उपवर्गीकरण के फैसले को निष्प्रभावी करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक लाए सरकार: Mayawati

राष्ट्रीय जजमेंट

लखनऊ । बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने उच्चतम न्यायालय द्वारा राज्यों को अनुसूचित जाति और जनजातियों के आरक्षण में उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार दिये जाने के फैसले को संविधान संशोधन के जरिये निष्प्रभावी करने पर जोर देते हुए शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार से संसद के इसी सत्र में संविधान संशोधन विधेयक लाने की मांग की।

मायावती ने ‘एक्‍स’ पर एक पोस्ट में कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आज मिलने गये भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एससी/एसटी (अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति) सांसदों को यह आश्वासन देना कि कोटे में क्रीमी लेयर को लागू नहीं करने तथा एससी-एसटी के आरक्षण में कोई उप-वर्गीकरण भी नहीं करने की उनकी मांगों पर गौर किया जाएगा, यह उचित है और ऐसा किए जाने पर इसका स्वागत।” भाजपा सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की और एससी व एसटी के बीच क्रीमी लेयर की पहचान करने पर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी पर चिंता व्यक्त की।

उन्होंने एक अन्य पोस्ट में यह भी कहा, “लेकिन अच्छा होता कि उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के समक्ष बहस में केन्द्र सरकार की तरफ से एटार्नी जनरल द्वारा आरक्षण को लेकर एससी व एसटी में क्रीमी लेयर लागू करना तथा इनका उप-वर्गीकरण किये जाने के पक्ष में दलील नहीं रखी गयी होती, तो शायद यह निर्णय नहीं आता।” बसपा प्रमुख ने अपने सिलसिलेवार पोस्‍ट में आशंका जाहिर करते हुए कहा, “उच्चतम न्यायालय के एक अगस्त 2024 के निर्णय को संविधान संशोधन के जरिए जब तक निष्प्रभावी नहीं किया जाता तब तक राज्य सरकारें अपनी राजनीति के तहत वहां इस निर्णय का इस्तेमाल करके एससी/एसटी वर्ग का उप-वर्गीकरण व क्रीमी लेयर को लागू कर सकती हैं। अतः संविधान संशोधन बिल इसी सत्र में लाया जाए।”

उच्चतम न्यायालय ने एक अगस्त को एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों को आरक्षण प्रदान किया जा सके जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं। हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि राज्यों को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के ‘मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों’ के आधार पर उप-वर्गीकरण करना होगा, न कि ‘मर्जी’ और ‘राजनीतिक लाभ’ के आधार पर।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More