जनपद एटा में विगत दो माह गर्भवती महिलाओं और नौनिहालों को नहीं मिला पुष्टाहार

राष्ट्रीय जजमेंट

पवन चतुर्वेदी/मंडल ब्यूरो चीफ अलीगढ

भले ही सरकार जनमानस के कल्याण के लिए कितनी ही योजना चलाए , लेकिन जब तक वे योजनाएं धरातल पर ठीक प्रकार से क्रियान्वित नहीं होती तब तक उन योजनाओं का कोई अर्थ नहीं रह जाता ।

उत्तर प्रदेश सरकार के बाल विकास एवं पुष्टाहार का हाल कुछ ऐसा ही है । उत्तर प्रदेश के जनपद एटा में अक्टूबर और नवंबर माह में लगभग 2,28,219 बच्चे व 18,539 गर्भवती महिलाएं पुष्टाहार से वंचित रह गईं।

सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना में 3 वर्ष से 6 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को 500 ग्राम चने की दाल और दलिया मिलता है , वहीं अति कुपोषित बच्चों को 2 किलो चने की दाल और 1 किलो दलिया और 450 ग्राम दाल मिलती है ।

जिला कार्यक्रम अधिकारी के अनुसार अक्टूबर और नवंबर माह का पुष्टाहार वितरित नहीं हुआ है ।

यदि आंकड़ों की बात की जाए तो माह नवंबर तक जिले में 18,539 गर्भवती महिलाएं हैं और 15,217 अति कुपोषित बच्चे हैं । 6 माह तक के बच्चों की कुल संख्या 14,406 है । 6 महीने से 3 वर्ष तक के 1,0,8521 बच्चे तथा 3 वर्ष से 6 वर्ष तक के 90,075 बच्चे हैं।

पूरे जिले में 1,864 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं , जिनके द्वारा प्रति महीने कुपोषित बच्चे एवं गर्भवती महिलाओं को खाद्य सामग्री वितरित की जाती है ।
बावजूद इसके ब्लॉक अलीगंज के गांव नगला रैद की रहने वाली 7 माह की गर्भवती मोनिका ने बताया कि उन्हें आज तक किसी भी प्रकार का कोई पुष्टाहार नहीं मिला है और ना ही मुझे इस योजना के विषय में कोई जानकारी है , इसी तरह लखनपुर गांव की साधना जो आठ माह की गर्भवती हैं उन्होंने बताया कि उन्हें भी अभी तक केवल एक ही बार पुष्टाहार वाला राशन मिला है ‌।

उत्तर प्रदेश शासन की न्यूट्रिशन डायरेक्टर सरनीत कौर ब्रोका के अनुसार अक्टूबर और नवंबर महीने में टेंडर की प्रक्रिया की वजह से उत्तर प्रदेश में वितरण नहीं हो पाया , शीघ्र ही ब्लॉक स्तर से पुष्टाहार का उठान कराया जाएगा और लाभार्थियों तक पहुंचाया जाएगा ‌।

बड़ा सवाल – “समय पर पुष्टाहार न मिलने के कारण जो गर्भवती महिलाएं एवं बच्चे कुपोषित रह गए इसका जिम्मेदार कौन है , इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा ? , क्या किसी जिम्मेदार पर कार्यवाही होगी या फिर छोटी मछली का ही शिकार होगा “

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