नीरजपाराशर आचारय:
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺
* जय श्री राधे *
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
**ll जय श्री राधे ll**
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दिनाँक:-17/01/2024, बुधवार
सप्तमी, शुक्ल पक्ष,
पौष
“””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
तिथि——— सप्तमी 22:06:10 तक
पक्ष————————–शुक्ल
नक्षत्र———- रेवती 27:32:39
योग————– शिव 17:11:34
करण————– गर 10:58:06
करण———– वणिज 22:06:10
वार———————— बुधवार
माह————————– पौष
चन्द्र राशि——- मीन 27:32:39
चन्द्र राशि——————– मेष
सूर्य राशि——————- मकर
रितु———————— शिशिर
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर——————- शोभकृत
संवत्सर (उत्तर)—————– पिंगल
विक्रम संवत—————- 2080
गुजराती संवत————– 2080
शक संवत——————-1945
कलि संवत—————– 5124
वृन्दावन
सूर्योदय————— 07:12:12
सूर्यास्त————— 17:46:14
दिन काल————- 10:34:02
रात्री काल————- 13:25:48
चंद्रोदय—————- 11:18:14
चंद्रास्त—————- 24:13:13
लग्न—- मकर 2°14′ , 272°14′
सूर्य नक्षत्र————- उत्तराषाढा
चन्द्र नक्षत्र——————- रेवती
नक्षत्र पाया——————- स्वर्ण
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
दे—- रेवती 10:18:15
दो—- रेवती 16:01:16
च—- रेवती 21:46:03
ची—- रेवती 27:32:39
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य= मकर 02:10, उ o षाo 2 भो
चन्द्र=मीन 18:30 , रेवती 1 दे
बुध =धनु 09:53′ मूल 3 भा
शु क्र=वृश्चिक 28°05, ज्येष्ठा ‘ 4 यू
मंगल=धनु 15 °30 ‘ पू oषाo’ 1 भू
गुरु=मेष 11°30 अश्विनी , 4 ला
शनि=कुम्भ 10°40 ‘ शतभिषा ,2 सा
राहू=(व) मीन 25°55 रेवती , 3 च
केतु=(व) कन्या 25°55 चित्रा , 1 पे
🚩💮🚩 शुभा$शुभ मुहूर्त 💮🚩💮
राहू काल 12:29 – 13:48 अशुभ
यम घंटा 08:31 – 09:51 अशुभ
गुली काल 11:10 – 12: 29अशुभ
अभिजित 12:08 – 12:50 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:08 – 12:50 अशुभ
वर्ज्यम 16:01 – 17:33 अशुभ
💮गंड मूल अहोरात्र अशुभ
🚩पंचक 07:12 – 27:33* अशुभ
💮चोघडिया, दिन
लाभ 07:12 – 08:31 शुभ
अमृत 08:31 – 09:51 शुभ
काल 09:51 – 11:10 अशुभ
शुभ 11:10 – 12:29 शुभ
रोग 12:29 – 13:48 अशुभ
उद्वेग 13:48 – 15:08 अशुभ
चर 15:08 – 16:27 शुभ
लाभ 16:27 – 17:46 शुभ
🚩चोघडिया, रात
उद्वेग 17:46 – 19:27 अशुभ
शुभ 19:27 – 21:08 शुभ
अमृत 21:08 – 22:48 शुभ
चर 22:48 – 24:29* शुभ
रोग 24:29* – 26:10* अशुभ
काल 26:10* – 27:51* अशुभ
लाभ 27:51* – 29:31* शुभ
उद्वेग 29:31* – 31:12* अशुभ
💮होरा, दिन
बुध 07:12 – 08:05
चन्द्र 08:05 – 08:58
शनि 08:58 – 09:51
बृहस्पति 09:51 – 10:44
मंगल 10:44 – 11:36
सूर्य 11:36 – 12:29
शुक्र 12:29 – 13:22
बुध 13:22 – 14:15
चन्द्र 14:15 – 15:08
शनि 15:08 – 16:01
बृहस्पति 16:01 – 16:53
मंगल 16:53 – 17:46
🚩होरा, रात
सूर्य 17:46 – 18:53
शुक्र 18:53 – 20:01
बुध 20:01 – 21:08
चन्द्र 21:08 – 22:15
शनि 22:15 – 23:22
बृहस्पति 23:22 – 24:29
मंगल 24:29* – 25:36
सूर्य 25:36* – 26:43
शुक्र 26:43* – 27:51
बुध 27:51* – 28:58
चन्द्र 28:58* – 30:05
शनि 30:05* – 31:12
🚩 उदयलग्न प्रवेशकाल 🚩
मकर > 06:10 से 08:06 तक
कुम्भ > 08:06 से 09:24 तक
मीन > 09:24 से 10:54 तक
मेष > 10:54 से 12:36 तक
वृषभ > 12:36 से 14:34 तक
मिथुन > 14:34 से 16:46 तक
कर्क > 16:46 से 19:06 तक
सिंह > 19:06 से 21:18 तक
कन्या > 21:18 से 23:32 तक
तुला > 23:32 से 01:38 तक
वृश्चिक > 01:38 से 03:50 तक
धनु > 03:50 से 06:06 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
7 + 4 + 1 = 12 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
बुध ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
7 + 7 + 5 = 19 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
रात्रि 22:06 से प्रारम्भ
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