सीओपी28 में सीओपी33 की मेजबानी करने का प्रस्ताव प्रधानमंत्री ने रखा

राष्ट्रीय जजमेंट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीओपी28 यानी विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के बाद वो संयुक्त अरब अमीरात से भारत लौट चुके है। इस सम्मेलन में हिस्सा लेने जब प्रधानमंत्री पहुंचे तो जैसा स्वागत उनका किया गया वैसा किसी का नहीं हुआ। इस तरह के वैश्विक सम्मेलनों में दिखता है कि आयोजक देश हिस्सा लेने वाले देशों के नेताओं का स्वागत प्रोटोकॉल का पालन करते हुए ही करते है। हालांकि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र आता है तो कई मौकों पर प्रोटोकॉल टूटते हुए दिखे है। इस दौरान मंजर भी अलग ही दिखता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसी भी राष्ट्र के दौरे पर विभिन्न राष्ट्राध्यक्ष उनकी अगवानी करने हवाई अड्डे पर पहुँचते रहे है। वहीं कोई राष्ट्राध्यक्ष मोदी के आगमन पर उनके पैर छू लेता है तो कोई उन्हें देखते ही गले लगा लेता है। दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्षों के अलावा उस देश में मौजूद भारतीय समुदाय भी उनका जोरदार स्वागत करता है। जिस उत्साह और गर्मजोशी के साथ भारतीय समुदाय और राष्ट्राध्यक्ष पीएम नरेंद्र मोदी का स्वागत करने में जुटते हैं, ऐसा दृश्य किसी और नेता के मामले में देखने को नहीं मिलता है। इससे ये भी साफ होता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर समारोह में छा जाते हैं और सुर्खियों में आ जाते हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीओपी28 यानी विश्व जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने दुबई की यात्रा पर पहुंचे थे। उनकी ये यात्रा काफी छोटी और व्यस्त थी मगर जिस तरह उनका स्वागत स्थानीय सरकार और प्रशासन ने पलक पांवड़े बिछाकर किया है वो देखने लायक था। वही अपने प्रधानमंत्री को देखकर भारतीय समुदाय ने मोदी मोदी के नारों तथा फिर एक बार मोदी सरकार जैसे नारे लगाकर साबित कर दिया कि देश ही नहीं दुनिया में मोदी की लहर अब भी जारी है। जानकारी के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन की शुरुआत होने से पहले सभी मौजूद नेताओं ने ग्रुप फोटो लिया। इस दौरान भी वैश्विक नेताओं के बीच मोदी से मिलने और दो मिनट उनसे बात करने की होड़ सी लगी दिखी। यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भी प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत बेहद गर्मजोशी के साथ किया। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2028 में COP33 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने का प्रस्ताव रख कर दुनिया को संदेश दिया है कि भारत वैश्विक सम्मेलनों का नया केंद्र बनने की राह पर है। हम आपको याद दिला दें कि इस साल सितंबर महीने में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान भी भारत ने अपनी शानदार मेजबानी से पूरी दुनिया को अचंभित कर दिया था। इस सीओपी28 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिया गया संबोधन भी बेहद खास रहा था। इस दौरान उन्होंने दुनिया को उत्साह और आत्मविश्वास के साथ बताया कि भारत ने पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था के बीच बेहतरीन संतुलन बनाते हुए विकास का शानदार मॉडल दुनिया के समक्ष पेश किया है। इस दौरान पीएम मोदी ने ऐलान किया कि भारत अपने राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान लक्ष्यों को प्राप्त की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। पीएम ने बताया कि भारत ने