नरेंद्र मोदी सरकार ने अंतरिम बजट में बताया ही नहीं कि नौकरियां कैसे पैदा करेंगे?

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केंद्र सरकार ने अपने बजट में किसानों और मध्यम वर्ग के मतदाताओं के लिए अपना पिटारा तो खोल दिया, लेकिन नई नौकरियों का सृजन कैसे होगा इस बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद जॉब मुहैया कराने का वादा पिछले लोकसभा चुनाव में किया था। लेकिन, इस संबंध में अभी तक कोई प्रामाणिक रिपोर्ट सरकार की तरफ से सार्वजनिक नहीं की जा सकी है।
अब आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए बेरोजगारी का मुद्दा राजनीतिक रूप से संवेदनशील रूप धारण करता जा रहा है। सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि वह चुनाव को देखते हुए श्रम से संबंधित तमाम आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं होने दे रही। बजट पेश होने के ठीक पहले लीक हुई एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल बेरोजगारी दर का आंकड़ा बीते चार दशकों के इतिहास में काफी अधिक रहा। इस दौरान बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी दर्ज की गई।
2014 लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर साल 1 करोड़ नौकरी देने का वादा किया था। भारी बहुमत से चुनाव जीतने के बाद उनके नेतृत्व वाली सरकार ने तथ्यात्मक रूप से रोजगार सृजन का आंकड़ा अभी तक पेश नहीं किया है। वैसे एक फरवरी को बजट पेश करने के दौरान संसद में बोलते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने जानकारी दी कि बीते दो सालों में सरकार ने 2 करोड़ ‘रोजगार के अवसर’ मुहैया कराए हैं। लेकिन, इस संदर्भ में 2016 के बाद से सरकार ने अभी तक श्रम से संबंधित आधिकारिक सर्वे जारी नहीं किया।
पिछले दिनों बेरोजगारी से संबंधित एक सर्वे लीक हुआ था जिसे सरकार ने खारिज कर दिया। सरकार का कहना था कि लीक सर्वे अधूरा है। नीति आयोग के वाइस-चेयरमैन राजीव कुमार ने पिछले सप्ताह कहा था कि चार सालों के दौरान पैदा की गईं नौकरियों के लिए ढेर सारे साक्ष्य मौजूद हैं। हालांकि, नौकरियों के संबंध में जारी रिपोर्ट की सच्चाई पर भी सवाल उठने लगे हैं।
क्योंकि, पिछले दिनों केंद्र सरकार पर रोजगार और बढ़ती बेरोजगारी के आंकड़े छिपाने के आरोप लगने के बाद राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के दो सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था। दोनों सदस्यों के आयोग से अलग होते ही बिजनस स्टैंडर्ड ने लीक सर्वे पब्लिश किया। इस सर्वे में बताया गया कि 2017-18 में बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी रही, जो 45 साल के इतिहास में सबसे ज्यादा है।

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