भारत की टेरिटोरियल आर्मी (टीए) इस साल अपना 75वां स्थापना दिवस मना रही है

राष्ट्रीय जजमेंट

युद्ध और शांति के समय देश की सेवा करने वाली भारत की टेरिटोरियल आर्मी (टीए) इस साल अपना 75वां स्थापना दिवस मना रही है। इस दौरान उसने मंदारिन भाषा विशेषज्ञों की भर्ती की है।दरअसल, पूर्वी लद्दाख में पड़ोसी मुल्क चीन के साथ टकराव को देखते हुए सेना ने अपने जवानों को चीनी भाषा मंदारिन सिखाने की तैयारी कर ली है।इसके तहत सेना ने टेरिटोरियल आर्मी में मंदारिन भाषा विशेषज्ञों की भर्ती की है। इसका मकसद 3400 किमी लंबे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात कनिष्ठ और वरिष्ठ अधिकारियों को मंदारिन भाषा में प्रवीण बनाना है ताकि वे जरूरत पड़ने पर चीनी सैनिकों का सामना होने पर उनकी भाषा समझ सकें और उन्हें उन्हीं की भाषा में जवाब में दे सकें।सूत्रों के अनुसार, पांच विशेषज्ञों का बैच सीमा बैठकों के दौरान भारत और चीन पक्षों के बीच दुभाषिए के रूप में भी भूमिका निभाएगा। इसके अलावा, प्रादेशिक सेना ने साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों की भर्ती पर भी ध्यान दे रहा है।एक सूत्र का कहना है कि टीए की स्थापना नौ अक्टूबर 1949 को हुई थी। अब उसने 75 वर्ष में प्रवेश कर लिया है। इन दशकों में इन लोगों ने जी-जान से देश की सेवा की है। वह लगातार अपने आपको मजबूत करने के लिए कदम उठा रही है। इसी क्रम में, इस साल पांच चीनी (मंदारिन) भाषा विशेषज्ञों की भर्ती की गई है।सूत्र ने बताया कि इन विशेषज्ञों को नियुक्त करने की प्रक्रिया जनवरी में शुरू हुई थी और कुछ महीने पहले ही यह पूरी हुई है। उन्होंने बताया कि विशेषज्ञ बनने की प्रक्रिया आसान नहीं थी। मंदारिन भाषा में विशेषज्ञता रखने वाले विभिन्न उम्मीदवारों को लिखित और मौखिक परीक्षा देनी थी। जिन लोगों को चुना गया है उनकी औसत आयु 30 साल है।

Comments are closed.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More