पायलट को रिहा कर पाक ने जंग के विकल्प को सीमित किया: मदन गोविंद राव

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कुशीनगर। पाकिस्तान सरकार ने कूटनीतिक दांव चलते हुए कब्जे में रखे गए भारतीय पायलट अभिनंदन को दो दिन बाद ही भारत को सौंप कर एक तीर से अनेक शिकार करने का प्रयास किया है। पाक ने जेनेवा संधि का पालन कर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के सामने अपना सभ्य एवं मानवीय चेहरा प्रस्तुत किया है तो वहीं भारत द्वारा किए जाने वाले संभावित बड़ी सैन्य कार्रवाई को थामने का भी प्रयास किया है।
ये बातें भाजपा के नेता व पूर्व विधायक मदन गोविन्द राव ने कही। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को सैन्य दबाव बनाए रखने के लिए मुंबई, पठानकोट, पुलवामा आदी हमलों के गुनाहगारों को ट्रायल हेतु भारत को सौंपने या किसी तीसरे देश में ट्रायल चलाने की मांग करनी चाहिए तथा
हर हाल पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ढांचा को पूरी तरह खत्म कराने का प्रभावी अभियान चलाते रहना चाहिए। परिस्थितिवश यदि दोनों देश आतंक को संपूर्ण रूप से खत्म करने का संकल्प भी ले ले, तो भी आतंकी गतिविधि को रातों-रात समाप्त नहीं किया जा सकता है।
उन्हांने कहा कि पाकिस्तानी शासन को अपने देश में जोखिम भरे साहसिक निर्णय करने पड़ेंगे तथा भारत को भी कश्मीर में बंदूक एवं विचारधारा के स्तर पर लड़ना होगा। साथ ही अलगाववाद को संरक्षण देने वाले संवैधानिक प्रावधानों (370 एवं 35।) का विकल्प तलाशना होगा। कश्मीर के अंदर अनेक प्रकार की विचारधारा, संकीर्ण हितो वाले गुटों का अद्भुत घालमेल हो चुका है, जिसमें तमाम राजनीतिक सामाजिक संगठन एवं सरकारी तंत्र में मौजूद लोग शरीक हैं जो किसी भी तरह वहां पूर्णतः अमन चैन एवं संघ के साथ भावनात्मक एकीकरण नहीं होने देना चाहते हैं।
आजादी बाद से ही केंद्र सरकार की नासमझी कायराना कमजोरी तथा अलगाववाद की आड़ में पनप रही गंभीर चुनौती को समझने में विफलता ने कश्मीर में जटिल हालात बना दिया है। केंद्र सरकार को जोखिम उठाते हुए परंपरागत एवं गैर परंपरागत रास्तों से कश्मीर के हालात से निपटना पड़ सकता है। उन्होंने कहा है कि भारत के रणनीतिकारों एवं नीति-नियंताओं को पाकिस्तान के वास्तविक मन्शा का सुक्ष्म विश्लेषण करते हुए आगे कदम बढ़ाना चाहिए।

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