है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रहे है। अयोध्या में हर दिन भारी संख्या में भक्त रामलला के दर्शन करने उमड़ रहे है।ये भीड़ इतनी अधिक है कि अयोध्या नगर निगम मंदिर के बाहर से अब तक कुल 30 ट्रॉली जूते और चप्पलों को हटा चुका है। ये जानकारी एक हालिया रिपोर्ट में सामने आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर में जाने और मंदिर से बाहर निकलने का रास्ता काफी अलग है। मंदिर प्रशासन ने गेट में बदलाव किया था ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। इस फैसले के कारण श्रद्धालुओं को मंदिर जाने वाले गेट तक पहुंचने में काफी समय लग रहा था।जानकारी के मुताबिक पहले श्रद्धालुओं को अपने जूते और चप्पल गेट नंबर एक पर छोड़ने होते थे। यहां से आधा किलोमीटर का चक्कर लगाने के बाद उस स्थान पर जाकर ही जूते चप्पल पहने जाते थे। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी होने के बाद मंदिर प्रशासन ने बाहर निकलने के मार्ग में बदलाव किया था। इस बदलाव के बाद लोगों को आधे किलोमीटर का रास्ता पार करने के लिए पांच से छह किलोमीटर तक चलना पड़ रहा था। इतना अधिक चलने के कारण लोगों ने वापस ना जाना ही बेहतर समझा। लोगों ने जहां अपने जूते उतारे उन्हें वहीं छोड़ कर वो नंगे पैर ही मंदिर से निकल पड़े। मंदिर के प्रवेश द्वार पर ऐसे में काफी अधिक संख्या में जूते इकट्ठे हो गए है। नगर निगम ने जेसीबी मशीनों से इन जूतों को हटाने का काम शुरू किया है। ट्रॉलियों में भरकर इन जूतों को हटाया जा रहा है।टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट की मानें तो बीते एक महीने से कई व्यवस्थाएं बदली गई है, जिससे श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं दी जा सकें। बिना किसी अव्यवस्था का सामना किए हुए ही श्रद्धालु आसानी से रामलला के दर्शन कर सकें, इसलिए कुछ व्यवस्थाओं में बदलाव हुआ है। बता दें कि महाकुंभ के दौरान कुल 1.25 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने अयोध्या में राम मंदिर में पहुंचकर रामलला के दर्शन किए है।

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