उत्सर्जन तीव्रता लक्ष्य को तय समय से 11 साल पहले ही हासिल कर लिया है। उन्होंने बताया कि भारत ने हमेशा जलवायु कार्रवाई पर जोर दिया है। भारत आर्थिक और सामाजिक विकास को भी आगे बढ़ा रहा है। सितंबर के महीने में भारत की अध्यक्षता में सफलतापूर्वक आयोजित किए गए जी20 शिखर सम्मलेन के दौरान भी भारत ने जलवायु को प्राथमिकता दी थी। इस सम्मेलन के दौरान भी नयी दिल्ली घोषणापत्र में जलवायु कार्रवाई और सतत विकास पर कई ठोस कदम उठाने की बात हुई है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकासशील देशों को अपेक्षित जलवायु वित्तपोषण और प्रौद्योगिकी संबंधी हस्तांतरण सुनिश्चित करने का आह्वान करते हुए कहा है कि इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि विकासशील देशों ने जलवायु समस्या पैदा करने में कोई योगदान नहीं दिया है लेकिन फिर भी वे इसके समाधान का हिस्सा बनने के इच्छुक हैं। देखा जाये तो जलवायु परिवर्तन एक सामूहिक चुनौती है जिससे निपटने के लिए एकीकृत वैश्विक प्रतिक्रिया की आवश्यकता है। हम आपको बता दें कि भारत समेत विकासशील देशों ने यह भी दावा किया है कि बदलावों से निपटने में मदद करने की जिम्मेदारी अमीर देशों की है, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से ये वही देश हैं जिन्होंने पृथ्वी को गर्म करने वाले कार्बन उत्सर्जन में अधिक योगदान दिया है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता सीओपी20 की शुरुआत ही एक सकारात्मक बिंदु पर हुई थी जिसमें अलग अलग देशों ने हानि और क्षति कोष के संचालन के संबंध में समझौता किया है। भारत ने इस सकारात्मक संकेत के तौर पर इसका स्वागतकिया है। वहीं ग्लोबल साउथ ने इस कोष के संदर्भ में मिलीजुली प्रतिक्रिया पेश की है। बता दें कि ग्लोबल साउथ के देश लंबे अर्से से बाढ़, सूखे और गर्मी समेत आपदाओं से निपटने के लिए पर्याप्त धन की कमी की तरफ इशारा कर रहे है। अमीर देशों को दोषी भी ठहराया गया है कि वो इससे ऊबरने के लिए पर्याप्त धन नहीं दे रहे है। गौरतलब है कि ग्लोबल साउथ का अर्थ उन देशों से है जो अक्सर विकासशील, कम विकसित अथवा अविकसित के तौर पर जाने जाते है। विकासशील देश कोष रखने के लिए एक नयी और स्वतंत्र इकाई चाहते थे, लेकिन अगले चार वर्षों के लिए अस्थायी रूप से ही सही और अनिच्छा से विश्व बैंक को स्वीकार किया था। इस कोष को चालू करने के निर्णय के तुरंत बाद, संयुक्त अरब अमीरात और जर्मनी ने घोषणा की कि वे इस कोष में 10-10 करोड़ अमेरिकी डॉलर का योगदान देंगे। वैसे इस वर्ष बड़े स्तर पर आयोजित किए गए सीओपी28 सम्मेलन की सफलता के लिए पूरी दुनिया कामना कर रही है। संयुक्त राष्ट्र की मौसम एजेंसी विश्व मौसम विज्ञान संगठन का कहना है कि वर्ष 2023 अब तक का सबसे गर्म वर्ष हो सकता है। संगठन की इस घोषणा के बाद भविष्य की कई चिंताएं सामने आने लगी है। इस विचार के बाद दुनिया भर में बाढ़, जंगल की आग, हिमनद पिघलने और भीषण गर्मी में वृद्धि होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। संगठन ने ये भी चेतावनी जारी की है कि वर्ष 2023 का औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक काल से लगभग 1.4 डिग्री सेल्सियस ऊपर है। इसके साथ ही यह भी भविष्यवाणी की गयी है कि साल 2024 सबसे ज्यादा गर्म रह सकता है। इस पूरे आयोजन के बाद अब दुनिया की नजरें इस दिशा में होंगी कि संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क सम्मलेन और पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए नई रफ्तार किस तरह मिल सकेगी।

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