प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरितक्रांति के जनक एमएस स्वामिनाथन को याद किया

राष्ट्रीय जजमेंट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरितक्रांति के जनक एमएस स्वामिनाथन को याद किया है. पिछले महीने 28 सितंबर को उनकी मृत्यु हो गई. प्रधानमंत्री ने अपने लेख में लिखा कि उन्होंने देश में आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास की लहर जगाई. पीएम ने कहा कि प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन अब हमारे बीच नहीं हैं.हमारे देश ने एक ऐसे दूरदर्शी व्यक्ति को खोया है, जिन्होंने भारत के कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन किए. हमने एक ऐसे महान व्यक्ति को खोया है, जिनका भारत के लिए योगदान हमेशा स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा. प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन भारत से प्रेम करते थे और चाहते थे कि हमारा देश और विशेषकर हमारे किसान समृद्धि के साथ जीवन यापन करें. वे अकादमिक रूप से प्रतिभाशाली थे और किसी भी करियर का विकल्प चुन सकते थे, लेकिन 1943 के बंगाल के अकाल से वे इतने द्रवित हुए कि उन्होंने तय कर लिया कि अगर कोई एक चीज, जिसे वे करना चाहेंगे, तो वो है – कृषि क्षेत्र का कायाकल्प.बहुत छोटी उम्र में, वे डॉक्टर नॉर्मन बोरलॉग के संपर्क में आए और उनके काम को गहराई से समझा. 1950 के दशक में, अमेरिका ने उन्हें एक फैकल्टी के तौर पर जुड़ने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया, क्योंकि वे भारत में रहकर देश के लिए काम करना चाहते थे.आज हम सभी को दशकों पहले की उन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बारे में विचार करना चाहिए, जिनका प्रो. स्वामीनाथन ने डटकर सामना किया और हमारे देश को आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास के मार्ग पर आगे ले गए. आजादी के बाद पहले दो दशकों में, हम कई चुनौतियों का सामना कर रहे थे और उनमें से एक थी- खाद्यान्न की कमी. 1960 के दशक की शुरुआत में, भारत अकाल से जूझ रहा था. इसी दौरान, प्रोफेसर स्वामीनाथन की दृढ़ प्रतिबद्धता और दूरदर्शिता ने कृषि सेक्टर के एक नए युग की शुरुआत की.

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