विदिशा: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू से दिव्यांग समानता संरक्षण एवं सशक्तिकरण अभियान उड़ीसा, कर्नाटक, मध्यप्रदेश के बैतूल, भोपाल होते हुए आज विदिशा आगमन हुआ जिसका स्वागत विदिशा कलेक्टर उमाशंकर भार्गव द्वारा किया गया एवं झंडी दिखाकर आगे के लिए रवाना किया। अभियान द्वारा विदिशा के सूरज निकेतन विशेष स्कूल में एवं अणानी विल्मार कंपनी में कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें बताया गया मेडिकल कारणों से कभी-कभी व्यक्ति के विशेष अंगों में दोष उत्पन्न हो जाता है, जिसकी वजह से उन्हें समाज में ‘विकलांग’ की संज्ञा दे दी जाती है।
आमतौर पर हमारे देश में दिव्यांगों के प्रति दो तरह की धारणाएं देखने को मिलती हैं। पहला, यह कि जरूर इसने पिछले जन्म में कोई पाप किया होगा, इसलिए उन्हें ऐसी सजा मिली है और दूसरा कि उनका जन्म ही कठिनाइयों को सहने के लिए हुआ है, इसलिए उन पर दया दिखानी चाहिए। हालांकि यह दोनों धारणाएं पूरी तरह बेबुनियाद और तर्कहीन हैं। यह बात ब्रह्माकुमारी द्वारा आयोजित कार्यक्रम विवेकानंद चौराहा पर ब्रह्माकुमारी संगीता दीदी ने कही साथ में उन्होंने बताया कि इसके बावजूद , दिव्यांगों पर लोग जाने-अनजाने छींटाकशी करने से बाज नहीं आते।
वे इतना भी नहीं समझ पाते हैं कि क्षणिक मनोरंजन की खातिर दिव्यांगों का उपहास उड़ाने से भुक्तभोगी की मनोदशा किस हाल में होगी। तरस आता है ऐसे लोगों की मानसिकता पर, जो दर्द बांटने की बजाय बढ़ाने पर तुले होते हैं। हां, दिव्यांगों के हित में बने ढेरों अधिनियम संविधान की शोभा जरूर बढ़ा रहे हैं। जरूरी यह है कि दिव्यांगजनों के शिक्षा, स्वास्थ्य और संसाधन के साथ उपलब्ध अवसरों तक पहुंचने की सुलभ व्यवस्था हो।
ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि एक बार बचपन में थॉमस एडिशन स्कूल से घर पहुंचा और अपनी मां को एक कागज दिया थॉमस ने मां से कहा, ‘मेरी टीचर ने ये लेटर दिया है। कहा है कि सिर्फ मां ही इसे पढ़ें। मां, इसमें क्या लिखा है?’ लेटर पढ़ते हुए मां की आंखों से आंसू आ गए। आपका बेटा जीनियस है। हमारा स्कूल बहुत छोटा है। हमारे पास थॉमस को पढ़ाने लायक अच्छे टीचर भी नहीं हैं। कृपया आप इसे खुद पढ़ायें। एडिशन दुनिया का महानतम आविष्कारक बन गया।
मां की डेथ के बाद एक दिन थॉमस को टीचर का वो लेटर मिला। उसने लेटर खोला तो हैरान रह गया। लेटर में लिखा था, आपका बेटा दिमागी तौर पर कमजोर है। हम उसे नहीं पढ़ा सकते। हम उसे स्कूल से निकाल रहे हैं। लेटर में लिखी सच्चाई पढ़कर थॉमस इमोश्नल हो गए। फिर उसने अपनी डायरी में लिखा, Thomas A. Edison जो दिमागी तौर पर कमजोर बच्चा था, उसकी मां ने उसे इस सेंचुरी का सबसे जीनियस इंसान बना दिया। अर्थात एक दिव्यांग व्यक्ति भी चमत्कार कर सकता है। संगीता ओसवाल सामाजिक न्याय विदिशा, रंजना सरन प्रिंसिपल, विजय श्रीवास्तव, विकास सक्सेना, ओमकार, दीपक दांगी, आदि अधिक संख्या में भाई-बहन उपस्थित रहे।
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