नए साल पर इसरो रचने जा रहा इतिहास, अब ब्लैक होल पर है नजर

राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज

नया साल 1 जनवरी 2024 से शुरु होने वाला है जब पूरी दुनिया नए साल का खुशियों के साथ इसका स्वागत करने में जुटी होगी। इस दौरान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो नया इतिहास रचने की तैयारी कर रहा होगा। इस इतिहास को रचकर इसरो दुनिया में अपने नाम एक और उपलब्धि हासिल कर लेगा, जिसे देखकर पूरी दुनिया अचंभित हो जाएगी।

वर्ष 2023 में सफलतापूर्वक चंद्रयान 3 और सूर्य मिशन को लॉन्च करने के बाद इसरो नया मिशन लॉन्च करने जा रही है, जिसके लिए पूरे इसरो ने तैयारी कर ली है। इसरो अब स्थाई रहस्य में से एक ब्लैक होल के बारे में रिसर्च करने के लिए नया मिशन लॉन्च करने जा रहा है। इस मिशन को लॉन्च करने के बाद इसरो एडवांस्ड एस्ट्रनॉमी ऑब्जर्वेटरी लॉन्च करने वाला दूसरा देश होगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सोमवार को पहले एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह (एक्सपोसैट) के प्रक्षेपण से नववर्ष का स्वागत करेगा। इस प्रक्षेपण के जरिए ब्लैक होल जैसी खगोलीय रचनाओं के रहस्यों से पर्दा उठ जाएगा। अक्टूबर में गगनयान परीक्षण यान ‘डी1 मिशन’ की सफलता के बाद यह प्रक्षेपण किया जा रहा है।

इस मिशन का जीवनकाल करीब पांच वर्ष का होगा। ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी)-सी58 रॉकेट अपने 60वें अभियान पर प्रमुख पेलोड ‘एक्सपोसैट’ और 10 अन्य उपग्रह लेकर जाएगा जिन्हें पृथ्वी की निचली कक्षाओं में स्थापित किया जाएगा। चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर पूर्व में स्थित अंतरिक्ष केंद्र से नए साल के पहले दिन सुबह नौ बजकर 10 मिनट पर होने वाले प्रक्षेपण के लिए 25 घंटे की उलटी गिनती रविवार को शुरू हुई। इसरो सूत्रों ने कहा, ‘‘पीएसएलवी-सी58 के लिए आज सुबह आठ बजकर 10 मिनट पर उलटी गिनती शुरू हुई।’’ एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट’ (एक्सपोसैट) एक्स-रे स्रोत के रहस्यों का पता लगाने और ‘ब्लैक होल’ की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने में मदद करेगा।

इसरो के अनुसार, यह खगोलीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसी का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के अलावा अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने दिसंबर 2021 में सुपरनोवा विस्फोट के अवशेषों, ब्लैक होल से निकलने वाली कणों की धाराओं और अन्य खगोलीय घटनाओं का ऐसा ही अध्ययन किया था। इसरो ने कहा कि एक्स-रे ध्रुवीकरण का अंतरिक्ष आधारित अध्ययन अंतरराष्ट्रीय रूप से महत्वपूर्ण हो रहा है और इस संदर्भ में एक्सपोसैक्ट मिशन एक अहम भूमिका निभाएगा।

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