मायावती पार्टी के हित में जल्द लें बड़ा फैसला, नहीं तो और कमजोर हो जाएगी बसपा

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज

‘बसपा के संस्थापक कांशीराम को पानी पिलाया है, सेवा की है। तब युवा था और कई दशक से बहन और बसपा का वफादार हूं। मुझे भरोसा है कि अगले तीन-चार दिन में पार्टी की प्रमुख मायावती पार्टी हित में कोई बड़ा फैसला लेंगी।’ बसपा के एक पूर्व सांसद कहते हैं कि मायावती ने उन्हें राज्यसभा सदस्य बनाया था। लेकिन इस बार मायावती ने कोई फैसला न लिया तो बसपा तेजी से कमजोर होती चली जाएगी। सूत्र का कहना है कि मुझे भरोसा है, बसपा प्रमुख ऐसा नहीं होने देंगी। पार्टी के अधिकांश नेताओं ने अपने तरीके से 2024 के लोकसभा चुनाव के बाबत मायावती पर निर्णय लेने का दबाव बना रखा है।
बसपा के पुराने कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि अगले तीन-चार दिन या लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने तक पार्टी प्रमुख कोई बड़ा निर्णय ले सकती हैं। बसपा के एक मुस्लिम नेता हैं। नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि हमारे सांसद भाजपा में चले गए। हमारे सांसद कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में घूम रहे हैं। उ.प्र. में बसपा का केवल एक विधायक है। इसलिए पार्टी की चुनौती काफी बढ़ रही है।

मायावती क्या फैसला ले सकती हैं?
मायावती अपने एक निर्णय की घोषणा कर चुकी हैं। उन्होंने कहा है कि लोकसभा 2024 के चुनाव में बसपा अकेले चुनाव लड़ेगी। बसपा के जौनपुर से सांसद श्याम सिंह यादव कहते हैं उनकी इस घोषणा को सभी जानते हैं। श्याम सिंह यादव कहते हैं कि बसपा प्रमुख आगे क्या निर्णय लेंगी, यह उन्हें कैसे मालुम हो सकता है। बसपा के पूर्व सांसद कहते हैं कि इसके बाद केवल दो संभावना है। पहली यह कि मायावती विपक्ष के नेताओं के साथ तालमेल करें और उत्तर प्रदेश में बसपा गठबंधन की साझीदार बने। दूसरी संभावना यह है कि कुछ और छोटे दलों को साथ मिलाकर बसपा 2024 में लोकसभा का चुनाव लड़े। बसपा नेता का कहना है कि अभी बसपा ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। जबकि बसपा उन राजनीतिक दलों में है जो सबसे पहले उम्मीदवारों की घोषणा करती रही है।

मायावती फैसला लेने में क्यों हिचक रही हैं?
समाजवादी पार्टी के रणनीतिकारों में शामिल वरिष्ठ नेता का कहना है कि मायावती गठबंधन में शामिल होना चाहें तो उनका स्वागत है। उनका कहना है कि वह बसपा के अंदरुनी मामलों पर नहीं बोलना चाहते। 2019 में बसपा और समाजवादी पार्टी का गठबंधन हुआ था। इसमें कोई दो राय नहीं कि सभी विपक्षी दल साथ आएंगे तो सत्ता पक्ष को कड़ी चुनौती मिलेगी। उ.प्र. कांग्रेस के एक बड़े नेता अभी भी आशावान हैं।समाजवादी पार्टी ने 31 उम्मीदवारों की घोषणा की है। कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। सपा और कांग्रेस में सीटों के तालमेल की सूची सामने आ चुकी है। लेकिन अभी हमारे पास इंतजार करने का विकल्प बचा है। इस चर्चा में शामिल होते हुए समाजवादी पार्टी के एक पूर्व एमएलसी का कहना है कि बसपा मायावती किसी कारण से गठबंधन में आने से संकोच कर रही हैं। यह कारण राजनीति में सभी को पता है। बसपा के पूर्व सांसद ने भी कहा कि हमें इस कारण के बारे में कुछ नहीं कहना है। हम केवल इतना कह सकते हैं कि बसपा को सत्ता में हिस्सेदारी के लिए संसद और विधानसभा में अपनी संख्या बढ़ाने पर कड़े निर्णय लेने चाहिए।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More