राष्ट्रीय जजमेंट न्यूज
राजस्थान का कोटा शहर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियों के वास्ते कोचिंग का गढ़ माना जाता है लेकिन वर्ष 2023 में पूरे देश में उस वक्त चिंता की लहर दौड़ गई जब सालभर में एक के बाद एक कुल 26 विद्यार्थियों ने विभिन्न कारणों से आत्महत्या कर ली।
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर निवासी रमेश कुमार (परिवर्तित नाम) के लिए वर्ष बेहद खराब रहा। उनका बड़ा बेटा पिछले दो वर्षों से कोटा में मेडिकल की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा था और एक दिन उसने छात्रावास के अपने कमरे में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।
कुमार के बेटे सहित इस वर्ष कोटा में कोचिंग करने वाले कुल 26 विद्यार्थियों ने आत्महत्या की। यह विद्यार्थियों की आत्महत्या के सबसे अधिक आंकडें हैं। पिछले वर्ष यह संख्या 15 थी।
बेटे की मौत के गम में डूबे कुमार ने कोटा में इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए इस वर्ष की शुरुआत में वहां गए अपने छोटे बेटे के वापस बुलाने का निर्णय किया है। उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘वे अलग-अलग छात्रावासों में रहते थे और अलग-अलग कोचिंग संस्थान में पढ़ते थे। हमारी योजना यह थी कि 2024 में मेरी पत्नी कोटा चली जाएंगी और किराए का एक मकान लेंगी, फिर तीनों साथ में रहेंगे। मैंने कभी नहीं सोचा था कि तब तक मेरा बेटा नहीं रहेगा…।’’
सालाना दो लाख से अधिक छात्र इंजीनियरिंग के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोटा जाते हैं। व्यस्त दिनचर्या, कड़ी प्रतिस्पर्धा, बेहतर करने का लगातार दबाव, माता-पिता की अपेक्षाओं का बोझ और घर की याद आना कुछ ऐसी परेशानियां हैं जिनका विद्यार्थी लगातार सामना करते हैं।
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के फरदीन हुसैन अब भी इस सवाल का जवाब तलाश रहे हैं कि उनके बेटे ने आत्मघाती कदम क्यों उठाया। रुंधे गले से हुसैन ने कहा, ‘‘वह बहुत मेधावी छात्र था। मैं चाहता था कि वह डॉक्टर बने लेकिन उस पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं था। ‘टेस्ट’ में भी उसके अच्छे नंबर आते थे…मुझे समझ ही नहीं आया कि उसने यह कदम क्यों उठाया।’
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